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क्या पंजाब की तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी हाे सकते हैं बदलाव!

कांग्रेस खेमे के अंतर्कलह के बीच सोमवार सुबह चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब सूबे के नए 'कैप्टन' बन गए. अब इसी तरह की राजनीतिक समस्या झेल रहे छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं. इस बीच आज छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव एक बार फिर से दिल्ली रवाना हो गए हैं.और

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Published : Sep 20, 2021, 10:04 PM IST

रायपुर/जयपुर : छत्तीसगढ़ में दो शीर्ष नेता सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) के बीच कुर्सी के लिए बीते करीब दो महीन से 36 का आंकड़ा है. छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव चाहते हैं कि रोटेशनल मुख्यमंत्री (rotational chief minister) के फॉर्मूले का सम्मान किया जाए. जबकि भूपेश बघेल अपनी ताकत दिखाने के लिए 50 से अधिक विधायकों को दिल्ली में लामबंद कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री द्वारा कांग्रेस नेतृत्व के फैसलों की अवहेलना किये जाने से नाराज है. वहीं सोमवार सुबह चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

दूसरी तरफ अब हर किसी की नजर इस बात पर भी है कि क्या राजस्थान को लेकर भी कांग्रेस आलाकमान जल्द ही बड़े फैसले लेने जा रहा है ?

क्योंकि पंजाब में जो हालात बने थे, वह राजस्थान में पंजाब से भी पहले बन चुके थे. राजस्थान में साल 2020 के जुलाई महीने में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नेतृत्व को चैलेंज करते हुए अपने सहयोगी 19 विधायकों के साथ दिल्ली चले गए थे. जिसे सचिन पायलट की बगावत माना गया और इसके चलते उन्हें अपने और अपने समर्थक विधायकों के तमाम पद गंवाने पड़े.

सचिन पायलट
सचिन पायलट

दिल्ली जाने से पहले एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बोले-रिस्पेक्ट दी प्रिवेसी ऑफ सिटीजन्स

इधर, सूबे के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव एक बार फिर से सोमवार सुबह दिल्ली रवाना हो गए. दिल्ली जाने के क्रम में अपनी गाड़ी से जैसे ही वे रायपुर एयरपोर्ट पर उतरे तो पत्रकारों ने प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता के मुद्दे पर उनसे सवाल पूछ लिया. उन्होंने जवाब में बस "रिस्पेक्ट दी प्रिवेसी ऑफ सिटीजन्स" कहा और तेजी से एयरपोर्ट के अंदर चले गए.

सीएम बदलने की सुगबुगाहट तेज, बढ़ाई गई थी सिंहदेव की सुरक्षा

पंजाब में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदला था और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से रिजाइन कर दिया था. इस सियासी उथल-पुथल के बीच स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव की सुरक्षा बढ़ाए जाने के आदेश भी आए थे. यह आदेश छत्तीसगढ़ सरकार से नहीं बल्कि दिल्ली से आये थे. लेकिन इस आदेश की पुष्टि किसी ने नहीं की थी. सीएम बदलने के कयास को इस बात से भी बल मिलता है कि पिछले 2 दिनों से छत्तीसगढ़ में 27 विधायकों के एक साथ एक होटल में रुकने की चर्चा जोरों पर थी.

लेकिन यह पता नहीं चल सका कि वे 27 विधायक कौन थे और किस होटल में एक साथ रुके हुए थे. हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधायकों के होटल में रुकने की जानकारी से साफ इंकार कर दिया था. अब देखना होगा कि पंजाब के बाद क्या छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन होगा. या फिर सीएम बघेल की कुर्सी बनी रहेगी.

वहीं आपकाे बता दें कि राजस्थान की राजनीति में आया भूचाल थम गया, क्याेंकि प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi ) के आश्वासन के बाद सचिन पायलट की पार्टी में वापसी हो गई, लेकिन गहलोत की नाराजगी के चलते अब भी पायलट और पायलट कैंप के हाथ खाली हैं और जिस सम्मानजनक वापसी की पायलट कैम्प उम्मीद कर रहा था वो अब भी उन्हें नहीं मिल सकी है.

तमाम बातों के बीच सचिन पायलट कई बार यह बात कह चुके हैं कि कांग्रेस कार्यकर्ता को सत्ता में भागीदारी दी जाए, ताकि हर बार जो कांग्रेस सत्ता में आने के बाद चुनावों में सत्ता गंवा देती है वह प्रक्रिया बंद हो. लेकिन पायलट कैंप को अब भी इस बात का इंतजार है कि कांग्रेस आलाकमान ने जो उनसे वादे किए थे वह कब पूरे होंगे.

राजस्थान का मसला पंजाब से पुराना

पंजाब कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Former Chief Minister Amarinder Singh) और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच विवाद भले ही पहले से चल रहा हो, लेकिन ताजा विवाद 6 महीने पुराना ही है. जबकि राजस्थान में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच विवाद न केवल पुराना है बल्कि 14 महीने पहले तो इस विवाद को सुलझाने के लिए एआईसीसी की कमेटी भी बन चुकी है.

गहलोत और अमरिंदर में भी अंतर

राजस्थान में तमाम विवादों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में भले ही कैबिनेट विस्तार और संगठन में विस्तार की बात कहता नज़र आ रहा हो, लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान और पंजाब की स्थितियों में अंतर है. पंजाब में विधायकों की अमरिंदर सिंह से नाराजगी थी तो वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत के साथ ज्यादातर विधायक लामबंद हैं.

उधर राजस्थान में प्रदेश नेतृत्व परिवर्तन नहीं होने का एक कारण यह भी है कि अशोक गहलोत आज भी गांधी परिवार के सबसे विश्वसनीय नेताओं में से एक हैं. वैसे भी सचिन पायलट को जल्द से जल्द कांग्रेस पार्टी में फिर से स्थापित करना आलाकमान के लिए इसलिए प्राथमिकता में है क्योंकि पहले ही वह देरी के चलते ज्योतिरादित्य जैसा नेता और मध्य प्रदेश की सत्ता गंवा चुके हैं.

श्राद्धपक्ष समाप्ति के बाद हो सकता है फेरबदल

राजस्थान में सचिन पायलट की प्रियंका गांधी के साथ ही राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से भी 14 महीने बाद लंबी चर्चा हो चुकी है, कहा जा रहा है कि सचिन पायलट की आगे क्या भूमिका होगी उसके बारे में राहुल गांधी ने उन्हें इशारा भी कर दिया है. अब राजस्थान में चर्चाएं यह हैं कि श्राद्धपक्ष के बाद प्रदेश में कांग्रेस संगठन और मंत्रिमंडल विस्तार का काम कर दिया जाएगा. हालांकि अभी श्राद्धपक्ष समाप्त होने में 15 दिन का समय है उसके बाद ही राजस्थान में किसी तरह की राजनीतिक हलचल होगी.

रायपुर/जयपुर : छत्तीसगढ़ में दो शीर्ष नेता सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) के बीच कुर्सी के लिए बीते करीब दो महीन से 36 का आंकड़ा है. छत्तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव चाहते हैं कि रोटेशनल मुख्यमंत्री (rotational chief minister) के फॉर्मूले का सम्मान किया जाए. जबकि भूपेश बघेल अपनी ताकत दिखाने के लिए 50 से अधिक विधायकों को दिल्ली में लामबंद कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री द्वारा कांग्रेस नेतृत्व के फैसलों की अवहेलना किये जाने से नाराज है. वहीं सोमवार सुबह चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

दूसरी तरफ अब हर किसी की नजर इस बात पर भी है कि क्या राजस्थान को लेकर भी कांग्रेस आलाकमान जल्द ही बड़े फैसले लेने जा रहा है ?

क्योंकि पंजाब में जो हालात बने थे, वह राजस्थान में पंजाब से भी पहले बन चुके थे. राजस्थान में साल 2020 के जुलाई महीने में प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे सचिन पायलट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के नेतृत्व को चैलेंज करते हुए अपने सहयोगी 19 विधायकों के साथ दिल्ली चले गए थे. जिसे सचिन पायलट की बगावत माना गया और इसके चलते उन्हें अपने और अपने समर्थक विधायकों के तमाम पद गंवाने पड़े.

सचिन पायलट
सचिन पायलट

दिल्ली जाने से पहले एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बोले-रिस्पेक्ट दी प्रिवेसी ऑफ सिटीजन्स

इधर, सूबे के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव एक बार फिर से सोमवार सुबह दिल्ली रवाना हो गए. दिल्ली जाने के क्रम में अपनी गाड़ी से जैसे ही वे रायपुर एयरपोर्ट पर उतरे तो पत्रकारों ने प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता के मुद्दे पर उनसे सवाल पूछ लिया. उन्होंने जवाब में बस "रिस्पेक्ट दी प्रिवेसी ऑफ सिटीजन्स" कहा और तेजी से एयरपोर्ट के अंदर चले गए.

सीएम बदलने की सुगबुगाहट तेज, बढ़ाई गई थी सिंहदेव की सुरक्षा

पंजाब में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदला था और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सीएम पद से रिजाइन कर दिया था. इस सियासी उथल-पुथल के बीच स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव की सुरक्षा बढ़ाए जाने के आदेश भी आए थे. यह आदेश छत्तीसगढ़ सरकार से नहीं बल्कि दिल्ली से आये थे. लेकिन इस आदेश की पुष्टि किसी ने नहीं की थी. सीएम बदलने के कयास को इस बात से भी बल मिलता है कि पिछले 2 दिनों से छत्तीसगढ़ में 27 विधायकों के एक साथ एक होटल में रुकने की चर्चा जोरों पर थी.

लेकिन यह पता नहीं चल सका कि वे 27 विधायक कौन थे और किस होटल में एक साथ रुके हुए थे. हालांकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधायकों के होटल में रुकने की जानकारी से साफ इंकार कर दिया था. अब देखना होगा कि पंजाब के बाद क्या छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन होगा. या फिर सीएम बघेल की कुर्सी बनी रहेगी.

वहीं आपकाे बता दें कि राजस्थान की राजनीति में आया भूचाल थम गया, क्याेंकि प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi ) के आश्वासन के बाद सचिन पायलट की पार्टी में वापसी हो गई, लेकिन गहलोत की नाराजगी के चलते अब भी पायलट और पायलट कैंप के हाथ खाली हैं और जिस सम्मानजनक वापसी की पायलट कैम्प उम्मीद कर रहा था वो अब भी उन्हें नहीं मिल सकी है.

तमाम बातों के बीच सचिन पायलट कई बार यह बात कह चुके हैं कि कांग्रेस कार्यकर्ता को सत्ता में भागीदारी दी जाए, ताकि हर बार जो कांग्रेस सत्ता में आने के बाद चुनावों में सत्ता गंवा देती है वह प्रक्रिया बंद हो. लेकिन पायलट कैंप को अब भी इस बात का इंतजार है कि कांग्रेस आलाकमान ने जो उनसे वादे किए थे वह कब पूरे होंगे.

राजस्थान का मसला पंजाब से पुराना

पंजाब कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Former Chief Minister Amarinder Singh) और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच विवाद भले ही पहले से चल रहा हो, लेकिन ताजा विवाद 6 महीने पुराना ही है. जबकि राजस्थान में सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच विवाद न केवल पुराना है बल्कि 14 महीने पहले तो इस विवाद को सुलझाने के लिए एआईसीसी की कमेटी भी बन चुकी है.

गहलोत और अमरिंदर में भी अंतर

राजस्थान में तमाम विवादों के बाद भी कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में भले ही कैबिनेट विस्तार और संगठन में विस्तार की बात कहता नज़र आ रहा हो, लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान और पंजाब की स्थितियों में अंतर है. पंजाब में विधायकों की अमरिंदर सिंह से नाराजगी थी तो वहीं राजस्थान में अशोक गहलोत के साथ ज्यादातर विधायक लामबंद हैं.

उधर राजस्थान में प्रदेश नेतृत्व परिवर्तन नहीं होने का एक कारण यह भी है कि अशोक गहलोत आज भी गांधी परिवार के सबसे विश्वसनीय नेताओं में से एक हैं. वैसे भी सचिन पायलट को जल्द से जल्द कांग्रेस पार्टी में फिर से स्थापित करना आलाकमान के लिए इसलिए प्राथमिकता में है क्योंकि पहले ही वह देरी के चलते ज्योतिरादित्य जैसा नेता और मध्य प्रदेश की सत्ता गंवा चुके हैं.

श्राद्धपक्ष समाप्ति के बाद हो सकता है फेरबदल

राजस्थान में सचिन पायलट की प्रियंका गांधी के साथ ही राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से भी 14 महीने बाद लंबी चर्चा हो चुकी है, कहा जा रहा है कि सचिन पायलट की आगे क्या भूमिका होगी उसके बारे में राहुल गांधी ने उन्हें इशारा भी कर दिया है. अब राजस्थान में चर्चाएं यह हैं कि श्राद्धपक्ष के बाद प्रदेश में कांग्रेस संगठन और मंत्रिमंडल विस्तार का काम कर दिया जाएगा. हालांकि अभी श्राद्धपक्ष समाप्त होने में 15 दिन का समय है उसके बाद ही राजस्थान में किसी तरह की राजनीतिक हलचल होगी.

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