हल्द्वानी : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत प्रदेश संगठन को धार देने के लिए हल्द्वानी के दौरे पर हैं. इस दौरान रविवार को उन्होंने 'परिवार प्रबोधन' कार्यक्रम में संघ परिवार से जुड़े 2,500 लोगों को संबोधित किया.
इस कार्यक्रम में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कार्यक्रम में धर्मांतरण को लेकर बड़ी बात कही. उन्होंने कहा है कि कैसे धर्मांतरण हो जाता है? छोटे से स्वार्थ, शादी के लिए हिंदू लड़कियां और लड़के दूसरे धर्मों को कैसे अपनाते हैं? जो लोग ऐसा करते हैं, वो गलत करते हैं. क्या हम अपने बच्चों का ठीक पालन-पोषण नहीं करते? हमें अपने बच्चों को घर में ये शिक्षाएं देनी होंगी. हमें उनके अंदर धर्म के प्रति आदर का भाव उत्पन्न करना होगा.
धर्म के प्रति गौरव का संस्कार देना होगा
इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमको इसका संस्कार घर में देना होगा. अपने धर्म और पूजा पाठ के प्रति बच्चों को आदर और गर्व करना सिखाना पड़ेगा. उन्होंने आगे कहा कि हमें अपनी भाषा, वेशभूषा, भवन, भोजन, भ्रमण और भजन को अपनी परंपरा के मुताबिक करना चाहिए. तब ही भारत विश्व गुरु बन सकता है. भारत के विकास के लिए अपनी समाज शैली में बदलाव लाना होगा.
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भागवत ने कहा कि हमारे देश के लड़के-लड़कियां दूसरे धर्म में जाकर शादी कर रहे हैं, जो चिंताजनक है. मोहन भागवत ने आगे कहा कि किसी भी देश को कमजोर करने के लिए दूसरी शक्तियां उस देश के युवाओं को नशे की गर्त में डालने का प्रयास करती हैं.
मोबाइल पर ध्यान देने की जरूरत
इस दौरान आरएसएस प्रमुख ने ये भी कहा कि माता-पिता को इस बात से सावधान रहने की जरूरत है कि आखिर उनका बच्चा ओटीटी प्लेटफॉर्म या मोबाइल पर क्या देख रहा है. भागवत ने कहा कि 'ओटीटी पर हर तरह की चीजें उपलब्ध हैं. मीडिया में जो आता है, वह इस परिपेक्ष्य में नहीं आता कि बच्चों के लिए और हमारे मूल्यों के लिए क्या सही होगा. हमें अपने बच्चों को घर पर ही सिखाना होगा कि क्या देखना है और क्या नहीं.
भागवत ने दिए छह मंत्र
आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि लोग खुद धर्म से जुड़े सवालों के जवाब ढूंढें, जिससे बच्चे आकर कुछ पूछें तो वे कंफ्यूज ना हों. भागवत ने कहा कि भारतीय संस्कृति से जुड़े रहने के छह मंत्र हैं. इसमें भाषा, भोजन, भक्ति गीत, यात्रा, पोशाक और घर शामिल हैं. भागवत ने लोगों से पारंपरिक रीति-रिवाज को अपनाने को कहा है.
मोहन भागवत ने कहा कि समाज में हमें गरीब तबके को भी साथ लेकर चलने की जरूरत है. जात-पात के बंधनों से बाहर निकलकर हमें मजबूत भारत का निर्माण करना चाहिए. मोहन भागवत ने कहा है कि घर पर भारतीय पारंपरिक खाना ही खाएं. कभी-कभार पिज्जा चल जाता है. सभी को विदेश घूमना चाहिए, लेकिन तीर्थ स्थलों की भी यात्रा जरूर करनी चाहिए.