नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने उपभोक्ता की शिकायत को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि संयुक्त हिंदू परिवार का कर्ता अपनी गर्भवती भाभी के इलाज को लेकर अस्पताल/डॉक्टर की ओर से सेवा में कमी के संबंध में उपभोक्ता शिकायत दर्ज (consumer complaint) नहीं कर सकता है.
जस्टिस हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि संयुक्त हिंदू परिवार की अवधारणा गर्भवती भाभी के इलाज तक नहीं है.
इस मामले में संयुक्त हिंदू परिवार के एक 'कर्ता' ने अपनी गर्भवती भाभी किरण श्रीवास्तव के इलाज के संबंध में सेवा में कमी का आरोप लगाते हुए एक क्लिनिक के खिलाफ उपभोक्ता शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने कहा कि उन्होंने संयुक्त हिंदू परिवार के कर्ता होने के नाते अपनी भाभी की ओर से विचारार्थ सेवाओं का लाभ उठाया. शिकायत की बर्खास्तगी को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बरकरार रखा था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ने एक गर्भवती महिला का देवर प्रतिवादी द्वारा प्रदान की गई किसी भी सेवा का लाभार्थी नहीं होगा. ऐसा कोई आरोप नहीं है कि उसने प्रतिवादी की सेवाओं को शामिल करने के लिए भुगतान किया है या किसी भी तरह का वादा किया है.
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कोर्ट ने कहा ने यहां याचिकाकर्ता एक संयुक्त हिंदू परिवार का 'कर्ता' है. उसे अपनी भाभी की गर्भावस्था के संबंध में एक चिकित्सक की सेवाओं का लाभ उठाने वाला नहीं कहा जा सकता है. संयुक्त हिंदू परिवार की अवधारणा का विस्तार गर्भवती भाभी के इलाज के लिए नहीं है.
अदालत ने इस मामले में कहा कि शिकायत के सुनवाई योग्य होने का मुद्दा मामले की जड़ तक जाता है. इस प्रकार अपील खारिज कर दी गई