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कांग्रेस का अनुसूचित जनजाति आयोग से वन अधिकार कानून के उल्लंघन पर संज्ञान लेने का अनुरोध

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Published : Jul 13, 2022, 2:14 PM IST

कांग्रेस ने जनहित में नए वन्य संरक्षण नियमों को वापस लेने का अनुरोध किया है. पार्टी ने आरोप लगाया कि नए वन्य संरक्षण नियमों से अनुसूचित जनजाति और वन्य क्षेत्र में रहने वाले अन्य पारंपरिक निवासियों (ओटीएफडी) की शक्ति कम होगी.

Congress requests the Scheduled Tribes Commission to take cognizance of the violation of the Forest Rights Act
कांग्रेस का अनुसूचित जनजाति आयोग से वन अधिकार कानून के उल्लंघन पर संज्ञान लेने का अनुरोध

नई दिल्ली: कांग्रेस ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से वन अधिकार कानून, 2006 के कथित ‘‘उल्लंघन’’ पर संज्ञान लेने और केंद्र को जनहित में नए वन्य संरक्षण नियमों को वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. पार्टी ने आरोप लगाया कि नए वन्य संरक्षण नियमों से अनुसूचित जनजाति और वन्य क्षेत्र में रहने वाले अन्य पारंपरिक निवासियों (ओटीएफडी) की शक्ति कम होगी, निर्वासन और विस्थापन होगा तथा इससे आदिवासी इलाकों में संघर्ष को बढ़ावा मिलेगा.

अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक विभागों के राष्ट्रीय संयोजक के. राजू ने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 29 जून को नए वन्य (संरक्षण) नियम, 2022 को अधिसूचित किया और आरोप लगाया कि पक्षकारों से विचार-विमर्श किए बिना ही इन नियमों को अधिसूचित किया गया है.

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एनसीएसटी को लिखे राजू के पत्र को ट्विटर पर साझा किया और नियमों को ‘आदिवासी विरोधी’ बताया. उन्होंने नए नियम लाने के केंद्र के कदम की आलोचना की. राजू ने अपने पत्र में कहा कि वन संरक्षण नियम, 2022 पहले 2003 के वन संरक्षण नियम और 2004, 2014 और 2017 में हुए संशोधनों के स्थान पर लाए गए हैं.

ये भी पढ़ें- शिवसेना ने राज्य विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए दावेदारी पेश की

राजू ने कहा कि वन संरक्षण नियम, 2022 एफआरए अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कानूनी औपचारिकताओं और वन्य जमीन के उपयोग में बदलाव से पहले ग्राम सभा की मंजूरी लेने को कमतर करके वन अधिकार अधिनियम, 2006 का पूरी तरह ‘उल्लंघन’ करता है. कांग्रेस नेता ने कहा कि वन संरक्षण नियम, 2022 की अधिसूचना से अनुसूचित जनजाति और ओटीएफडी के अधिकारों को तय किए बिना और ग्राम सभा की मंजूरी लिए बिना राज्यों में वन्य भूमि को विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं या खनन के लिए इस्तेमाल करने दिया जाएगा.

नई दिल्ली: कांग्रेस ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से वन अधिकार कानून, 2006 के कथित ‘‘उल्लंघन’’ पर संज्ञान लेने और केंद्र को जनहित में नए वन्य संरक्षण नियमों को वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. पार्टी ने आरोप लगाया कि नए वन्य संरक्षण नियमों से अनुसूचित जनजाति और वन्य क्षेत्र में रहने वाले अन्य पारंपरिक निवासियों (ओटीएफडी) की शक्ति कम होगी, निर्वासन और विस्थापन होगा तथा इससे आदिवासी इलाकों में संघर्ष को बढ़ावा मिलेगा.

अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक विभागों के राष्ट्रीय संयोजक के. राजू ने कहा कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 29 जून को नए वन्य (संरक्षण) नियम, 2022 को अधिसूचित किया और आरोप लगाया कि पक्षकारों से विचार-विमर्श किए बिना ही इन नियमों को अधिसूचित किया गया है.

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एनसीएसटी को लिखे राजू के पत्र को ट्विटर पर साझा किया और नियमों को ‘आदिवासी विरोधी’ बताया. उन्होंने नए नियम लाने के केंद्र के कदम की आलोचना की. राजू ने अपने पत्र में कहा कि वन संरक्षण नियम, 2022 पहले 2003 के वन संरक्षण नियम और 2004, 2014 और 2017 में हुए संशोधनों के स्थान पर लाए गए हैं.

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राजू ने कहा कि वन संरक्षण नियम, 2022 एफआरए अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कानूनी औपचारिकताओं और वन्य जमीन के उपयोग में बदलाव से पहले ग्राम सभा की मंजूरी लेने को कमतर करके वन अधिकार अधिनियम, 2006 का पूरी तरह ‘उल्लंघन’ करता है. कांग्रेस नेता ने कहा कि वन संरक्षण नियम, 2022 की अधिसूचना से अनुसूचित जनजाति और ओटीएफडी के अधिकारों को तय किए बिना और ग्राम सभा की मंजूरी लिए बिना राज्यों में वन्य भूमि को विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं या खनन के लिए इस्तेमाल करने दिया जाएगा.

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