नई दिल्ली : भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने हिमाचल प्रदेश का चुनाव अभियान छोड़ दिया. लेकिन अब पार्टी पदाधिकारी गुजरात में उनकी रैलियाें की संभावना तलाश रहे हैं कि ताकि इस धारणा को दूर किया जा सके कि पार्टी के पूर्व प्रमुख पश्चिमी राज्य की उपेक्षा नहीं कर रहे हैं (Congress exploring Rahuls Gujarat rallies).
एआईसीसी सचिव व गुजरात के प्रभारी बीएम संदीप कुमार (AICC secretary in charge of Gujarat BM Sandeep Kumar) ने ईटीवी भारत को बताया कि 'राहुल गांधी गुजरात में रैलियों को संबोधित करेंगे. तारीखों पर काम किया जा रहा है.'
सूत्रों के मुताबिक, राहुल एक और पांच दिसंबर को होने वाले दोनों चरणों के मतदान के लिए कम से कम एक-एक रैली को संबोधित कर सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि जरूरत पड़ने पर वह एक दिन में दो रैलियां भी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि रैलियों की योजना 20 नवंबर के बाद बनाई जाएगी, जब चुनाव प्रचार अपने चरम पर होगा.
एआईसीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 'राहुल की यात्रा जनता का बहुत ध्यान आकर्षित कर रही है और पार्टी के लिए सद्भावना पैदा कर रही है. गुजरात चुनाव में इसका फायदा उठाने के लिए इस्तेमाल करना अच्छा होगा. गुजरात चुनाव महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दोनों का गृह राज्य है, जो मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की सरकार को बचाने के लिए भारी संसाधनों और ऊर्जा का निवेश कर रहे हैं.'
भाजपा 27 साल से पश्चिमी राज्य में सत्ता में है और उसे भारी सत्ता-विरोधी लहर का सामना कर करना पड़ रहा है. इसीलिए कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, अगर बीजेपी गुजरात में हार जाती है, तो इसका असर 2024 के राष्ट्रीय चुनावों पर पड़ेगा. उसे चुनाव में नुकसान उठाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस जीतती है, तो इससे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए सबसे पुरानी पार्टी का मनोबल बढ़ेगा.
इसी बात को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने पहले घर-घर जाकर मतदाताओं तक पहुंचकर एक मूक अभियान पर काम किया था. पार्टी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए 31 अक्टूबर से 7 नवंबर तक राज्यव्यापी यात्राएं और विधानसभावार रैलियां कीं.
इस दौरान राज्य में एआईसीसी पर्यवेक्षक और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई रैलियां कीं, जबकि पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अहमदाबाद में सत्तारूढ़ भाजपा पर दबाव बनाया. फिर भी, सबसे पुरानी पार्टी को नियमित रूप से अपने प्रतिद्वंद्वियों की इस धारणा से निपटना पड़ा कि पश्चिमी राज्य पूर्व कांग्रेस प्रमुख की प्राथमिकता सूची में नहीं था.
नकारात्मक धारणा का मुकाबला करने के लिए पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने हाल ही में गुजरात में मतदाताओं को समझाया था कि दक्षिण से उत्तर भारत की भारत जोड़ो यात्रा की योजना इस तरह से बनाई गई थी कि पश्चिमी राज्य को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता था. हालांकि, उन्होंने बताया था कि राहुल ने 7 सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से यात्रा शुरू करने से दो दिन पहले 5 सितंबर को महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम का दौरा किया था.
उन्होंने याद दिलाया कि कैसे राहुल ने 2017 के चुनावों में एक आक्रामक अभियान का नेतृत्व किया था और कांग्रेस को 182 में से 77 सीटों तक ले गए जो आधे के करीब था. वहीं भाजपा को 99 सीटें हासिल हुईं.
पूर्व सीएलपी नेता परेश धनानी का कहना है कि 'बीजेपी को पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में सीटों का नुकसान हुआ है.हमें विश्वास है कि कांग्रेस 2017 के आंकड़े से आगे बढ़कर इस बार सरकार बनाएगी.'
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