नई दिल्ली : लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह दावा भी किया कि यह सरकार लोकतंत्र और देश के लिए खतरा बनती जा रही है क्योंकि वह खुद तय करती है कि विपक्ष का कौन सा मुद्दा उचित है या अनुचित है. संसद के मानसून सत्र के लिए लोक सभा (Lok Sabha Monsoon Session) की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद उन्होंने कहा कि सरकार ने पेगासस मामला समेत कई मुद्दों पर चर्चा कराने की विपक्ष की मांग को अनसुना कर धड़ल्ले से विधेयक पारित कराये.
सरकार पर 'मनमानी' के आरोप
मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) के लिए लोकसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद चौधरी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, 'पहले यह कहा गया था कि सदन 13 अगस्त तक चलेगा. सरकार ने अचानक से फैसला किया कि सदन चलाने की जरूरत नहीं है.' उन्होंने कहा कि सरकार पेगासस मामला, महंगाई, केंद्रीय कृषि कानूनों और कोविड टीकाकरण को लेकर चर्चा चाहती थी.
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने कहा, 'हमारी मांग थी कि तीन काले कानून को रद्द किया जाए. जब पेगासस का मामला सामने आया तो हमने सरकार को समझाने की कोशिश की कि पेगासस कोई छोटा मुद्दा नहीं है, इस पर चर्चा करना चाहिए . लेकिन सरकार ने इस विषय पर चर्चा होने का मौका नहीं दिया.'
उन्होंने कहा, 'हमारी मांग जायज थी क्योंकि सरकार ने पेगासस के मामले पर लोकसभा में एक बयान दिया और राज्यसभा में दूसरा बयान दिया. रक्षा मंत्रालय एक बयान, विदेश मंत्रालय दूसरा और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तीसरा बयान देता है.' अधीर रंजन चौधरी ने इस बात पर जोर दिया, 'सरकार को हमारी मांग माननी चाहिए थी. सदन को सुचारू रूप से चलाना सरकार की जिम्मेदारी होती है.'
चौधरी ने कहा, 'विपक्ष का फर्ज होता है कि जनता की आवाज सदन में उठायी जाए. हमने अपना फर्ज निभाया है. हम किसानों, महंगाई और कोविड एवं टीकाकरण को मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए थी.' उन्होंने यह भी कहा, 'ओबीसी से संबंधित विधेयक आया और राज्य सरकारों के अधिकारों का मामला आया तो हमने सरकार को पूरी मदद की क्योंकि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल अपनी जिम्मेदारी जानते हैं.'
उन्होंने दावा किया, 'आज प्रधानमंत्री को पहली बार सदन में देखा. जब सारी चीजें खत्म हो गयी तो प्रधानमंत्री सदन में आए. इसका मतलब यह कि सदन को चलाने में सरकार की दिलचस्पी नहीं थी. सरकार की दिलचस्पी विधेयकों को धड़ल्ले से पारित कराने में थी. धड़ल्ले से विधेयक पारित कराये गये और विपक्ष को अनुसना किया गया.' चौधरी ने यह आरोप भी लगाया कि लोकसभा टीवी में विपक्ष की बातों को नहीं दिखाया जाता है.
उन्होंने कहा, 'लोकसभा टीवी हम सबका है. लोकसभा टीवी और संसद किसी पार्टी नहीं होते है. हमने कहा कि हम जो बात रखते हैं वो देश को दिखाया जाए. लेकिन नहीं दिखाया गया. सरकार खुद तय करती है कि कौन सी मांग जायज और कौन सी नाजायज है.'
बता दें कि बुधवार को संसद के मॉनसून सत्र के लिए लोकसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. पेगासस जासूसी मामला, तीन केंद्रीय कृषि कानून को वापस लेने की मांग सहित अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों के शोर-शराबे के कारण पूरे सत्र में सदन में कामकाज बाधित रहा और सिर्फ 22 प्रतिशत कार्य निष्पादन हुआ.
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सदन की बैठक बुधवार को आरंभ होने से पहले राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कक्ष में कई विपक्षी दलों की बैठक हुई जिसमें पेगासस मामला, किसान आंदोलन और कुछ अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति चर्चा की गई.
इस बैठक में खड़गे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी, जयराम रमेश एवं आनंद शर्मा, शिवसेना नेता संजय राउत, द्रमुक नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव और कई अन्य दलों के नेता शामिल हुए.
बता दें कि संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पेगासस सॉफ्टवेयर (Ashwini Vaishnaw Pegasus) के जरिए भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं. लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है तब अनधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है.
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क्या है पेगासस स्पाईवेयर ?
पेगासस एक पावरफुल स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर है, जो मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियां चुरा लेता है और उसे हैकर्स तक पहुंचाता है. इसे स्पाईवेयर कहा जाता है यानी यह सॉफ्टवेयर आपके फोन के जरिये आपकी जासूसी करता है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का दावा है कि वह इसे दुनिया भर की सरकारों को ही मुहैया कराती है. इससे आईओएस या एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम चलाने वाले फोन को हैक किया जा सकता है. फिर यह फोन का डेटा, ई-मेल, कैमरा, कॉल रिकॉर्ड और फोटो समेत हर एक्टिविटी को ट्रेस करता है.
संभल कर, जानिए कैसे होती है जासूसी ?
अगर यह पेगासस स्पाईवेयर आपके फोन में आ गया तो आप 24 घंटे हैकर्स की निगरानी में हो जाएंगे. यह आपको भेजे गए मैसेज को कॉपी कर लेगा. यह आपकी तस्वीरों और कॉल रिकॉर्ड तत्काल हैकर्स से साझा करेगा. आपकी बातचीत रिकॉर्ड किया जा सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा और पेगासस आपके फोन से ही आपका विडियो बनता रहेगा. इस स्पाईवेयर में माइक्रोफोन को एक्टिव करने की क्षमता है. इसलिए किसी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले चेक जरूर कर लें.
क्या है पेगासस स्पाईवेयर, जिसने भारत की राजनीति में तहलका मचा रखा है ?
कैसे फोन में आता है यह जासूस पेगासस ?
जैसे अन्य वायरस और सॉफ्टवेयर आपके फोन में आते हैं, वैसे ही पेगागस भी किसी मोबाइल फोन में एंट्री लेता है. इंटरनेट लिंक के सहारे. यह लिंक मेसेज, ई-मेल, वॉट्सऐप मेसेज के सहारे भेजे जाते हैं. 2016 में पेगासस की जासूसी के बारे में पहली बार पता चला. यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया कि उनके फोन में कई एसएमएस आए, जिसमें लिंक दिए गए थे. उन्होंने इसकी जांच कराई तो पता चला कि स्पाईवेयर का लिंक है. एक्सपर्टस के मुताबिक, यह पेगागस का सबसे पुराना संस्करण था. अब इसकी टेक्नॉलजी और विकसित हो गई है. अब यह 'जीरो क्लिक' के जरिये यानी वॉइस कॉलिंग के जरिये भी फोन में एंट्री ले सकता है .