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गुजरात, राजस्थान में आदिवासियों को लुभाने की कोशिश कर रही कांग्रेस

गुजरात में इस साल और राजस्थान में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस अभी से आदिवासियों को लुभाने की कोशिश कर रही है. 'ईटीवी भारत' संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

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सोनिया राहुल
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Published : May 10, 2022, 9:00 AM IST

Updated : May 10, 2022, 9:08 AM IST

नई दिल्ली : गुजरात और राजस्थान में कांग्रेस आदिवासियों को लुभाने की पूरी कोशिश कर रही है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मंगलवार को गुजरात के दाहोद में पार्टी के आदिवासी अधिकार सत्याग्रह की शुरुआत करेंगे. वहीं, पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी (party chief Sonia Gandhi) और राहुल गांधी उदयपुर में तीन दिवसीय चिंतन शिविर (Chintan Shivir) के समापन अवसर पर 16 मई को राजस्थान के बांसवाड़ा में जनजातीय रैली को संबोधित करेंगे.

आदिवासी, पुरानी पार्टी (कांग्रेस) के पारंपरिक समर्थक रहे हैं. गुजरात की लगभग 47 विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव है. पार्टी के नेताओं ने पिछले कुछ महीनों में समुदाय की दुर्दशा को उजागर करने के लिए एक विरोध आंदोलन शुरू किया था. पार्टी ने प्रस्तावित पार-तापी-नर्मदा नदी जोड़ने की परियोजना (Par-Tapi-Narmada river linking project) के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया था. इसकी वजह से लगभग 50,000 परिवारों पर विस्थापन का खतरा है.

आदिवासी नेता, गुजरात सीएलपी नेता सुखराम राठवा ने कहा, 'हम आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं.' आदिवासी रैली के बाद राहुल पार्टी विधायकों से बातचीत करेंगे और क्षेत्र के आदिवासी नेताओं से भी मुलाकात करेंगे. गुजरात कांग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर (Gujarat Congress chief Jagdish Thakor) ने कहा, 'जल, जंगल, ज़मीन आदिवासियों के लिए हमारी प्रतिबद्धता रही है. ये केवल शब्द नहीं, शक्ति हैं. ये मूल्य और विश्वास हैं. अपनी शक्ति, मूल्यों और विश्वास की रक्षा के लिए, कांग्रेस तब तक लड़ेगी जब तक हम जीत नहीं जाते.'

कांग्रेस के एक नेता ने कहा, 'कांग्रेस पहले भी आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाती रही है. उन पर अत्याचार करना अपराध करना है.' मंगलवार को राहुल गांधी आदिवासी समुदाय के लिए कुछ वादों को सूचीबद्ध कर सकते हैं, जो पार्टी के सत्ता में आने पर लागू होंगे. राहुल पहले समुदाय के कल्याण के लिए केंद्र द्वारा स्थापित 5000 करोड़ रुपये के आदिवासी कोष पर सवाल उठा चुके हैं. राहुल ने कहा था कि पैसा कभी भी गरीब वनवासियों तक नहीं पहुंचा.

गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होंगे जबकि राजस्थान में 2023 में चुनाव होने हैं. कांग्रेस पिछले 27 वर्षों से पश्चिमी राज्य में सत्ता से बाहर है वहीं, राजस्थान में पार्टी के लिए चुनौती सत्ता बरकरार रखने की है. बांसवाड़ा रैली में सोनिया और राहुल दोनों समुदाय को संदेश देने की कोशिश करेंगे. वह अशोक गहलोत सरकार द्वारा किए गए कार्यों को उजागर करेंगे और अगले साल चुनाव जीतने पर उन्हें और अधिक विकास का वादा करेंगे.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, हाल ही में राज्य सरकार ने स्कूलों, अस्पतालों और यहां तक ​​कि उनके लिए एक संग्रहालय सहित समुदाय के कल्याण के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. आदिवासियों को गारंटीकृत अधिकारों का उल्लेख संविधान में किया गया है, कांग्रेस उनके लिए तब लड़ी थी और अब भी लड़ेगी.

पढ़ें- चिंतन शिविर कांग्रेस के पुनरुद्धार के संकल्प को मजबूत करेगा : जयराम रमेश

नई दिल्ली : गुजरात और राजस्थान में कांग्रेस आदिवासियों को लुभाने की पूरी कोशिश कर रही है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मंगलवार को गुजरात के दाहोद में पार्टी के आदिवासी अधिकार सत्याग्रह की शुरुआत करेंगे. वहीं, पार्टी सुप्रीमो सोनिया गांधी (party chief Sonia Gandhi) और राहुल गांधी उदयपुर में तीन दिवसीय चिंतन शिविर (Chintan Shivir) के समापन अवसर पर 16 मई को राजस्थान के बांसवाड़ा में जनजातीय रैली को संबोधित करेंगे.

आदिवासी, पुरानी पार्टी (कांग्रेस) के पारंपरिक समर्थक रहे हैं. गुजरात की लगभग 47 विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव है. पार्टी के नेताओं ने पिछले कुछ महीनों में समुदाय की दुर्दशा को उजागर करने के लिए एक विरोध आंदोलन शुरू किया था. पार्टी ने प्रस्तावित पार-तापी-नर्मदा नदी जोड़ने की परियोजना (Par-Tapi-Narmada river linking project) के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया था. इसकी वजह से लगभग 50,000 परिवारों पर विस्थापन का खतरा है.

आदिवासी नेता, गुजरात सीएलपी नेता सुखराम राठवा ने कहा, 'हम आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं.' आदिवासी रैली के बाद राहुल पार्टी विधायकों से बातचीत करेंगे और क्षेत्र के आदिवासी नेताओं से भी मुलाकात करेंगे. गुजरात कांग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर (Gujarat Congress chief Jagdish Thakor) ने कहा, 'जल, जंगल, ज़मीन आदिवासियों के लिए हमारी प्रतिबद्धता रही है. ये केवल शब्द नहीं, शक्ति हैं. ये मूल्य और विश्वास हैं. अपनी शक्ति, मूल्यों और विश्वास की रक्षा के लिए, कांग्रेस तब तक लड़ेगी जब तक हम जीत नहीं जाते.'

कांग्रेस के एक नेता ने कहा, 'कांग्रेस पहले भी आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठाती रही है. उन पर अत्याचार करना अपराध करना है.' मंगलवार को राहुल गांधी आदिवासी समुदाय के लिए कुछ वादों को सूचीबद्ध कर सकते हैं, जो पार्टी के सत्ता में आने पर लागू होंगे. राहुल पहले समुदाय के कल्याण के लिए केंद्र द्वारा स्थापित 5000 करोड़ रुपये के आदिवासी कोष पर सवाल उठा चुके हैं. राहुल ने कहा था कि पैसा कभी भी गरीब वनवासियों तक नहीं पहुंचा.

गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होंगे जबकि राजस्थान में 2023 में चुनाव होने हैं. कांग्रेस पिछले 27 वर्षों से पश्चिमी राज्य में सत्ता से बाहर है वहीं, राजस्थान में पार्टी के लिए चुनौती सत्ता बरकरार रखने की है. बांसवाड़ा रैली में सोनिया और राहुल दोनों समुदाय को संदेश देने की कोशिश करेंगे. वह अशोक गहलोत सरकार द्वारा किए गए कार्यों को उजागर करेंगे और अगले साल चुनाव जीतने पर उन्हें और अधिक विकास का वादा करेंगे.

एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, हाल ही में राज्य सरकार ने स्कूलों, अस्पतालों और यहां तक ​​कि उनके लिए एक संग्रहालय सहित समुदाय के कल्याण के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. आदिवासियों को गारंटीकृत अधिकारों का उल्लेख संविधान में किया गया है, कांग्रेस उनके लिए तब लड़ी थी और अब भी लड़ेगी.

पढ़ें- चिंतन शिविर कांग्रेस के पुनरुद्धार के संकल्प को मजबूत करेगा : जयराम रमेश

Last Updated : May 10, 2022, 9:08 AM IST
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