नई दिल्ली : वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को वायु प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए स्कूलों को बंद करने के साथ-साथ निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर रोक लगाने जैसे निवारक उपायों पर विचार करने की रविवार को सलाह दी. दिल्ली सरकार ने ऐसे ही उपाय लागू किए हैं.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में राज्य सरकारों और जिला प्रशासनों को भी सुझाव दिया गया है कि वे ‘क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के विभिन्न चरणों के दौरान उठाए जाने वाले कदमों पर जनता के लिए 'नागरिक चार्टर / सलाह' जारी करें.
दिल्ली सरकार ने शनिवार को स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों को सोमवार से एक सप्ताह के लिए बंद करने की घोषणा की थी. सभी सरकारी कार्यालयों, एजेंसियों और स्वायत्त निकायों के कर्मियों को घर से काम करने के लिए कहा गया है. हालांकि इसमें जरूरी सेवाएं शामिल नहीं हैं. राष्ट्रीय राजधानी में 17 नवंबर तक निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधि की इजाजत नहीं है.
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एक बयान में कहा गया है कि आपात बैठक में आयोग ने हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सरकारों को सलाह दी है कि वे संबंधित एनसीआर जिलों में दिल्ली सरकार द्वारा लागू किए गए उपायों पर विचार करें. आयोग ने संबंधित राज्यों और एजेंसियों को जीआरएपी के तहत सूचीबद्ध 'आपातकालीन उपायों' को लागू करने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा.
वायु गुणवत्ता को आपातकालीन श्रेणी में तब माना जाता है जब पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर 48 घंटे या उससे अधिक समय तक क्रमशः 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर बना रहता है.
आयोग ने यह भी कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के खराब होने का एक कारण यह भी है कि थार रेगिस्तान में धूल भरी आंधी से भारी मात्रा में धूल आई जिसने पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर बढ़ा दिया.
(पीटीआई-भाषा)