नई दिल्ली: कांग्रेस ने गुरुवार को एग्जिट पोल से सहमति जताई जिसमें छत्तीसगढ़ में सबसे पुरानी पार्टी आगे दिख रही थी. हालांकि उसने मध्य प्रदेश में करीबी मुकाबला दिखाने वाले एग्जिट पोल को खारिज कर दिया और कहा कि वह राजस्थान में आधिकारिक परिणाम का इंतजार करेगी जहां एग्जिट पोल में उसे फायदा मिलने का अनुमान लगाया गया था.
कांग्रेस को मध्य प्रदेश में भाजपा को हराने और पार्टी शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद है. 2018 में कांग्रेस ने तीनों राज्यों में जीत हासिल की थी लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में चले जाने के बाद कमलनाथ सरकार गिर गई थी.
एआईसीसी के छत्तीसगढ़ प्रभारी सचिव चंदन यादव ने ईटीवी भारत से कहा, 'एग्जिट पोल हमारे अनुमान के करीब ही लग रहे हैं. छत्तीसगढ़ हमेशा कांग्रेस के साथ था और हम वहां सरकार बना रहे हैं. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हम राज्य में राजनीतिक कथानक पर हावी थे. हमारा आख्यान स्थानीय गौरव और भूपेश बघेल सरकार के ग्रामीण-केंद्रित शासन पर केंद्रित है. हमने 2018 में जो वादा किया था उसे पूरा किया और 2023 में केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा, धान के लिए बेहतर कीमत, महिलाओं को प्रति वर्ष 15,000 रुपये, तेंदू पत्तों के लिए बेहतर कीमत जैसे हमारे सामाजिक कल्याण जाल को व्यापक और गहरा किया.'
यादव ने कहा कि 'हमारे पास मुख्यमंत्री बघेल से लेकर डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव, पीसीसी प्रमुख दीपक बैज, राज्य इकाई प्रमुख मोहन मरकाम, विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत से लेकर सांसद ताम्रध्वज साहू तक नेतृत्व की एक श्रृंखला थी. इसकी तुलना में भाजपा के पास केवल पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ही थे. इसलिए पीएम मोदी को राज्य में चुनाव प्रचार में इतना समय देना पड़ा.'
उन्होंने कहा कि 'जैसे-जैसे हमारा राजनीतिक आख्यान हावी हुआ, भाजपा को उसका मुकाबला करने के लिए 'मोदी की गारंटी' के साथ आने के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन वे बुरी तरह असफल रहे. भाजपा राज्य चुनावों में ध्रुवीकरण नहीं कर सकी और जब उसने हमारे सामाजिक कल्याण और शासन रिकॉर्ड से मेल खाने की कोशिश की, तो मतदाताओं को अंतर दिखाई दे गया. इसके अलावा, हमारे 2018 के चुनावी वादों की अच्छी डिलीवरी ने सुनिश्चित किया कि बघेल सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं थी.'
कांग्रेस ने मध्य प्रदेश एग्जिट पोल को खारिज कर दिया, जिसमें दिखाया गया था कि भाजपा और सबसे पुरानी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर थी. एमपी के प्रभारी एआईसीसी सचिव सीपी मित्तल ने बताया, 'हमें नहीं लगता कि एग्ज़िट पोल सही तस्वीर पेश कर रहे हैं. हम राज्य में पूर्ण बहुमत हासिल कर रहे हैं और सरकार बना रहे हैं. जब हमारे अनुमान के मुताबिक नतीजे आएंगे तो वास्तविक संख्या में कुछ बदलाव हो सकता है. मध्य प्रदेश में भाजपा बंटी हुई थी और भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ भारी जनाक्रोश था.'
हालांकि, कांग्रेस ने राजस्थान एग्जिट पोल में बीजेपी को फायदा दिखाने पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. एआईसीसी के राजस्थान प्रभारी सचिव वीरेंद्र राठौड़ ने कहा, 'हम नंबर गेम में नहीं पड़ना चाहेंगे. हम आधिकारिक नतीजे का इंतजार करना चाहेंगे.'
हालांकि एआईसीसी पदाधिकारी अपने दृष्टिकोण में सतर्क थे, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एग्जिट पोल आने से पहले ही उन्हें खारिज कर दिया था. गहलोत ने कहा, 'एग्जिट पोल या विश्लेषक जो भी कहें, उसके बावजूद हम राज्य में फिर से सरकार बनाएंगे. मैंने पार्टी के सामाजिक कल्याण एजेंडे को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और मुझे विश्वास है कि मतदाताओं ने इसका जवाब दिया है. हमारी अपनी प्रतिक्रिया से पता चला है कि कांग्रेस सत्ता में वापस आ रही है.'