नई दिल्ली : कांग्रेस ने सदस्यता अभियान के मुद्दे पर चर्चा के लिए मंगलवार को पार्टी महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों की बैठक बुलाई है और पांच राज्यों में चुनावी हार पर 'चिंतन शिविर' का प्रस्ताव रखा है. कांग्रेस कार्यसमिति ने 2014 के आम चुनावों के बाद से हार का सामना कर रही पार्टी के लिए आगे का रास्ता निकालने के लिए विचार-मंथन सत्र आयोजित करने का फैसला किया है.
चिंतन शिविर की जरूरत इसलिए पड़ी है, क्योंकि असंतुष्ट पार्टी के वर्तमान कामकाज के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है, खासतौर से जी-23 राहुल गांधी और उनकी टीम के खिलाफ है, यहां तक कि पार्टी की अंतरिम प्रमुख सोनिया गांधी भी आंतरिक दरार को खत्म करने के लिए असंतुष्ट नेताओं के साथ बैठकें करती रही हैं. सोनिया गांधी ने 5 अप्रैल को संसदीय दल को संबोधित करते हुए कहा था कि लोकतंत्र के लिए पार्टी का पुनरुद्धार जरूरी है और चुनाव के परिणाम 'चौंकाने वाले' और 'दर्दनाक' रहे हैं.
उन्होंने संबोधन में कहा, 'हमारा समर्पण, दृढ़ संकल्प और भावना की गंभीर परीक्षा ली जा रही है. हमारे विशाल संगठन के सभी स्तरों पर एकता सर्वोपरि है. मैं इसे सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी जरूरी है, उसे करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं. ये सिर्फ हमारे लिए जरूरी नहीं है बल्कि यह हमारे लोकतंत्र के लिए और वास्तव में हमारे समाज के लिए भी जरूरी है. मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि हाल के चुनाव परिणामों से आप कितने निराश हैं. वे चौंकाने वाले और दर्दनाक रहे हैं. कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने हमारे प्रदर्शन की समीक्षा के लिए एक बार बैठक की है. मैंने अन्य सहयोगियों से भी मुलाकात की है. हमारे संगठन को कैसे मजबूत किया जाए, इसके लिए कई प्रासंगिक सुझाव मिले हैं. मैं उन पर काम कर रही हूं.'
उन्होंने कहा कि एक रोडमैप तैयार करना जरूरी है और इसके लिए एक 'शिविर' (बैठक) आयोजित की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यही वह जगह है, जहां बड़ी संख्या में सहयोगियों और पार्टी के प्रतिनिधियों के विचार सुने जाएंगे. वे हमारी पार्टी द्वारा उठाए जाने वाले तत्काल कदमों पर एक स्पष्ट रोडमैप को आगे बढ़ाने में योगदान देंगे कि हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उन्हें कैसे पूरा किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि आगे की राह पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण है.