पुडुचेरी: पुडुचेरी विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य के सभी राजनीतिक दल प्रचार अभियान में कूद पड़े हैं. राज्य में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए इस चुनाव में करो या मरो की स्थिति है. बता दें, पुडुचेरी में कांग्रेस पार्टी के लिए एक ऐसी लड़ाई है, जो देश के दक्षिणी हिस्से में अपने संकट को बचाने की जद्दोजहद में जुटी है. केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी दक्षिण भारत की एकलौती जगह है, जहां कांग्रेस पार्टी सत्ता में है.
बता दें, पूरी दुनिया में अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध पुडुचेरी में 6 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. यहां दो पार्टियों संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(AINR Cong और बीजेपी-एआईएडीएमके) के बीच मुकाबला है.
राज्य की कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ी मुसीबत विधायकों का पाला बदलना है. बता दें, पुडुचेरी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के 5 विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था. समय की नजाकत को देखते हुए बीजेपी ने इनमें से 4 को इस विधानसभा चुनाव में टिकट दिया है. हालांकि तमिलनाडु में द्रविड़ियन पार्टी राज्य की प्रमुख पार्टी है, लेकिन अब परिदृश्य बदल रहा है. राज्य की डीमके पार्टी जहां 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं कांग्रेस 14 सीटों पर अपनी किस्मत अजमा रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री और एनआर कांग्रेस नेता रंगासामी के खिलाफ आंध्र प्रदेश में पूर्वी गोदावरी जिले की सीमा से अलग हुए यानम निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी ने चुनाव लड़ने का एक भी मौका नहीं छोड़ा है. इस मामले पर नारायणसामी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम उस सीट पर व्यक्तिगत उम्मीदवारों का समर्थन करने जैसे अन्य विकल्पों को देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे विधायक मल्लादी कृष्णा राव ने अंतिम समय पर पार्टी छोड़ दी और हमारे पास वहां कोई उम्मीदवार नहीं था. मल्लादी कृष्णा राव ने 25 से अधिक वर्षों तक यानम निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. मल्लादी कृष्णा राव ने नारायणसामी सरकार में प्रमुख मंत्रालय भी संभाले थे.
कांग्रेस पार्टी ने इस बार पुडुचेरी विधानसभा चुनाव में नारायणसामी को टिकट नहीं दिया. पुडुचेरी कांग्रेस समिति के सूत्रों का कहना है कि वह पार्टी और जनता दोनों में लोकप्रिय नहीं हैं. राज्य सरकार इन दिनों विरोधों का सामना कर रही है. जहां विपक्षी पार्टी उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है, वहीं जनता भी महसूस कर रही है कि इस सरकार का शासन बेहद खराब है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से एक मछुआरे ने नाराणसामी की शिकायत करते हुए कहा कि चक्रवात के बाद वह किसी से भी मिलने नहीं आए, लेकिन उन्होंने गलत बयानबाजी करते हुए कहा कि मैंने चक्रवात के दौरान सभी इलाकों का दौरा किया और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराईं. इसके बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसने पार्टी की संभावनाओं पर पानी फेर दिया.
चुनाव प्रचार की समाप्ति को केवल 15 दिन बचे हैं, ऐसे में नारायणसामी केवल सहायकों और कार्यकर्ताओं संग अपने कार्यालय में बैठे हैं. इन सबके बावजूद भी नारायणसामी को अपनी पार्टी की जीत का भरोसा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने एग्जिट पोल को एकसिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि जनमत सर्वेक्षण एक जनमत सर्वेक्षण है. जमीनी हकीकत यह है कि पुडुचेरी की जनता भारतीय जनता पार्टी को कतई पसंद नहीं करती. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री का भी मानना है कि जनता में कांग्रेस पार्टी के प्रति सहानुभूति है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि राज्य की पूर्व उप राज्यपाल किरण बेदी ने हमारी सभी विकास परियोजनाओं को रोक दिया और शासन के कार्यों में बाधा डाली, इसके बावजूद भी हमने अपने वादों को पूरा किया.
जहां कांग्रेस कार्यालय में सन्नाटा पसरा है, वहीं भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में भारी भीड़ उमड़ी है. देश के उत्तरी हिस्सों के कई कार्यकर्ता पार्टी की जीत के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. भाजपा ने राजधानी शहर से 130 किलोमीटर दूर कराईकल क्षेत्र में उड़ान भरने के लिए हेलिकॉप्टर किराए पर लिए हैं. जिसमें 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. तमिलनाडु के राजनेता बार-बार कह रहे हैं कि भाजपा अपने चुनाव प्रचार से तमिलनाडु में पैर नहीं जमा सकती, लेकिन बीजेपी इस ओर ध्यान नहीं दे रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित तमाम नेता बार-बार दौरा कर रहे हैं. भाजपा तमिलनाडु की बजाय पुडुचेरी पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि पार्टी को लग रहा कि वे इस बार यहां सत्ता पर काबिज हो सकती है.
लेकिन, राज्य के लोगों को भाजपा के बारे में भी चिंता है. पेट्रोल और गैस सिलेंडर जैसे आवश्यक वस्तुओं के दामों में निरंतर वृद्धि लोगों को पच नहीं रही है. कई शिक्षित युवाओं को लगता है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने पुडुचेरी के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने राज्य सरकार का भी साथ नहीं दिया. विधानसभा चुनाव के ठीक 6 महीने पहले भाजपा ने लोगों द्वारा चुनी गई सरकार को गिरा दिया, जो सरासर गलत है. भाजपा के हारने का एक बड़ा कारण यह हो सकता है. वहीं, इस गठबंधन के कारण रंगासामी चुनाव हार सकते हैं.
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भारतीय जनता पार्टी जब से सत्ता में आई है तभी से कांग्रेस मुक्त भारत की बात कह रही है. बता दें, पूरे भारत के तीन राज्यों पंजाब, केरल और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है. कांग्रेस के लिए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव एक अवसर लेकर आया है, देखना होगा कि कांग्रेस की किस्मत खुलती है कि नहीं.