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चिकित्सा पाठ्यक्रमों में ओबीसी, ईडब्ल्यूएस को आरक्षण, कांग्रेस और द्रमुक ने खुद को दिया श्रेय

केंद्र सरकार के द्वारा अखिल भारतीय आरक्षण योजना के अंतर्गत मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2021-22 से स्नातक एवं स्नातकोत्तर चिकित्सा एवं दंत पाठ्यक्रमों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर तबके (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा के बाद राजनीतिक पार्टियां श्रेय लेने में जुट गई हैं. पढ़िए ईटीवी भारत संवाददाता नियामिका सिंह की रिपोर्ट..

कांग्रेस और द्रमुक
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Published : Jul 30, 2021, 10:55 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार के द्वारा अखिल भारतीय आरक्षण योजना के अंतर्गत मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2021-22 से स्नातक एवं स्नातकोत्तर चिकित्सा एवं दंत पाठ्यक्रमों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर तबके (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा के बाद राजनीतिक पार्टियां श्रेय लेने में जुट गई हैं. इसीक्रम में कांग्रेस और डीएमके का कहना है कि उनके प्रयासों से ही यह सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि दोनों वर्गों की लंबे समय से लंबित मांग पूरी हो गई है.

इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर (Manickam Tagore) ने कहा कि इसे न्यायालय के निर्देशों के तहत किया है. इसे 2 साल से अधिक समय से विलंबित किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि यह सभी विपक्षी दलों और विशेष रूप से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रयास से सफलता मिली है. इसको लेकर सोनिया गांधी ने 2020 में एक पत्र लिखकर सरकार से कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए कहा था.

टीआर बालू और मनिकम टैगोर का बयान
उन्होंने कहा, राहुल गांधी भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं क्योंकि नीट परीक्षाओं में कई सीटें खाली रह गईं थीं, जबकि इस सरकार ने सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में इतनी देरी नहीं होनी चाहिए. वहीं द्रमुक सांसद टीआर बालू (TR Balu) ने मीडिया से कहा कि एमके स्टालिन लगातार ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग करते रहे हैं, खासकर मेडिकल कोर्स में 50 प्रतिशत के लिए. इसके बावजूद भारत सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण दिया है.

ये भी पढ़ें - बड़ा फैसला : मेडिकल कॉलेज में ओबीसी को 27 % और सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों को 10 % आरक्षण

उन्होंने कहा कि यह हमारी लंबी अवधि में पहली जीत है, मुझे लगता है कि 50 प्रतिशत आरक्षण भी कम समय में हो जाएगा. बालू ने कहा कि आरक्षण की मंजूरी के कदम को मोदी सरकार के पिछड़े समुदायों तक पहुंचने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है, खासकर जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने मेडिकल और डेंटल कोर्स के स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिए ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है.

इसीक्रम में शुक्रवार को हुबली में एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) ने आरोप लगाया कि अगर यह कांग्रेस और डीएमके द्वारा लाया गया मामला अदालत की अवमानना ​​​का नहीं होता तो केंद्र को परेशानी नहीं होती. मेडिकल सीटों के राष्ट्रीय कोटे में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को अब सरकार लागू करे. उन्होंने कहा कि घोषणा के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक 'ऐतिहासिक निर्णय' कहा था, जिसमें कहा गया था कि इससे हर साल हजारों युवाओं को बेहतर अवसर प्राप्त करने और देश में सामाजिक न्याय का एक नया प्रतिमान बनाने में मदद मिलेगी.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार के द्वारा अखिल भारतीय आरक्षण योजना के अंतर्गत मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2021-22 से स्नातक एवं स्नातकोत्तर चिकित्सा एवं दंत पाठ्यक्रमों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर तबके (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा के बाद राजनीतिक पार्टियां श्रेय लेने में जुट गई हैं. इसीक्रम में कांग्रेस और डीएमके का कहना है कि उनके प्रयासों से ही यह सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि दोनों वर्गों की लंबे समय से लंबित मांग पूरी हो गई है.

इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर (Manickam Tagore) ने कहा कि इसे न्यायालय के निर्देशों के तहत किया है. इसे 2 साल से अधिक समय से विलंबित किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि यह सभी विपक्षी दलों और विशेष रूप से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रयास से सफलता मिली है. इसको लेकर सोनिया गांधी ने 2020 में एक पत्र लिखकर सरकार से कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए कहा था.

टीआर बालू और मनिकम टैगोर का बयान
उन्होंने कहा, राहुल गांधी भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं क्योंकि नीट परीक्षाओं में कई सीटें खाली रह गईं थीं, जबकि इस सरकार ने सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में इतनी देरी नहीं होनी चाहिए. वहीं द्रमुक सांसद टीआर बालू (TR Balu) ने मीडिया से कहा कि एमके स्टालिन लगातार ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग करते रहे हैं, खासकर मेडिकल कोर्स में 50 प्रतिशत के लिए. इसके बावजूद भारत सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण दिया है.

ये भी पढ़ें - बड़ा फैसला : मेडिकल कॉलेज में ओबीसी को 27 % और सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों को 10 % आरक्षण

उन्होंने कहा कि यह हमारी लंबी अवधि में पहली जीत है, मुझे लगता है कि 50 प्रतिशत आरक्षण भी कम समय में हो जाएगा. बालू ने कहा कि आरक्षण की मंजूरी के कदम को मोदी सरकार के पिछड़े समुदायों तक पहुंचने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है, खासकर जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने मेडिकल और डेंटल कोर्स के स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिए ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है.

इसीक्रम में शुक्रवार को हुबली में एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला (Randeep Singh Surjewala) ने आरोप लगाया कि अगर यह कांग्रेस और डीएमके द्वारा लाया गया मामला अदालत की अवमानना ​​​का नहीं होता तो केंद्र को परेशानी नहीं होती. मेडिकल सीटों के राष्ट्रीय कोटे में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को अब सरकार लागू करे. उन्होंने कहा कि घोषणा के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक 'ऐतिहासिक निर्णय' कहा था, जिसमें कहा गया था कि इससे हर साल हजारों युवाओं को बेहतर अवसर प्राप्त करने और देश में सामाजिक न्याय का एक नया प्रतिमान बनाने में मदद मिलेगी.

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