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Constituency Delimitation: सत्तारूढ़ भाजपा-एजीपी गठबंधन में नाराजगी - draft delimitation of constituencies

भाजपा और एजीपी के कई नेताओं ने निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के मसौदे पर व्यापक गुस्सा व्यक्त किया है क्योंकि उनका राजनीतिक भविष्य अनिश्चित है. कई जगहों पर नेताओं ने सामने आकर पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय समर्थकों का समर्थन करते हुए मसौदे का विरोध करते हुए असंतोष जताया है.

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Published : Jun 28, 2023, 7:16 PM IST

गुवाहाटी: निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के मसौदे पर राज्यव्यापी प्रतिक्रिया जारी है. विशेष रूप से विपक्षी राजनीतिक दलों ने निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण के मसौदे पर व्यापक प्रतिक्रिया व्यक्त की है और विरोध भी जताया है. इस मसौदे से सिर्फ विपक्षी राजनीतिक दल ही नाखुश नहीं हैं बल्कि निर्वाचन क्षेत्र के नए स्वरूप के प्रस्तावित मसौदे को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और सहयोगी एजीपी के भीतर भी व्यापक असंतोष है.

गौरतलब है कि ड्राफ्ट में लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या तो पहले की तरह ही रखी गई है, लेकिन निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं में भारी बदलाव किया गया है. निर्वाचन क्षेत्रों को समाप्त करने और नए निर्वाचन क्षेत्रों के निर्माण के अलावा आरक्षण की व्यवस्था में भी भारी बदलाव किया गया है. इससे कई नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में सत्तारूढ़ दल के साथ-साथ सहयोगी एजीपी के नेताओं का एक वर्ग विपक्षी राजनीतिक दलों से नाखुश हो गया है.

विशेष रूप से बराक में सत्तारूढ़ दलों के बीच निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्देशन को लेकर मतभेद रहे हैं. करीमगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले विधायकों ने संतुष्टि व्यक्त की है जबकि सिलचर लोकसभा के अंतर्गत आने वाले विधायकों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है. सिलचर के सांसद डॉ. राजदीप रॉय पहले ही इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से चर्चा कर चुके हैं.

उधर, सिलचर सांसद ने मंत्री अशोक सिंघल से भी लंबी मुलाकात की. लेकिन इस बातचीत से कोई हल नहीं निकला. यह याद किया जा सकता है कि मंत्री अशोक सिंघल ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के निर्देश पर निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की पूरी प्रक्रिया की निगरानी की थी. ड्राफ्ट के प्रकाशन से पहले ही मंत्री सिंघल ने दिल्ली में डेरा डालकर सभी पहलुओं पर नजर रखी हुई थी.

उल्लेखनीय है कि निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण में मूल निवासियों को प्राथमिकता दिये जाने के मद्देनजर कई निर्वाचन क्षेत्रों में नवाचार (Innovation) किये गये हैं, जिससे कई निर्वाचन क्षेत्रों में असंतोष फैल गया है. गौरतलब है कि सांसद राजदीप रॉय ने मसौढ़ी में सिलचर लोकसभा क्षेत्र के आरक्षण पर आपत्ति जताई है.

इस बीच, कुछ अन्य सत्तारूढ़ दल के विधायकों द्वारा व्यक्त की गई संतुष्टि के मद्देनजर बराक भाजपा में ऊर्ध्वाधर विभाजन लगभग स्पष्ट है. भाजपा पार्टी और सरकार इस विभाजन को रोकने के लिए बहुत जल्दबाजी कर रही है.

इस बीच, भाजपा की सहयोगी एजीपी में निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण को लेकर व्यापक असंतोष फैल गया है. मंत्री अशोक सिंघल ने अपनी नाराजगी दूर करने के लिए एजीपी अमगुरी निर्वाचन क्षेत्र के विधायक प्रदीप हजारिका से बातचीत की. मंत्री सिंघल ने बराक के सत्तारूढ़ दल के सांसद डॉ. राजदीप रॉय और अन्य भाजपा विधायकों के साथ चर्चा करने के बाद अमगुरी विधायक प्रदीप हजारिका के साथ चर्चा की. इस बीच थौरा से सत्ता पक्ष के विधायक सुशांत बुरागोहेन ने भी मंत्री सिंघल से चर्चा की.

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सुशांत बुरागोहेन द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले थोरा निर्वाचन क्षेत्र को भी निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण के माध्यम से समाप्त कर दिया गया है. सुशांत भी इन बदलावों से नाखुश हैं. उल्लेखनीय है कि जहां एजीपी ने मसौदे का स्वागत किया है, वहीं अमगुरी से एजीपी विधायक प्रदीप हजारिका, छयगांव के पूर्व एजीपी विधायक और खादी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. कमला कलिता सहित कई नेताओं ने खुलकर अपना गुस्सा व्यक्त किया है.

चुनाव आयोग द्वारा जारी ड्राफ्ट में वरिष्ठ एजीपी नेता प्रदीप हजारिका की अमगुरी, छयगांव, जहां से डॉ. कमला कलिता पहले प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं और विधायक रामेंद्र नारायण कलिता की पश्चिम गुवाहाटी सीट को खत्म कर दिया गया है. चुनाव आयोग के ड्राफ्ट को लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी और सहयोगी एजीपी के कई नेता नाराज हैं. इसे देखते हुए सत्ताधारी दल और उसके सहयोगियों ने किसी भी समय बगावत की आशंका को देखते हुए विशेष सावधानी बरती है.

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गौरतलब है कि ड्राफ्ट में लोकसभा और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या तो पहले की तरह ही रखी गई है, लेकिन निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं में भारी बदलाव किया गया है. निर्वाचन क्षेत्रों को समाप्त करने और नए निर्वाचन क्षेत्रों के निर्माण के अलावा आरक्षण की व्यवस्था में भी भारी बदलाव किया गया है. इससे कई नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में सत्तारूढ़ दल के साथ-साथ सहयोगी एजीपी के नेताओं का एक वर्ग विपक्षी राजनीतिक दलों से नाखुश हो गया है.

विशेष रूप से बराक में सत्तारूढ़ दलों के बीच निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्देशन को लेकर मतभेद रहे हैं. करीमगंज लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले विधायकों ने संतुष्टि व्यक्त की है जबकि सिलचर लोकसभा के अंतर्गत आने वाले विधायकों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है. सिलचर के सांसद डॉ. राजदीप रॉय पहले ही इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा से चर्चा कर चुके हैं.

उधर, सिलचर सांसद ने मंत्री अशोक सिंघल से भी लंबी मुलाकात की. लेकिन इस बातचीत से कोई हल नहीं निकला. यह याद किया जा सकता है कि मंत्री अशोक सिंघल ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के निर्देश पर निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की पूरी प्रक्रिया की निगरानी की थी. ड्राफ्ट के प्रकाशन से पहले ही मंत्री सिंघल ने दिल्ली में डेरा डालकर सभी पहलुओं पर नजर रखी हुई थी.

उल्लेखनीय है कि निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण में मूल निवासियों को प्राथमिकता दिये जाने के मद्देनजर कई निर्वाचन क्षेत्रों में नवाचार (Innovation) किये गये हैं, जिससे कई निर्वाचन क्षेत्रों में असंतोष फैल गया है. गौरतलब है कि सांसद राजदीप रॉय ने मसौढ़ी में सिलचर लोकसभा क्षेत्र के आरक्षण पर आपत्ति जताई है.

इस बीच, कुछ अन्य सत्तारूढ़ दल के विधायकों द्वारा व्यक्त की गई संतुष्टि के मद्देनजर बराक भाजपा में ऊर्ध्वाधर विभाजन लगभग स्पष्ट है. भाजपा पार्टी और सरकार इस विभाजन को रोकने के लिए बहुत जल्दबाजी कर रही है.

इस बीच, भाजपा की सहयोगी एजीपी में निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण को लेकर व्यापक असंतोष फैल गया है. मंत्री अशोक सिंघल ने अपनी नाराजगी दूर करने के लिए एजीपी अमगुरी निर्वाचन क्षेत्र के विधायक प्रदीप हजारिका से बातचीत की. मंत्री सिंघल ने बराक के सत्तारूढ़ दल के सांसद डॉ. राजदीप रॉय और अन्य भाजपा विधायकों के साथ चर्चा करने के बाद अमगुरी विधायक प्रदीप हजारिका के साथ चर्चा की. इस बीच थौरा से सत्ता पक्ष के विधायक सुशांत बुरागोहेन ने भी मंत्री सिंघल से चर्चा की.

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सुशांत बुरागोहेन द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने वाले थोरा निर्वाचन क्षेत्र को भी निर्वाचन क्षेत्र के पुनर्निर्धारण के माध्यम से समाप्त कर दिया गया है. सुशांत भी इन बदलावों से नाखुश हैं. उल्लेखनीय है कि जहां एजीपी ने मसौदे का स्वागत किया है, वहीं अमगुरी से एजीपी विधायक प्रदीप हजारिका, छयगांव के पूर्व एजीपी विधायक और खादी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. कमला कलिता सहित कई नेताओं ने खुलकर अपना गुस्सा व्यक्त किया है.

चुनाव आयोग द्वारा जारी ड्राफ्ट में वरिष्ठ एजीपी नेता प्रदीप हजारिका की अमगुरी, छयगांव, जहां से डॉ. कमला कलिता पहले प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं और विधायक रामेंद्र नारायण कलिता की पश्चिम गुवाहाटी सीट को खत्म कर दिया गया है. चुनाव आयोग के ड्राफ्ट को लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी और सहयोगी एजीपी के कई नेता नाराज हैं. इसे देखते हुए सत्ताधारी दल और उसके सहयोगियों ने किसी भी समय बगावत की आशंका को देखते हुए विशेष सावधानी बरती है.

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