नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा संसद में यह कहे जाने के एक दिन बाद कि चीन के साथ भारत के संबंध 'सामान्य नहीं' हैं, कांग्रेस ने मंगलवार को उनसे पूछा कि उन्होंने चीनी राजदूत को एक डिमार्शे जारी कर क्यों नहीं बुलाया. जैसा कि हम पाकिस्तान के उच्चायुक्त के साथ करते हैं. कांग्रेस संचार प्रभारी जयराम रमेश ने मंगलवार को इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि यदि भारत-चीन संबंध सामान्य नहीं थे, तो चीन को द्विपक्षीय व्यापार में लाभ की अनुमति क्यों दी गई. उन्होंने सवाल किया कि भारतीय सैनिकों ने रूस में चीनी सैनिकों के साथ संयुक्त अभ्यास क्यों किया.
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जयराम रमेश ने विदेश मंत्री से पूछा कि 2021-22 में 95 बिलियन डॉलर के आयात और 74 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे के साथ चीन पर हमारी व्यापार निर्भरता रिकॉर्ड उच्च स्तर पर क्यों है? हमारे सैनिकों ने सितंबर 2022 में रूस के वोस्तोक-22 अभ्यास में चीनी सैनिकों के साथ सैन्य अभ्यास क्यों किया. कांग्रेस नेता की टिप्पणी के एक दिन बाद विदेश मंत्री ने राहुल गांधी के बयान की आलोचना के साथ-साथ राहुल गांधी को फटकार भी लगाई थी.
रमेश ने कहा कि हम विदेश मंत्री से सहमत हैं कि हमारे जवानों को सम्मान मिलना चाहिए और उनकी सराहना की जानी चाहिए क्योंकि वे हमारे विरोधियों के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं. क्या यह सम्मान था जिसके कारण पीएम मोदी ने 19 जून, 2020 को 20 सैनिकों द्वारा हमारी सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने के बाद कहा था कि हमारे क्षेत्र में किसी ने प्रवेश नहीं किया है. गलवान घाटी में खूनी झड़पों के परिणामस्वरूप भारत-चीन संबंधों में गिरावट आई है और दोनों पक्षों के सेना कमांडरों के बीच कई दौर की शांति वार्ता के बावजूद सामान्य स्थिति तक नहीं पहुंचे हैं.
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रमेश के अनुसार, मंत्री ने दावा किया कि हम चीन को एलएसी की स्थिति को एकतरफा बदलने नहीं देंगे लेकिन उनका बयान सच नहीं था. रमेश ने कहा कि क्या पिछले दो वर्षों से देपसांग में 18 किमी की गहराई तक चीनी सैनिकों द्वारा एलएसी पर यथास्थिति नहीं बदली गई है? क्या यह इस तथ्य से बदल नहीं गया है कि हमारे सैनिक पूर्वी लद्दाख में 1,000 वर्ग किमी क्षेत्र तक पहुंचने में असमर्थ हैं, जहां वे पहले गश्त करते थे? क्या यह इस तथ्य से नहीं बदला है कि हम बफर जोन के लिए सहमत हुए हैं जो हमारे गश्ती दल को उन क्षेत्रों में जाने से रोकता है जहां वे पहले जा सकते थे? मंत्री कब स्पष्ट रूप से घोषणा करेंगे कि 2020 से पहले की यथास्थिति की बहाली हमारा उद्देश्य है.
राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने विदेश मंत्री की खिंचाई करते हुए कहा कि विदेश मंत्री कहते हैं हम चीन पर दबाव बना रहे हैं. फिर हमारा रूख विशुद्ध रूप से प्रतिक्रियात्मक क्यों है? 2020 से पहले की यथास्थिति की पूर्ण बहाली सुनिश्चित किए बिना हम कैलाश रेंज में अपनी लाभप्रद स्थिति से पीछे क्यों हट गए? हम अधिक आक्रामक क्यों नहीं हुए और चीनियों को पीछे हटने के लिए मजबूर करने के लिए जवाबी घुसपैठ क्यों नहीं की, जैसा कि हमने 1986 और 2013 में किया था? हम अपने दावे पर जोर देने के बजाय 'धारणा में अंतर' का हवाला देकर चीनी आक्रमण को वैध बनाना कब बंद करेंगे.