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सहारा अस्पताल पर उपभोक्ता आयोग ने ठोंका एक करोड़ 50 हजार का जुर्माना, जानिए वजह - जिला उपभोक्ता फोरम

जिला उपभोक्ता फोरम के पूर्व न्यायाधीश को 27 अप्रैल 2010 को सहारा हॉस्पिटल लखनऊ में भर्ती कराया गया था. जिसके बाद इलाज में लापरवाही के चलते उनकी मौत हो गई थी.

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Published : May 5, 2023, 3:11 PM IST

लखनऊ : राज्य उपभोक्ता आयोग ने मरीज के इलाज में लापरवाही पर सख्त रुख अपनाया है. आयोग ने सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के पूर्व न्यायाधीश के इलाज पर लापरवाही बरतने के लिए सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर एक करोड़ से अधिक का जुर्माना ठोंका है. यह पहली बार नहीं है जब उपभोक्ता आयोग ने सहारा अस्पताल पर जुर्माना ठोंका है, इससे पहले भी कई बार लाखों का जुर्माना अस्पताल प्रबंधन से वसूला गया है.


राजधानी के न्यू हैदराबाद निवासी जीनत जमाल के पिता अशरफ जमाल सिद्धकी (जिला उपभोक्ता फोरम के पूर्व न्यायाधीश) को अप्रैल 2010 में तेज बुखार हो गया था. परिवार ने उन्हें सहारा हॉस्पिटल में भर्ती कराया. जीनत जमाल के मुताबिक, 27 अप्रैल 2010 को सहारा हॉस्पिटल लखनऊ में पिता को भर्ती कराया गया. भर्ती के समय उनके शरीर के सभी अंग भली भांति कार्य कर रहे थे. अचानक 5 मई 2010 को उनको वेंटीलेटर पर रख दिया गया और दो दिन बाद ठीक होने के बाद भी उन्हें वेंटीलेटर से हटाया नहीं गया. यही नहीं उन्हें अनावश्यक रूप से खून चढ़ाया गया और जब अशरफ जमाल को होश आया तो उन्हें परिवारवालों से मिलने नहीं दिया गया. जीनत जमाल के मुताबिक, 17 मई को सहारा अस्पताल के डॉक्टर सुनील वर्मा ने डायलिसिस करने को कहा. सहारा हॉस्पिटल वाले एक के बाद एक टेस्ट करते रहे, लेकिन अशरफ को क्या रोग था यह पहचान ही नहीं पाए. जब उन्होंने अशरफ SGPGI रेफर करने के लिए कहा तो अस्पताल प्रबंधन ने माना कर दिया और जब रेफर किया गया तो उसी दिन पिता अशरफ की सहारा अस्पताल में ही मौत हो गई.



जीनत जमाल के मुताबिक, पिता की मौत के बाद सहारा अस्पताल को नोटिस भेजी, जिसका जवाब उन्हें नहीं दिया गया, जिसके बाद जीनत ने राज्य उपभोक्ता आयोग में केस दायर किया. जिसकी राज्य आयोग के पीठासीन न्यायाधीश राजेंद्र सिंह और सदस्य विकास सक्सेना ने सुनवाई की. इस दौरान अस्पताल के डॉक्टर की ओर से किसी भी प्रकार का संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका और अशरफ जमाल के इलाज में लापरवाही, गलत इलाज और जानबूझ कर टेस्ट पर टेस्ट करवाने का अस्पताल प्रबंधन को दोषी माना गया, जिसके बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने सहारा अस्पताल पर जुर्माना ठोंका है, जिसके मुताबिक, मृतक अशरफ के परिवार को एक करोड़ पचास हजार रुपए 27 अप्रैल 2010 से अब तक 12 प्रतिशत ब्याज के साथ देने के आदेश दिया है.

लखनऊ : राज्य उपभोक्ता आयोग ने मरीज के इलाज में लापरवाही पर सख्त रुख अपनाया है. आयोग ने सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के पूर्व न्यायाधीश के इलाज पर लापरवाही बरतने के लिए सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टरों पर एक करोड़ से अधिक का जुर्माना ठोंका है. यह पहली बार नहीं है जब उपभोक्ता आयोग ने सहारा अस्पताल पर जुर्माना ठोंका है, इससे पहले भी कई बार लाखों का जुर्माना अस्पताल प्रबंधन से वसूला गया है.


राजधानी के न्यू हैदराबाद निवासी जीनत जमाल के पिता अशरफ जमाल सिद्धकी (जिला उपभोक्ता फोरम के पूर्व न्यायाधीश) को अप्रैल 2010 में तेज बुखार हो गया था. परिवार ने उन्हें सहारा हॉस्पिटल में भर्ती कराया. जीनत जमाल के मुताबिक, 27 अप्रैल 2010 को सहारा हॉस्पिटल लखनऊ में पिता को भर्ती कराया गया. भर्ती के समय उनके शरीर के सभी अंग भली भांति कार्य कर रहे थे. अचानक 5 मई 2010 को उनको वेंटीलेटर पर रख दिया गया और दो दिन बाद ठीक होने के बाद भी उन्हें वेंटीलेटर से हटाया नहीं गया. यही नहीं उन्हें अनावश्यक रूप से खून चढ़ाया गया और जब अशरफ जमाल को होश आया तो उन्हें परिवारवालों से मिलने नहीं दिया गया. जीनत जमाल के मुताबिक, 17 मई को सहारा अस्पताल के डॉक्टर सुनील वर्मा ने डायलिसिस करने को कहा. सहारा हॉस्पिटल वाले एक के बाद एक टेस्ट करते रहे, लेकिन अशरफ को क्या रोग था यह पहचान ही नहीं पाए. जब उन्होंने अशरफ SGPGI रेफर करने के लिए कहा तो अस्पताल प्रबंधन ने माना कर दिया और जब रेफर किया गया तो उसी दिन पिता अशरफ की सहारा अस्पताल में ही मौत हो गई.



जीनत जमाल के मुताबिक, पिता की मौत के बाद सहारा अस्पताल को नोटिस भेजी, जिसका जवाब उन्हें नहीं दिया गया, जिसके बाद जीनत ने राज्य उपभोक्ता आयोग में केस दायर किया. जिसकी राज्य आयोग के पीठासीन न्यायाधीश राजेंद्र सिंह और सदस्य विकास सक्सेना ने सुनवाई की. इस दौरान अस्पताल के डॉक्टर की ओर से किसी भी प्रकार का संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका और अशरफ जमाल के इलाज में लापरवाही, गलत इलाज और जानबूझ कर टेस्ट पर टेस्ट करवाने का अस्पताल प्रबंधन को दोषी माना गया, जिसके बाद राज्य उपभोक्ता आयोग ने सहारा अस्पताल पर जुर्माना ठोंका है, जिसके मुताबिक, मृतक अशरफ के परिवार को एक करोड़ पचास हजार रुपए 27 अप्रैल 2010 से अब तक 12 प्रतिशत ब्याज के साथ देने के आदेश दिया है.

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