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हिमंत सरकार ने बिजली के दाम बढ़ाए तो गर्मी से बचने के लिए पेड़ के नीचे बैठे विधायक ! - विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दायमारी

कांग्रेस विधायक ने बिजली के बढ़े हुए दाम का विरोध करने के लिए पेड़ के नीचे बैठकर समय गुजारा. विधायक ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने पेड़ के नीचे बैठने की सलाह दी थी.

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कांग्रेस विधायक, हिमंत बिस्व सरमा
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Published : Jun 6, 2023, 7:33 PM IST

गुवाहाटी : असम में भयंकर गर्मी पड़ रही है. साथ ही बिजली के दाम भी बढ़ गए हैं. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दायमारी ने लोगों को पेड़ों के नीचे बैठने की सलाह दी है. इसी पर अमल करते हुए कांग्रेस के तीन बार के असम विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ मंगलवार को चिलचिलाती गर्मी के बीच पेड़ों के नीचे बैठे. पुरकायस्थ को मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष के सरकारी आवास के सामने एक पेड़ के नीचे कम से कम एक घंटे तक बैठे देखा गया.

पुरकायस्थ, जो प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, ने कहा, दरों में 30 से 70 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि हुई है. यह नागरिकों पर बहुत बड़ा बोझ है. ऐसे समय में जब कई राज्यों में कांग्रेस सरकारें लोगों को राहत दे रही हैं, भाजपा नेता असंवेदनशील टिप्पणी कर रहे हैं. उन्होंने कहा, स्पीकर दायमारी ने लोगों को जो सलाह दी है, एक जनप्रतिनिधि के रूप में, मुझे तुरंत इसका पालन करना चाहिए. इसलिए, मैं उनके आवास के सामने गया और वहां एक घंटे तक पेड़ों के नीचे रहा, लेकिन मैंने उन्हें वहां नहीं देखा.

पुरकायस्थ ने अपने चुनावी वादे को पूरा नहीं करने के लिए भाजपा पर निशाना साधा. चुनाव से पहले, भाजपा ने असम के लोगों को 24 घंटे निर्बाध बिजली देने का वादा किया था, लेकिन अब सत्ता पक्ष नागरिकों को मूर्ख बनाने में व्यस्त है. उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह कम से कम अगले पांच दिनों के लिए दायमारी के सरकारी आवास के सामने पेड़ों के नीचे बैठेंगे. इससे पहले, दायमारी ने कहा था: बिजली की दरें बढ़ गई हैं, और लोगों को बिजली के बिलों को बचाने के लिए पंखों के अत्यधिक उपयोग से बचना चाहिए। इसके बजाय, बढ़ती दरों का मुकाबला करने के लिए सभी को पेड़ों के नीचे बैठना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि असम सरकार खुद उपभोक्ताओं की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त बिजली का उत्पादन नहीं करती है और आपूर्ति के लिए राज्य निजी कंपनियों पर बहुत अधिक निर्भर है. दायमारी ने कहा था, अगर बिजली कंपनियां टैरिफ बढ़ा रही हैं, तो राज्य सरकार को इसे उपभोक्ताओं पर डालना चाहिए, और लोगों को भुगतान करना होगा. इसलिए, मेरा मानना है कि बिजली दरों में वृद्धि कोई मुद्दा नहीं है, और उपभोक्ताओं को बिलों का भुगतान करना चाहिए. हालांकि, उनकी टिप्पणी विपक्ष को अच्छी नहीं लगी और नागरिकों का एक वर्ग भी उनकी आलोचना कर रहा है.

ये भी पढ़ें : Cannes 2023 में असम का जलवा, देसी कॉस्ट्यूम में इंटरनेशनल मॉडल्स ने रेड कार्पेट पर चल लूटी महफिल

(आईएएनएस)

गुवाहाटी : असम में भयंकर गर्मी पड़ रही है. साथ ही बिजली के दाम भी बढ़ गए हैं. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दायमारी ने लोगों को पेड़ों के नीचे बैठने की सलाह दी है. इसी पर अमल करते हुए कांग्रेस के तीन बार के असम विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ मंगलवार को चिलचिलाती गर्मी के बीच पेड़ों के नीचे बैठे. पुरकायस्थ को मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष के सरकारी आवास के सामने एक पेड़ के नीचे कम से कम एक घंटे तक बैठे देखा गया.

पुरकायस्थ, जो प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, ने कहा, दरों में 30 से 70 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि हुई है. यह नागरिकों पर बहुत बड़ा बोझ है. ऐसे समय में जब कई राज्यों में कांग्रेस सरकारें लोगों को राहत दे रही हैं, भाजपा नेता असंवेदनशील टिप्पणी कर रहे हैं. उन्होंने कहा, स्पीकर दायमारी ने लोगों को जो सलाह दी है, एक जनप्रतिनिधि के रूप में, मुझे तुरंत इसका पालन करना चाहिए. इसलिए, मैं उनके आवास के सामने गया और वहां एक घंटे तक पेड़ों के नीचे रहा, लेकिन मैंने उन्हें वहां नहीं देखा.

पुरकायस्थ ने अपने चुनावी वादे को पूरा नहीं करने के लिए भाजपा पर निशाना साधा. चुनाव से पहले, भाजपा ने असम के लोगों को 24 घंटे निर्बाध बिजली देने का वादा किया था, लेकिन अब सत्ता पक्ष नागरिकों को मूर्ख बनाने में व्यस्त है. उन्होंने यह भी घोषणा की कि वह कम से कम अगले पांच दिनों के लिए दायमारी के सरकारी आवास के सामने पेड़ों के नीचे बैठेंगे. इससे पहले, दायमारी ने कहा था: बिजली की दरें बढ़ गई हैं, और लोगों को बिजली के बिलों को बचाने के लिए पंखों के अत्यधिक उपयोग से बचना चाहिए। इसके बजाय, बढ़ती दरों का मुकाबला करने के लिए सभी को पेड़ों के नीचे बैठना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि असम सरकार खुद उपभोक्ताओं की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त बिजली का उत्पादन नहीं करती है और आपूर्ति के लिए राज्य निजी कंपनियों पर बहुत अधिक निर्भर है. दायमारी ने कहा था, अगर बिजली कंपनियां टैरिफ बढ़ा रही हैं, तो राज्य सरकार को इसे उपभोक्ताओं पर डालना चाहिए, और लोगों को भुगतान करना होगा. इसलिए, मेरा मानना है कि बिजली दरों में वृद्धि कोई मुद्दा नहीं है, और उपभोक्ताओं को बिलों का भुगतान करना चाहिए. हालांकि, उनकी टिप्पणी विपक्ष को अच्छी नहीं लगी और नागरिकों का एक वर्ग भी उनकी आलोचना कर रहा है.

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(आईएएनएस)

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