नई दिल्ली : कांग्रेस ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 'चीनी घुसपैठ' से सही तरीके से नहीं निपटने को लेकर सोमवार को केंद्र की आलोचना की (Congress slams Centre). कांग्रेस ने कहा कि सरकार को पड़ोसी देश को कोई और क्षेत्र नहीं देना चाहिए.
भारत और चीन के बीच अप्रैल 2020 से खूनी सीमा विवाद चल रहा है, जब बीजिंग ने जानबूझकर पूर्वी लद्दाख में एलएसी का उल्लंघन किया था. जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से भारत-चीन संबंधों में और गिरावट आई है, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और इतनी ही संख्या में चीनी सैनिक मारे गए थे.
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Here is our statement on a very worrisome newsitem in today's Telegraph on the border situation with China. https://t.co/7FKHXgz191 pic.twitter.com/l0p2QikVYI
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उसके बाद से दोनों देशों के शीर्ष सैन्य कमांडरों ने कई दौर की बातचीत की है लेकिन भारत अभी भी चीन पर पूरी तरह से पीछे हटने का आरोप नहीं लगाता है और कहता है कि इस स्थिति के कारण द्विपक्षीय संबंध 'असामान्य' हो गए हैं.
पिछले वर्षों में, कांग्रेस ने केंद्र पर बीजिंग को अप्रैल 2020 की यथास्थिति में लाने के बजाय कई गश्त बिंदुओं को चीन को सौंपने का आरोप लगाया है. कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने कहा,'डेपसांग के रणनीतिक क्षेत्र में भारतीय गश्ती दल को तीन साल से अधिक समय से प्रवेश से वंचित रखा गया है, जिसमें यथास्थिति में वापसी के कोई संकेत नहीं हैं. अब हमें पता चला है कि पीछे हटने की बात तो दूर, चीनी भारतीय क्षेत्र में 15-20 किमी और अंदर एक 'बफर जोन' की मांग कर रहे हैं. यह हमारी सही सीमा से 18 किमी पहले ही घुसपैठ कर चुका है.'
उन्होंने कहा कि 'मोदी सरकार पहले ही चीनी सैनिकों की वापसी के बदले में भारतीय क्षेत्र के अंदर बफर जोन के लिए सहमत होकर गालवान, पैंगोंग त्सो, गोगरा पोस्ट और हॉट स्प्रिंग्स में क्षेत्र को सौंप चुकी है.'
कांग्रेस ने केंद्र से चीन के सामने मजबूती से खड़े रहने का आग्रह करते हुए कहा कि बीजिंग को क्लीन चिट देने वाले पीएम मोदी के 2020 के बयान का पड़ोसी ने फायदा उठाया.
'क्लीन चिट' ने कमजोर कर दिया : रमेश ने कहा कि 'मोदी सरकार को चीन के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना चाहिए. भारत 1,000 वर्ग किमी क्षेत्र तक पहुंच नहीं खो सकता है. डेपसांग मैदान जो चीनी और पाकिस्तानी सेना को अलग करता है और लद्दाख की किसी भी रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.'
उन्होंने कहा कि '19 जून, 2020 को चीन को पीएम मोदी की सार्वजनिक 'क्लीन चिट' ने भारत की बातचीत की स्थिति को बेहद कमजोर कर दिया और देश इसके लिए भारी कीमत चुका रहा है. यह काफी बुरा है कि मोदी सरकार पिछले तीन वर्षों में यथास्थिति बहाल करने में विफल रही है. इसे बिगड़ने देना अक्षम्य होगा.'
इससे पहले कांग्रेस ने केंद्र पर चीन के खिलाफ कमजोर नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि बीजिंग पाकिस्तान को बढ़ावा दे रहा है, उनके सहयोग ने भारत के लिए दो-मोर्चे की सुरक्षा के लिए खतरा पेश किया.
कांग्रेस ने यह भी दावा किया है कि पिछली यूपीए सरकार ने चीनी आक्रमण का अधिक प्रभावी तरीके से जवाब दिया था. जयराम रमेश ने कहा कि 'चीन ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के लिए चीनी नामों का तीसरा सेट जारी किया, ऐसा पहले 2017 और 2021 में किया था. चीन को पीएम मोदी की क्लीन चिट और चीनी कार्रवाइयों पर उनकी वाक्पटु चुप्पी के लिए हम यही कीमत चुका रहे हैं.
लगभग तीन साल बाद, चीनी सेना ने हमारे गश्ती दल को रणनीतिक डेपसांग मैदानों तक पहुंच से वंचित करना जारी रखा है, जहां पहले हमारी अबाधित पहुंच थी. और अब 'चीनी' अरुणाचल प्रदेश में यथास्थिति को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं.
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