अहमदाबाद: साल 2015 में शुरू हुए पाटीदार अनामत आंदोलन (Patidar Anamat Movement) के मामले में बड़ी खबर सामने आई है. गुजरात राज्य सरकार ने पाटीदार आंदोलन के 10 मामले वापस ले लिए हैं. जिससे पाटीदार नेता गीता पटेल को भी राहत मिली है. तब पाटीदार समाज को 10 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर जोरदार आंदोलन हुआ था. उस दौरान कई मुकदमे दर्ज किये गये थे.
हार्दिक पटेल का मामला: इसी आंदोलन से निकलकर आए हार्दिक पटेल के खिलाफ दो आरोप भी हटा दिए गए हैं. इससे हार्दिक पटेल को राहत मिलेगी. हार्दिक के खिलाफ अब एक देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है. 15 अप्रैल को हार्दिक के खिलाफ रामोल मामले की सुनवाई होगी. गौरतलब है कि हार्दिक पटेल का देशद्रोह का मामला अभी लंबित है और उनके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सरकार ने पाटीदार विरोध के दौरान दर्ज 10 मामलों को हटा दिया. हार्दिक पटेल ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में पिछले 9 मामले और केवल 1 नया मामला वापस लिया है. हार्दिक पटेल ने ईटीवी भारत से कहा कि जो मामले वापस ले लिए गए हैं, उनमें दस में से नौ मामले पुराने हैं.
पाटीदार विरोध आंदोलन क्या था: पाटीदार समुदाय के लोगों ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की स्थिति के अनुसार जुलाई 2015 से पूरे गुजरात में सार्वजनिक रैलियां कीं. हार्दिक पटेल और अन्य नेताओं ने आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसे पाटीदार रिजर्व मूवमेंट कमेटी द्वारा आयोजित किया गया था. पाटीदार रिजर्व आंदोलन में कुल 900 मामले दर्ज किए गए थे. प्रारंभ में इनमें से 485 दावों को असंधारणीय के रूप में खारिज कर दिया गया था. इसके बाद सरकार ने 235 मामलों की सूची तैयार की. अब तक 48 मामलों को छोड़ दिया गया है और 187 मामले अभी भी लंबित हैं.
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बड़ी संख्या में मामले लंबित: हार्दिक पटेल के मुताबिक सरकार ने पटेल समुदाय को आश्वासन दिया कि उनके मामलों को छोड़ दिया जाएगा. लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ. पाटीदारों के खिलाफ 497 आरोप दायर किए गए जिनमें से 247 को हटा दिया गया. अभी भी कई ऐसे मामले हैं जिनका समाधान नहीं हो पाया है. सरकार ने इस मामले को जल्द से जल्द खत्म करने की मांग की है. सरकार को पाटीदार बंधुओं के खिलाफ आरोप हटाने के लिए 23 मार्च तक का समय दिया गया है. हार्दिक ने कहा कि मैं आशावान हूं कि सरकार केस लौटा देगी. हार्दिक ने यह भी कहा कि यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो कीमत चुकाएंगे. पाटीदारों की एकजुटता को देखते हुए ही सरकार ने मुकदमा वापस लेने का फैसला किया है.