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ERCP पर मध्यप्रदेश और राजस्थान में बनी सहमति, दोनों राज्य अब सरकार के स्तर पर करेंगे चर्चा

Consensus reached on ERCP, पूर्वी राजस्थान कैनल प्रोजेक्ट को लेकर मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच सहमति बन गई है. बुधवार को दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय में आयोजित समन्वय बैठक में दोनों राज्यों में प्रारंभिक रूप से इस परियोजना को लेकर एक राय नजर आई. माना जा रहा है कि जनवरी के पहले सप्ताह में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री दिल्ली जाएंगे और MoU होगा.

Consensus reached on ERCP
Consensus reached on ERCP
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 27, 2023, 7:33 PM IST

नई दिल्ली/जयपुर. ईआरसीपी पर राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच सहमति बनने की प्रारंभिक सूचना के बाद अब दोनों राज्यों की सरकारों के स्तर पर चर्चा होगी. ERCP को लेकर नई दिल्ली के जल शक्ति मंत्रालय में बुधवार को अहम बैठक हुई थी. बैठक में राजस्थान से जल संसाधन विभाग के एसीएस सुबोध अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे, जिन्होंने बैठक में ईआरसीपी में आ रही अड़चनों से अवगत करवाया. राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच विवाद सुलझाने की पहल में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अहम भूमिका रही. दोनों राज्यों के उच्च अधिकारियों के बीच सकारात्मक रूप से आगे बढ़ने पर सहमति बन गई है. बैठक में मिले निर्देशों को लेकर दोनों ही राज्य अब सरकार के स्तर पर चर्चा करेंगे. चर्चा के बाद दोनों राज्य संशोधित डीपीआर के साथ आएंगे. माना जा रहा है अगली बैठक जनवरी के पहले सप्ताह में हो सकती है. इस बैठक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे और दोनों राज्यों के बीच MoU के होने की पूरी संभावना रहेगी.

गजेंद्र सिंह से मिले रामनिवास मीणा : बुधवार को दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय में हुई बैठक में राजस्थान नहर परियोजना किसान विकास समिति के प्रदेशाध्यक्ष रामनिवास मीणा ने भी शिरकत की. इस दौरान मंत्री गजेंद्र सिंह को ERCP परियोजना को घोषित करने की मांग को लेकर लिखित सुझाव सौंपा. मंत्री गजेंद्र सिंह ने भी भरोसा दिलाते हुए पूर्वी राजस्थान को जल्द ERCP की सौगात दिलाने की बात कही.

इसे भी पढ़ें - ERCP को लेकर दिल्ली में अहम बैठक आज, राजस्थान के 13 जिलों को होगा फायदा

गौरतलब है कि पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की प्यास बुझाने के लिए ईआरसीपी अहम परियोजना है. पिछले चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के बीच जमकर ईआरसीपी पर राजनीति हुई थी, लेकिन अब राजस्थान-मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही ईआरसीपी को लेकर राह खुलती हुई नजर आ रही है.

ये है ERCP का प्रोजेक्ट : पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) में कालीसिंध, पार्वती, मेज और चाकन उप-बेसिनों में उपलब्ध व्यर्थ बहने वाले मानसून के पानी का उपयोग किया जाना है. इसे बनास, गंभीरी, बाणगंगा के पानी की कमी वाले उप-बेसिनों में मोड़कर चंबल बेसिन के भीतर पानी के इंटर बेसिन ट्रांसफर की परिकल्पना की गई थी. योजना के पूरा होने पर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पीने और औद्योगिक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी. परियोजना में लगभग 2.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई को लेकर दृष्टिकोण रखा गया है.

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 13 जिलों के 83 विधानसभा क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट को चुनावी मुद्दा बनाया था. जाहिर है कि वसुंधरा राजे सरकार के दौरान इस परियोजना की परिकल्पना की गई थी. इस योजना पर 40 हज़ार करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है. योजना से लाभान्वित होने वाले जिलों में अलवर, दौसा, जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, बारां , झालावाड़, भरतपुर, धौलपुर और करौली शामिल हैं.

नई दिल्ली/जयपुर. ईआरसीपी पर राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच सहमति बनने की प्रारंभिक सूचना के बाद अब दोनों राज्यों की सरकारों के स्तर पर चर्चा होगी. ERCP को लेकर नई दिल्ली के जल शक्ति मंत्रालय में बुधवार को अहम बैठक हुई थी. बैठक में राजस्थान से जल संसाधन विभाग के एसीएस सुबोध अग्रवाल सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे, जिन्होंने बैठक में ईआरसीपी में आ रही अड़चनों से अवगत करवाया. राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच विवाद सुलझाने की पहल में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अहम भूमिका रही. दोनों राज्यों के उच्च अधिकारियों के बीच सकारात्मक रूप से आगे बढ़ने पर सहमति बन गई है. बैठक में मिले निर्देशों को लेकर दोनों ही राज्य अब सरकार के स्तर पर चर्चा करेंगे. चर्चा के बाद दोनों राज्य संशोधित डीपीआर के साथ आएंगे. माना जा रहा है अगली बैठक जनवरी के पहले सप्ताह में हो सकती है. इस बैठक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे और दोनों राज्यों के बीच MoU के होने की पूरी संभावना रहेगी.

गजेंद्र सिंह से मिले रामनिवास मीणा : बुधवार को दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय में हुई बैठक में राजस्थान नहर परियोजना किसान विकास समिति के प्रदेशाध्यक्ष रामनिवास मीणा ने भी शिरकत की. इस दौरान मंत्री गजेंद्र सिंह को ERCP परियोजना को घोषित करने की मांग को लेकर लिखित सुझाव सौंपा. मंत्री गजेंद्र सिंह ने भी भरोसा दिलाते हुए पूर्वी राजस्थान को जल्द ERCP की सौगात दिलाने की बात कही.

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गौरतलब है कि पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों की प्यास बुझाने के लिए ईआरसीपी अहम परियोजना है. पिछले चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के बीच जमकर ईआरसीपी पर राजनीति हुई थी, लेकिन अब राजस्थान-मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनते ही ईआरसीपी को लेकर राह खुलती हुई नजर आ रही है.

ये है ERCP का प्रोजेक्ट : पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) में कालीसिंध, पार्वती, मेज और चाकन उप-बेसिनों में उपलब्ध व्यर्थ बहने वाले मानसून के पानी का उपयोग किया जाना है. इसे बनास, गंभीरी, बाणगंगा के पानी की कमी वाले उप-बेसिनों में मोड़कर चंबल बेसिन के भीतर पानी के इंटर बेसिन ट्रांसफर की परिकल्पना की गई थी. योजना के पूरा होने पर पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को पीने और औद्योगिक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी. परियोजना में लगभग 2.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई को लेकर दृष्टिकोण रखा गया है.

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 13 जिलों के 83 विधानसभा क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट को चुनावी मुद्दा बनाया था. जाहिर है कि वसुंधरा राजे सरकार के दौरान इस परियोजना की परिकल्पना की गई थी. इस योजना पर 40 हज़ार करोड़ रुपए के व्यय का अनुमान है. योजना से लाभान्वित होने वाले जिलों में अलवर, दौसा, जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, बारां , झालावाड़, भरतपुर, धौलपुर और करौली शामिल हैं.

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