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CONSTITUTION OF INDIA: अब संस्कृत में उपलब्ध होगा भारत का संविधान, 6 महीने में होगा प्रकाशन - UP News

अभी तक देश का संविधान हिंदी और अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है. विधि मंत्रालय की अधिकारी मुकुलिता कुलकर्णी के निर्देशन में संस्कृत भाषा में संविधान के प्रकाशन का कार्य तेजी से चल रहा है.

भारत का संविधान अब संस्कृत में भी होगा उपलब्ध.
भारत का संविधान अब संस्कृत में भी होगा उपलब्ध.
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Published : Jan 27, 2023, 8:42 PM IST

भारत का संविधान अब संस्कृत में भी होगा उपलब्ध.

वाराणसी: भारत देश का संविधान हिंदी और अंग्रेजी के साथ अब संस्कृत भाषा में भी उपलब्ध होगा. इसके लिए बकायदा विधि मंत्रालय ने काम शुरू कर दिया है. इस पहल के तहत आगामी 6 महीने में संस्कृत के संविधान का नया स्वरूप आम जनमानस को उपलब्ध हो जाएगा. इसको लेकर के तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. हिंदी और अंग्रेजी के साथ संस्कृत भाषा में भी संविधान तैयार करने की कवायद 1963 में ही शुरू हो गई थी. हालांकि 1985 के बाद इसे संशोधित नहीं किया गया, जिसके बाद 2019 में 11 सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिन्होंने संविधान का संशोधन किया और इसे नए प्रारूप में उपलब्ध कराया. अब विधि मंत्रालय द्वारा जल्द इसके प्रकाशन का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार सरकार प्रतिभाओं को अग्रसारित करने के लिए अपनी भाषा में अध्ययन अध्यापन की परंपरा को शुरू किया जा रहा है. इसी के तहत भारत के संविधान को भी संस्कृत में उपलब्ध कराने की योजना है. इसलिए आम जनमानस तक इसकी पहुंच को सुनिश्चित कराना आवश्यक है. इसी के क्रम में विधि मंत्रालय की अधिकारी मुकुलिता कुलकर्णी के निर्देशन में संस्कृत भाषा में संविधान के प्रकाशन का कार्य किया जा रहा है.

2019 में हुआ था संशोधन
प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि 1963 में पहली बार संस्कृत भाषा में संविधान का प्रकाशन हुआ. उसके बाद कुछ परिष्कार करके द्वितीय संस्करण 1985 में निकाला गया. लेकिन, उसके बाद जो भी त्रुटियां रहीं और नए संविधान संशोधन लागू किए गए उनका परिमार्जन उसमें नहीं किया गया. इसके बाद 2019 में पुनः संशोधन की प्रकिया पूरी की गई है.

करीब छह महिने में पूरा होगा प्रकाशन कार्य
प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि पहला और दूसरा संस्करण विधि मंत्रालय की ओर से प्रकाशित किया गया था. इसके बाद विधि मंत्रालय की ओर से प्रकाशन की प्रक्रिया की जाएगी. इसका काम लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय के द्वारा किया जा रहा है. इसकी जिम्मेदारी 5 विश्वविद्यालयों के कुलपति को दी गयी है, जिसमें दिल्ली, तिरुपति राष्ट्रीय केंद्रीय विद्यालय तिरुपति, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय यूपी, असम संस्कृत विश्वविद्यालय व कुछ विधि विशेषज्ञ और दो-तीन व्याकरण के आचार्य प्रकाशन, संशोधन के कार्य में शामिल हैं. हमें आशा नहीं पूरा विश्वास है कि 6 महीने के अंदर सभी मिलकर प्रकाशन के कार्य को पूरा करा देंगे, जिससे सरल सहज संस्कृत भाषा में लोगों तक संविधान पहुंच सकेगा.

ये भी पढ़ेंः 'Akhilesh Yadav स्वामी प्रसाद को समझ रहे लड्डू, पर वो हैं अंगारा', झांसी में डिप्टी सीएम का तीखा बयान

भारत का संविधान अब संस्कृत में भी होगा उपलब्ध.

वाराणसी: भारत देश का संविधान हिंदी और अंग्रेजी के साथ अब संस्कृत भाषा में भी उपलब्ध होगा. इसके लिए बकायदा विधि मंत्रालय ने काम शुरू कर दिया है. इस पहल के तहत आगामी 6 महीने में संस्कृत के संविधान का नया स्वरूप आम जनमानस को उपलब्ध हो जाएगा. इसको लेकर के तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. हिंदी और अंग्रेजी के साथ संस्कृत भाषा में भी संविधान तैयार करने की कवायद 1963 में ही शुरू हो गई थी. हालांकि 1985 के बाद इसे संशोधित नहीं किया गया, जिसके बाद 2019 में 11 सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिन्होंने संविधान का संशोधन किया और इसे नए प्रारूप में उपलब्ध कराया. अब विधि मंत्रालय द्वारा जल्द इसके प्रकाशन का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार सरकार प्रतिभाओं को अग्रसारित करने के लिए अपनी भाषा में अध्ययन अध्यापन की परंपरा को शुरू किया जा रहा है. इसी के तहत भारत के संविधान को भी संस्कृत में उपलब्ध कराने की योजना है. इसलिए आम जनमानस तक इसकी पहुंच को सुनिश्चित कराना आवश्यक है. इसी के क्रम में विधि मंत्रालय की अधिकारी मुकुलिता कुलकर्णी के निर्देशन में संस्कृत भाषा में संविधान के प्रकाशन का कार्य किया जा रहा है.

2019 में हुआ था संशोधन
प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि 1963 में पहली बार संस्कृत भाषा में संविधान का प्रकाशन हुआ. उसके बाद कुछ परिष्कार करके द्वितीय संस्करण 1985 में निकाला गया. लेकिन, उसके बाद जो भी त्रुटियां रहीं और नए संविधान संशोधन लागू किए गए उनका परिमार्जन उसमें नहीं किया गया. इसके बाद 2019 में पुनः संशोधन की प्रकिया पूरी की गई है.

करीब छह महिने में पूरा होगा प्रकाशन कार्य
प्रो. हरे राम त्रिपाठी ने बताया कि पहला और दूसरा संस्करण विधि मंत्रालय की ओर से प्रकाशित किया गया था. इसके बाद विधि मंत्रालय की ओर से प्रकाशन की प्रक्रिया की जाएगी. इसका काम लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय के द्वारा किया जा रहा है. इसकी जिम्मेदारी 5 विश्वविद्यालयों के कुलपति को दी गयी है, जिसमें दिल्ली, तिरुपति राष्ट्रीय केंद्रीय विद्यालय तिरुपति, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय यूपी, असम संस्कृत विश्वविद्यालय व कुछ विधि विशेषज्ञ और दो-तीन व्याकरण के आचार्य प्रकाशन, संशोधन के कार्य में शामिल हैं. हमें आशा नहीं पूरा विश्वास है कि 6 महीने के अंदर सभी मिलकर प्रकाशन के कार्य को पूरा करा देंगे, जिससे सरल सहज संस्कृत भाषा में लोगों तक संविधान पहुंच सकेगा.

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