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आय असमानता को दूर करने के लिए कांग्रेस ने की केंद्रीय बजट में 'न्याय' जैसी योजना की मांग

कांग्रेस ने आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए आगामी आम बजट में 'न्याय' जैसी योजना लाने की मांग है. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Congress spokesperson Supriya Shrinate) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि आय असमानता के मुद्दे की अनदेखी कर रही है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Congress spokesperson Supriya Shrinate
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत
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Published : Jan 24, 2022, 5:39 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस ने आर्थिक असमानता बढ़ने का दावा करने वाले एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए आगामी आम बजट में गरीबी और अमीरी के बीच खाई को पाटने के लिए 'न्याय' जैसी योजना लाने की मांग की है. पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज इकोनॉमी की आईसीई 360 सर्वे 2021 की हालिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Congress spokesperson Supriya Shrinate) ने सोमवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह अर्थव्यवस्था में बढ़ती आय असमानता के मुद्दे की अनदेखी कर रही है.

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार सबसे कम आय वर्ग में आने वाली 20 फीसदी आबादी की आय में वर्ष 2016 में उनकी आय की तुलना में पिछले वर्ष में 53 फीसदी की कमी आई है. यह कुल आबादी के लगभग 15 करोड़ परिवारों का है. वहीं निम्न व मध्यम आय वर्ग की आय में 32 फीसदी की गिरावट आई है और मध्यम आय वर्ग श्रेणी के लोग पांच साल पहले जो कमा रहे थे उससे 9 फीसदी कम कमा रहे हैं. साथ ही, रिपोर्ट के अनुसार सबसे अमीर लोगों की आय में 40 फीसदी तक की वृद्धि हुई है.

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि गरीब और गरीब और अमीर और अमीर होते जा रहे हैं. जिससे साबित होता है कि मोदी सरकार में अमीरी और गरीबी के बीच खाई बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण साबित होता है देश की 60 प्रतिशत आबादी पांच साल पहले की अपनी कमाई के मुकाबले अब कम कमा रही है. सुप्रिया ने कहा कि यह बताना भी महत्वपूर्ण है कि मोदी सरकार के तहत 20 फीसदी लोगों की आय आधी हो गई है, जबकि उसी जनसंख्या ने 2005 से 2015 के बीच यूपीए शासन के दौरान उनकी आय में 183 फीसदी की वृद्धि देखी गई थी. उन्होंने कहा कि इसमें हमने 27 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला.

ये भी पढ़ें - कोरोना से पहले और कोरोना के बाद, क्या सचमुच स्वास्थ्य बजट में अंतर आया ?

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अर्थव्यवस्था में स्पष्ट रूप से कुछ बड़ी परेशानी है क्योंकि 'सूट बूट सरकार' में वे लोग हैं जो केवल अमीरों के लिए नीतियां बनाते हैं. यही वजह है कि सबसे अमीर 20 फीसदी और 39 फीसदी अमीर हैं जिनकी आय बढ़ रही है. कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि केंद्र सरकार कोविड महामारी के बहाने छिपा नहीं सकती. क्योंकि उन्होंने ईंधन की कीमतों में वृद्धि की साथ ही कॉर्पोरेट करों में कटौती भी की.

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की अवधि से पहले जीडीपी 8.2 से 4.1 तक गिर गई थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि बजट अर्थव्यवस्था में इस व्यापक अंतर और आय असमानता को पाटने पर केंद्रित होना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय बजट में केवल गरीबों के हाथ में पैसा बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. इसमें इस बात पर जोर देना चाहिए कि ग्रामीण गरीबी की तुलना में शहरी गरीबी कई गुना अधिक बढ़ी है. हालांकि मनरेगा ने सेवा के उद्देश्य और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रक्षा की है.

सुप्निया ने कहा कि इस स्तर पर यह महत्वपूर्ण है कि सरकार को समस्या को स्वीकार करना चाहिए. इससे इसका सामाजिक समानता, अपराध और जनसांख्यिकीय लाभांश पर भी प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के द्वारा 'न्याय' जैसी योजना की मांग की जा रही है, जिसका वादा उसने 2019 के आम चुनावों के दौरान किया था, जिसमें गरीब लोगों को न्यूनतम आय आश्वासन का वादा किया गया था. उन्होंने कहा कि इस तरह की योजना से सरकार को गरीब लोगों के हाथ में पैसा डालने में मदद मिलेगी और उनकी आय में वृद्धि के साथ ही इस व्यापक अंतर को पूरा किया जा सकता है.

नई दिल्ली : कांग्रेस ने आर्थिक असमानता बढ़ने का दावा करने वाले एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए आगामी आम बजट में गरीबी और अमीरी के बीच खाई को पाटने के लिए 'न्याय' जैसी योजना लाने की मांग की है. पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियाज इकोनॉमी की आईसीई 360 सर्वे 2021 की हालिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Congress spokesperson Supriya Shrinate) ने सोमवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह अर्थव्यवस्था में बढ़ती आय असमानता के मुद्दे की अनदेखी कर रही है.

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार सबसे कम आय वर्ग में आने वाली 20 फीसदी आबादी की आय में वर्ष 2016 में उनकी आय की तुलना में पिछले वर्ष में 53 फीसदी की कमी आई है. यह कुल आबादी के लगभग 15 करोड़ परिवारों का है. वहीं निम्न व मध्यम आय वर्ग की आय में 32 फीसदी की गिरावट आई है और मध्यम आय वर्ग श्रेणी के लोग पांच साल पहले जो कमा रहे थे उससे 9 फीसदी कम कमा रहे हैं. साथ ही, रिपोर्ट के अनुसार सबसे अमीर लोगों की आय में 40 फीसदी तक की वृद्धि हुई है.

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि गरीब और गरीब और अमीर और अमीर होते जा रहे हैं. जिससे साबित होता है कि मोदी सरकार में अमीरी और गरीबी के बीच खाई बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण साबित होता है देश की 60 प्रतिशत आबादी पांच साल पहले की अपनी कमाई के मुकाबले अब कम कमा रही है. सुप्रिया ने कहा कि यह बताना भी महत्वपूर्ण है कि मोदी सरकार के तहत 20 फीसदी लोगों की आय आधी हो गई है, जबकि उसी जनसंख्या ने 2005 से 2015 के बीच यूपीए शासन के दौरान उनकी आय में 183 फीसदी की वृद्धि देखी गई थी. उन्होंने कहा कि इसमें हमने 27 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला.

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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अर्थव्यवस्था में स्पष्ट रूप से कुछ बड़ी परेशानी है क्योंकि 'सूट बूट सरकार' में वे लोग हैं जो केवल अमीरों के लिए नीतियां बनाते हैं. यही वजह है कि सबसे अमीर 20 फीसदी और 39 फीसदी अमीर हैं जिनकी आय बढ़ रही है. कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि केंद्र सरकार कोविड महामारी के बहाने छिपा नहीं सकती. क्योंकि उन्होंने ईंधन की कीमतों में वृद्धि की साथ ही कॉर्पोरेट करों में कटौती भी की.

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की अवधि से पहले जीडीपी 8.2 से 4.1 तक गिर गई थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने मांग की है कि बजट अर्थव्यवस्था में इस व्यापक अंतर और आय असमानता को पाटने पर केंद्रित होना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि केंद्रीय बजट में केवल गरीबों के हाथ में पैसा बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए. इसमें इस बात पर जोर देना चाहिए कि ग्रामीण गरीबी की तुलना में शहरी गरीबी कई गुना अधिक बढ़ी है. हालांकि मनरेगा ने सेवा के उद्देश्य और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रक्षा की है.

सुप्निया ने कहा कि इस स्तर पर यह महत्वपूर्ण है कि सरकार को समस्या को स्वीकार करना चाहिए. इससे इसका सामाजिक समानता, अपराध और जनसांख्यिकीय लाभांश पर भी प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के द्वारा 'न्याय' जैसी योजना की मांग की जा रही है, जिसका वादा उसने 2019 के आम चुनावों के दौरान किया था, जिसमें गरीब लोगों को न्यूनतम आय आश्वासन का वादा किया गया था. उन्होंने कहा कि इस तरह की योजना से सरकार को गरीब लोगों के हाथ में पैसा डालने में मदद मिलेगी और उनकी आय में वृद्धि के साथ ही इस व्यापक अंतर को पूरा किया जा सकता है.

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