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पंजाब कांग्रेस की अंदरूनी कलह पर कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने दी सफाई - Punjab Congress crisis still doesn't seem to be sorted

पंजाब में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति के बाद भी, कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के भीतर अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है. पढ़ें पूरी खबर...

कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर
कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर
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Published : Sep 21, 2021, 12:34 AM IST

नई दिल्ली: पंजाब में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति के बाद भी कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के भीतर अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है. इस क्रम में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व चीफ सुनील जाखड़ ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत के ट्वीट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि चुनाव सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि यह बयान सीएम के अधिकार को कमजोर कर सकता है.

हालांकि, इस बयान के बाद पार्टी को डैमेज कंट्रोल मोड में देखा गया क्योंकि कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने इस मामले पर कहा, 'हमारी पार्टी में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रमुख सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है और उसके पास इसकी जिम्मेदारी है. इसलिए, यह स्पष्ट है कि वह संगठन की देखभाल करेंगे और उनके नेतृत्व में पीसीसी आगामी चुनाव लड़ेगी.

ईटीवी भारत से बात तारिक अनवर

जाखड़ के बयान पर उन्होंने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, एक लोकतांत्रिक पार्टी में लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन यह बहुत स्पष्ट है कि पार्टी को चरणजीत सिंह चन्नी पर पूरा भरोसा है और अगला चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी ऐसा ही प्रयास करते हुए कहा, 'मीडिया कृपया भ्रम न फैलाएं और एक दलित मुख्यमंत्री पर हमला करना बंद करें. चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री और सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष के रूप में हमारा चेहरा होंगे.'

हरीश रावत के इस बयान को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने भी यह कहकर आलोचना का सामना करना पड़ा कि चन्नी को पंजाब का सीएम नियुक्त करने का कांग्रेस का कदम एक चुनावी हथकंडा है और पार्टी को दलितों पर पूरा भरोसा नहीं है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस पंजाब में शिअद-बसपा गठबंधन से डरी हुई है.

मायावती के इस बयान पर तारिक अनवर ने जवाब दिया, कांग्रेस ने उन्हें एक पूर्ण मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया है. वह एक सक्षम नेता हैं. उन्हें दया से पद नहीं दिया गया है. वह सीएलपी नेता, एक मंत्री भी थे और पार्टी में उनका बहुत बड़ा योगदान है.

उन्होंने मायावती पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, लोग इस बात को स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि कांग्रेस ने दलित सीएम की नियुक्ति का ऐसा कदम उठाया है, खासकर वे जो खुद को दलितों का 'मसीहा' मानते थे. इस तरह के बयान न्यायसंगत हैं. अपनी निराशा व्यक्त कर रहे हैं.

इस बीच, चरणजीत सिंह चन्नी की नियुक्ति नवजोत सिंह सिद्धू के लिए फायदे की स्थिति में बदल सकती है. हरीश रावत की घोषणा के अनुसार, पार्टी पंजाब PCC के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी. यदि सिद्धू आगामी चुनावों में पार्टी का बेहतर प्रदर्शन करने में सफल हो जाते हैं, तो वह कांग्रेस के लिए सीएम चेहरा हो सकते हैं.

पढ़ें : सिर्फ दलित कार्ड से पंजाब की सत्ता में वापसी कर पाएगी कांग्रेस ?

बता दें, सिद्धू ने एक दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब के सीएम के रूप में चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. एक जाट सिख सुखजिंदर सिंह रंधावा का विरोध करने का कदम उनके भविष्य के पहलुओं को खुला रखेगा क्योंकि सीएम की दौड़ में उनके खिलाफ कोई दावेदार नहीं होगा।. हालांकि, अगर चन्नी को आगामी चुनावों में दलित वोट मिलते हैं तो खेल बदला जा सकता है.

नई दिल्ली: पंजाब में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति के बाद भी कांग्रेस पार्टी की राज्य इकाई के भीतर अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है. इस क्रम में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व चीफ सुनील जाखड़ ने पार्टी के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत के ट्वीट पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया कि चुनाव सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि यह बयान सीएम के अधिकार को कमजोर कर सकता है.

हालांकि, इस बयान के बाद पार्टी को डैमेज कंट्रोल मोड में देखा गया क्योंकि कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने इस मामले पर कहा, 'हमारी पार्टी में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रमुख सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति है और उसके पास इसकी जिम्मेदारी है. इसलिए, यह स्पष्ट है कि वह संगठन की देखभाल करेंगे और उनके नेतृत्व में पीसीसी आगामी चुनाव लड़ेगी.

ईटीवी भारत से बात तारिक अनवर

जाखड़ के बयान पर उन्होंने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, एक लोकतांत्रिक पार्टी में लोगों को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन यह बहुत स्पष्ट है कि पार्टी को चरणजीत सिंह चन्नी पर पूरा भरोसा है और अगला चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी ऐसा ही प्रयास करते हुए कहा, 'मीडिया कृपया भ्रम न फैलाएं और एक दलित मुख्यमंत्री पर हमला करना बंद करें. चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री और सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष के रूप में हमारा चेहरा होंगे.'

हरीश रावत के इस बयान को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने भी यह कहकर आलोचना का सामना करना पड़ा कि चन्नी को पंजाब का सीएम नियुक्त करने का कांग्रेस का कदम एक चुनावी हथकंडा है और पार्टी को दलितों पर पूरा भरोसा नहीं है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस पंजाब में शिअद-बसपा गठबंधन से डरी हुई है.

मायावती के इस बयान पर तारिक अनवर ने जवाब दिया, कांग्रेस ने उन्हें एक पूर्ण मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया है. वह एक सक्षम नेता हैं. उन्हें दया से पद नहीं दिया गया है. वह सीएलपी नेता, एक मंत्री भी थे और पार्टी में उनका बहुत बड़ा योगदान है.

उन्होंने मायावती पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, लोग इस बात को स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि कांग्रेस ने दलित सीएम की नियुक्ति का ऐसा कदम उठाया है, खासकर वे जो खुद को दलितों का 'मसीहा' मानते थे. इस तरह के बयान न्यायसंगत हैं. अपनी निराशा व्यक्त कर रहे हैं.

इस बीच, चरणजीत सिंह चन्नी की नियुक्ति नवजोत सिंह सिद्धू के लिए फायदे की स्थिति में बदल सकती है. हरीश रावत की घोषणा के अनुसार, पार्टी पंजाब PCC के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी. यदि सिद्धू आगामी चुनावों में पार्टी का बेहतर प्रदर्शन करने में सफल हो जाते हैं, तो वह कांग्रेस के लिए सीएम चेहरा हो सकते हैं.

पढ़ें : सिर्फ दलित कार्ड से पंजाब की सत्ता में वापसी कर पाएगी कांग्रेस ?

बता दें, सिद्धू ने एक दलित नेता चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब के सीएम के रूप में चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. एक जाट सिख सुखजिंदर सिंह रंधावा का विरोध करने का कदम उनके भविष्य के पहलुओं को खुला रखेगा क्योंकि सीएम की दौड़ में उनके खिलाफ कोई दावेदार नहीं होगा।. हालांकि, अगर चन्नी को आगामी चुनावों में दलित वोट मिलते हैं तो खेल बदला जा सकता है.

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