नई दिल्ली: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक सुसाइड नोट को लेकर उनके द्वारा किये गये मजाक को लेकर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मजाक पर दिल खोलकर हंसने वालों को खुद को बेहतर तरीके से शिक्षित करना चाहिए.
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Depression and suicide, especially among the youth IS NOT a laughing matter.
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According to NCRB data, 164033 Indians committed suicide in 2021. Of which a huge percentage were below the age of 30. This is a tragedy not a joke.
The Prime Minister and those laughing heartily at… pic.twitter.com/yoPt5c8Kx7
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— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 27, 2023
According to NCRB data, 164033 Indians committed suicide in 2021. Of which a huge percentage were below the age of 30. This is a tragedy not a joke.
The Prime Minister and those laughing heartily at… pic.twitter.com/yoPt5c8Kx7Depression and suicide, especially among the youth IS NOT a laughing matter.
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 27, 2023
According to NCRB data, 164033 Indians committed suicide in 2021. Of which a huge percentage were below the age of 30. This is a tragedy not a joke.
The Prime Minister and those laughing heartily at… pic.twitter.com/yoPt5c8Kx7
दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को एक मीडिया चैनल के कॉन्क्लेव में बोलते हुए एक चुटकुला सुनाया कि कैसे एक प्रोफेसर ने अपनी बेटी द्वारा सुसाइड नोट पढ़ते हुए टिप्पणी की, कि कैसे इतने सालों के प्रयासों के बावजूद उसकी स्पेलिंग गलत हो गई थी. प्रधानमंत्री द्वारा यह टिप्पणी करते हुए मजाक बनाया गया था कि चैनल के प्रधान संपादक ने हिंदी में अच्छा बोलना शुरू कर दिया है.
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कॉन्क्लेव में मोदी के मजाक के वीडियो को टैग करते हुए प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट में कहा कि डिप्रेशन और आत्महत्या, विशेष रूप से युवाओं में हंसी का विषय नहीं है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में 164033 भारतीयों ने आत्महत्या की, जिनमें से एक बड़ा प्रतिशत था 30 साल से कम उम्र है. उन्होंने कहा कि यह एक त्रासदी है मजाक नहीं.
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कांग्रेस महासचिव ने ट्विटर पर कहा कि प्रधानमंत्री और उनके मजाक पर दिल खोलकर हंसने वालों को खुद को बेहतर तरीके से शिक्षित करना चाहिए और इस असंवेदनशील तरीके से मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का उपहास करने के बजाय जागरूकता पैदा करनी चाहिए.
(पीटीआई)