नई दिल्ली : प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) की नई गाड़ी मर्सडीज़ मेबैक (MERCEDES MAYBACH ) चर्चा में है. मीडिया में सरकार के सूत्रों ने कहा कि गाड़ी की कीमत खबरों में चलाए गए 13 करोड़ से तीन गुना कम है, लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ (Congress spokesperson Gaurav Vallabh) ने इस पर अपने ही अंदाज में चुटकी लेते हुए कहा कि सरकार के जो सूत्र अपने पसंदीदा मीडिया के माध्यम से ऊल-जलूल खबरें निकलवाते हैं अब उन्हें इससे बाज आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि 'देश के प्रधानमंत्री खुद को फकीर बताते हैं लेकिन पिछले सात साल के कार्यकाल में अब तक पांच गाड़ियां बदल चुके हैं. शुरुआत महिंद्रा की स्कोर्पियो से जरूर हुई लेकिन उसके बाद प्रधानमंत्री ने 'मेक इन इंडिया' की तरफ पीछे मुड़ कर नहीं देखा. लगातार एक से एक इम्पोर्टेड गाड़ियों की सवारी करते रहे.'
गौरव वल्लभ ने कहा कि बीते सालों में अर्थव्यवस्था में गिरावट आने के कारण लोगों की नौकरियां गई हैं, उद्योग की आमदनी कम हुई है और छोटे कारोबरियों के काम धंधे चौपट हुए हैं. आज एक आम व्यक्ति मोटरसाइकिल से साधारण कार तक नहीं पहुंच पा रहा लेकिन प्रधानमंत्री ने करोड़ो रुपये की नई गाड़ी पर सवारी करना चुना है.
'सात साल में पांच गाड़ियां बदलीं'
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि वह भगवान से यही प्रार्थना करेंगे कि ऐसी फकीरी देश की सभी 140 करोड़ जनता को नसीब हो. गौरव वल्लभ ने कहा कि 'आज प्रधानमंत्री अपने लिए 8000 करोड़ का विमान खरीदते हैं, 20000 करोड़ की लागत से उनके लिए आवास और कार्यालय बनाने का काम चल रहा है. सात साल में पांच गाड़ियां तो अमरीका के राष्ट्रपति ने भी नहीं बदली होंगी लेकिन मोदी जी ने यह कारनामा कर दिखाया है.'
उन्होंने कहा कि 'वोकल फॉर लोकल', मेक इन इंडिया और 'आत्मनिर्भर भारत' का नारा देने वाले प्रधानमंत्री ने सात साल में मुड़ कर हिंदुस्तानी गाड़ी की तरफ नहीं देखा है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आज के बाद BJP और पीएमओ के लोगों को हर सवाल के जवाब में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का नाम लेना छोड़ देना चाहिए क्योंकि इन्होंने कभी न इतनी गाड़ियां बदलीं और न ही जनता के पैसे से अपने लिए महल बनवाए हैं.
पढ़ें- सरकार के अधिकारियों ने बताया, पीएम मोदी के काफिले में क्यों आई मर्सिडीज मेबैक S650 गार्ड
वहीं सरकारी पक्ष की बात करें तो प्रधानमंत्री की सुरक्षा एसपीजी के द्वारा संभाली जाती है. कौन सी गाड़ी उनके लिए बेहतर होगी यह निर्णय भी एसपीजी के द्वारा ही लिया जाता है. लेकिन कांग्रेस का कहना है कि बीएमडब्ल्यू, रेंज रोवर और लैंड क्रूज़र जैसी गाड़ियों में आखिर क्या खराबी थी जो अब 20 करोड़ की मर्सडीज़ मेबैक गाड़ी प्रधानमंत्री के लिए लाई गई है.
'मोदी सरकार ने 1600 करोड़ के सरकारी उपक्रम को 210 करोड़ में बेचा'
वहीं, गौरव वल्लभ ने कहा कि मोदी सरकार ने मुनाफे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई को उसके वास्तविक कीमत से कई गुना कम कीमत पर एक प्राइवेट कंपनी के हाथों बेच दिया. उन्होंने कहा कि सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को एक ऐसी कंपनी के हाथों में सौंपा जा रहा है जिसके पास इस क्षेत्र का कोई पूर्व अनुभव ही नहीं है. इस कंपनी के निजीकरण के लिए रिजर्व प्राइस 194 करोड़ तय की गई जबकि इस इकाई के पास जितनी जमीन है उसकी उत्तर प्रदेश के सर्कल रेट के हिसाब से ही कीमत 450 करोड़ थी.
इतना ही नहीं मौजूदा वर्ष में सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) के पास 1592 करोड़ के ऑर्डर भी थे जिससे उनका अनुमानित मुनाफ़ा 700 करोड़ से ज्यादा होना था. इसके अलवा बीते वित्तीय वर्ष में भी कंपनी लाभ में ही रही थी. ऐसे में इस सरकारी उपक्रम को 210 करोड़ जितनी कम कीमत पर बचने की क्या जरूरत सरकार को आन पड़ी.
गौरव वल्लभ ने खुलासा किया कि जब इस कंपनी को बेचा जा रहा था तब उसके लिए केवल दो कंपनियों ने बोली लगाई और दोनो कंपनियां आपस में संबंधित हैं क्योंकि दोनों कंपनियों के पैरेंट कंपनी के डायरेक्टर्स एक ही हैं. अलग-अलग सूत्रों से CEL की अनुमानित कीमत 1600 करोड़ के आस पास आंकी गई है. कांग्रेस ने मांग की है कि इस डील को तुरंत रोका जाना चाहिए और सरकार को तमाम सवालों के जवाब देने चाहिए.