नई दिल्ली : कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने गुरुवार को कहा कि समय पर संकट का जवाब देने में मणिपुर सरकार की सुस्ती और भाजपा की विभाजनकारी राजनीति को पूर्वोत्तर राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
असम के नागांव से लोकसभा सांसद और पूर्वोत्तर कांग्रेस समन्वय समिति (एनईसीसी) के संयोजक प्रद्युत बोरदोलोई (Pradyut Bordoloi) ने ईटीवी भारत से कहा कि 'राज्य सरकार उस संकट का जवाब देने में सुस्त थी, जो मणिपुर में चरम पर है. साम्प्रदायिक हिंसा भाजपा की विभाजनकारी राजनीति का परिणाम है.'
उन्होंने कहा कि 'उत्तर-पूर्व के लोग आमतौर पर अपने दृष्टिकोण में धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु हैं. चर्चों पर इस तरह के हमले छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे आदिवासी राज्यों में रिपोर्ट किए जाते थे, लेकिन पूर्वोत्तर क्षेत्र में ऐसा नहीं सुना गया.' बोरदोलोई ने कहा कि वह मणिपुर कांग्रेस के नेताओं के संपर्क में थे और उनसे आग्रह किया था कि शांति बहाल करने के लिए जो भी आवश्यक हो वह करें.
बोरदोलोई ने कहा कि 'इस स्तर पर प्राथमिकता सामान्य स्थिति और शांति बहाल करना है. हमारी प्रदेश इकाई वहां पूरी तरह से सक्रिय है. एनईसीसी प्रतिनिधिमंडल को मणिपुर जाने की जरूरत है या नहीं, इस पर हम बाद में चर्चा करेंगे.'
बुधवार को 10 जिलों में आदिवासियों द्वारा विरोध रैलियों के बाद पूरे मणिपुर में हिंसा भड़कने को लेकर कांग्रेस सांसद की टिप्पणी आई है. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को तैनात करना पड़ा.
बोरदोलोई ने हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और देरी से प्रतिक्रिया देने के लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. बोरदोलोई ने कहा कि 'समस्या की शुरुआत चुराचांदपुर इलाके में हुई घटनाओं से हुई जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण थी. इसे तत्परता से निपटा जाना चाहिए था, लेकिन राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन लापरवाह था, जिसके चलते यह मामला बढ़ा है. यह राज्य सरकार की अक्षमता है कि इस तरह इसे बढ़ने की अनुमति दी गई.'
बोरदोलोई ने कहा कि 'उन्होंने कुछ नहीं किया. उन्होंने सही समय पर कदम नहीं उठाया. उन्हें अब उग्र हिंसा को समाप्त करना चाहिए और हमलावरों को कानून के कठघरे में लाना चाहिए.'
कांग्रेस सांसद के मुताबिक, मणिपुर में हुई हिंसा पूर्व नियोजित लग रही थी. उन्होंने कहा कि 'वे चर्चों में आग लगा रहे हैं और ईसाइयों को निशाना बना रहे हैं, जो अल्पसंख्यक हैं. यह संभवत: किसी प्रकार के निहित स्वार्थ से किया गया और उकसाया गया है. बीजेपी बस देखती रही. ऐसा लगता है कि वे आत्मसंतुष्ट और हिंसा में सहभागी दोनों हैं.'
एनईसीसी के संयोजक के अनुसार, ' मेरा पड़ोसी राज्य मणिपुर जल रहा है और हमारे नेताओं और नई दिल्ली में प्रेस की चुप्पी बता रही है कि जमीनी स्तर पर तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है.' बोरदोलोई ने कहा कि हाल के घटनाक्रम ने राज्य में प्रशासन के पतन को चिह्नित किया क्योंकि मणिपुर में पांच दिनों के लिए मोबाइल डेटा सेवाओं को निलंबित करना पड़ा. उन्होंने कहा कि 'इससे बचा जा सकता था.'
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी सहित शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व ने भी मणिपुर में हिंसा पर चिंता व्यक्त की. राहुल ने ट्वीट किया, 'मणिपुर की तेजी से बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर काफी चिंतित हूं. प्रधानमंत्री को शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने पर ध्यान देना चाहिए. मैं मणिपुर के लोगों से शांत रहने का आग्रह करता हूं.'
खड़गे ने ट्वीट किया कि 'मणिपुर जल रहा है. भाजपा ने समुदायों के बीच दरार पैदा कर दी है और एक सुंदर राज्य की शांति को नष्ट कर दिया है. इस गड़बड़ी के लिए बीजेपी की नफरत, बंटवारे की राजनीति और सत्ता का लालच जिम्मेदार है. हम सभी पक्षों के लोगों से संयम बरतने और शांति बनाए रखने की अपील करते हैं.'
कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने ट्वीट किया, 'डबल इंजन सरकार की हकीकत: राज्य में आग लगा दो, केंद्र में खामोश रहो. बीजेपी की सरकार बनने के 15 महीने से भी कम समय में पूरा मणिपुर राज्य आग की लपटों में है, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह और 'क्राईपीएम' मोदी कर्नाटक में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं.