नई दिल्ली : पांच राज्यों के चुनाव खत्म होने और राज्य में सरकारों के शपथ ग्रहण के साथ रसोई गैस और पेट्रोल डीजल की कीमतों में इजाफा होने लगा है. चुनाव के कारण करीब 5 महीने तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर थी. अब एलपीजी और पेट्रोल के बढ़े रेट ने विपक्ष को सरकार पर हमला बोलने का और अपनी हार की झेंप मिटाने का एक बड़ा मौका दे दिया है. महंगाई के इस डबल डोज ने सभी विपक्षी पार्टियों को एक बार फिर इस मुद्दे पर लामबंद कर दिया है
रसोई गैस की कीमत मैं ₹50 की वृद्धि की गई है यानी कि 14.2 किलोग्राम वाले सिलेंडर के लिए दिल्ली में 949.50 रुपये का भुगतान करना होगा. लखनऊ में एलपीजी की कीमत 987 .50 रुपये, कोलकाता में 976 रुपये, चंडीगढ़ में 959 रुपये, पटना में 1039.50 रुपये, शिमला में 995 रुपये हो गई है. देहरादून में एलपीजी सिलेंडर के लिए 968 रुपये का भुगतान करना होगा. वहीं मंगलवार को पेट्रोल डीजल की कीमतों में भी 80 पैसे की बढ़ोतरी की गई. इससे पहले ,अक्टूबर में चुनाव से पहले एलपीजी सिलेंडर की कीमत में वृद्धि हुई थी.
जानकारों के मुताबिक, रूस और यूक्रेन की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में अचानक 30 से 35 फ़ीसदी तक का उछाल आया है, जिसकी वजह से ही आयल कंपनियों ने ईंधन के दाम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं. हालांकि विपक्षी पार्टियां इसे विधानसभा चुनाव के खत्म होने से जोड़कर देख रही हैं. अभी संसद का सत्र चल रहा है, ऐसे में विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरने का और विपक्षी पार्टी इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती हैं.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि का दावा है कि, यदि आंकड़े उठाकर देखा जाए तो एलपीजी सिलेंडर की कीमत यूपीए के समय में ज्यादा थी. उन्होंने 2011 से लेकर 2021 के बीच एलपीजी की कीमत के बारे में ट्वीट भी किया है. सी टी रवि ने कहा कि कांग्रेस सभी राज्यों में चुनाव हार चुकी है और अपनी तरफ से ध्यान बंटाने के लिए सरकार पर आरोप लगा रही है. यही वजह है कि पेट्रोल डीजल और गैस की कीमतों का बहाना लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन और रूस के बीच चल रही लड़ाई की वजह से कच्चे तेल की कीमत में 40 फ़ीसदी का उछाल आया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी कीमतों के कारण तेल कंपनियों को दाम बढ़ाने पड़े हैं. ऐसा सिर्फ एनडीए की सरकार के दौरान ही नहीं हो रहा है. यूपीए की सरकार के दौरान भी अंतरराष्ट्रीय कीमत में कच्चे तेल की कीमत स्थिर होने के बावजूद भी पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत आसमान छू रही थी.
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