नई दिल्ली : कांग्रेस ने शनिवार को मौजूदा केंद्र सरकार के तहत देश की अर्थव्यवस्था के बदहाल होने का आरोप लगाया और कहा कि अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर 'श्वेतपत्र' जारी किया जाना चाहिए. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत (Congress spokesperson Supriya Shrinate) ने यह दावा भी किया कि पिछले नौ वर्षों में देश का कुल कर्ज 55 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 155 लाख करोड़ रुपये हो गया है. उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, 'आज़ादी के बाद 67 साल में जहां 14 प्रधानमंत्रियों ने मिलकर 55 लाख करोड़ रुपये का ऋण लिया, वहीं नरेन्द्र मोदी जी ने अपने 9 साल के कार्यकाल में इसको तिगुना करके 155 लाख करोड़ पहुंचा दिया. इसका मतलब यह है कि वर्ष 2014 से अब तक हमारे देश का क़र्ज़ा 100 लाख करोड़ से भी ज़्यादा बढ़ गया है.' यह आर्थिक कुप्रबंधन को दर्शाता है जो न केवल अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि गरीब और मध्यम वर्ग को आवश्यक वस्तुओं की उच्च कीमतों से भी पीड़ित कर रहा है.
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नरेंद्र मोदी इस देश के 15वें प्रधानमंत्री हैं और यकीन मानिए उन्होंने वह कर दिखाया जो उनसे पहले 14 प्रधानमंत्री नहीं कर पाए।
— Congress (@INCIndia) June 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
आज़ादी के 67 साल में जहां 14 प्रधानमंत्रियों ने मिलकर 55 लाख करोड़ का कर्ज लिया, वहीं मोदी जी ने अपने 9 साल में इसको तिगुना करके 155 लाख करोड़ पहुंचा दिया।… pic.twitter.com/rfJIWAUHKf
">नरेंद्र मोदी इस देश के 15वें प्रधानमंत्री हैं और यकीन मानिए उन्होंने वह कर दिखाया जो उनसे पहले 14 प्रधानमंत्री नहीं कर पाए।
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आज़ादी के 67 साल में जहां 14 प्रधानमंत्रियों ने मिलकर 55 लाख करोड़ का कर्ज लिया, वहीं मोदी जी ने अपने 9 साल में इसको तिगुना करके 155 लाख करोड़ पहुंचा दिया।… pic.twitter.com/rfJIWAUHKfनरेंद्र मोदी इस देश के 15वें प्रधानमंत्री हैं और यकीन मानिए उन्होंने वह कर दिखाया जो उनसे पहले 14 प्रधानमंत्री नहीं कर पाए।
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आज़ादी के 67 साल में जहां 14 प्रधानमंत्रियों ने मिलकर 55 लाख करोड़ का कर्ज लिया, वहीं मोदी जी ने अपने 9 साल में इसको तिगुना करके 155 लाख करोड़ पहुंचा दिया।… pic.twitter.com/rfJIWAUHKf
कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा, 'आज हर हिंदुस्तानी पर, मतलब पैदा हुए नवजात शिशु के सिर पर भी क़रीब 1.2 लाख रुपये का क़र्ज़ है.' इसलिए काम करने के लिए आपको मजबूत आर्थिक प्रबंधकों की जरूरत है. कांग्रेस नेता ने 2020 की सीएजी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इसने भारतीय अर्थव्यवस्था की नकारात्मक कर स्थिरता पर चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि जीडीपी अनुपात में कर 52 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
सुप्रिया ने यह दावा भी किया कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और कर्ज का अनुपात 84 प्रतिशत हो गया है. दुख की बात यह है कि गरीब और मध्यम वर्ग इस आर्थिक कुप्रबंधन से पीड़ित हैं लेकिन अमीर और अमीर होते जा रहे हैं.' उनके मुताबिक, 'देश के 23 करोड़ लोग ग़रीबी रेखा से नीचे हैं, 83 प्रतिशत लोगों की आय घटी है, एक साल में क़रीब 11,000 से ज़्यादा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग बंद हुए हैं, लेकिन अरबपतियों की संख्या पिछले दो वर्षों में 102 से बढ़कर 166 हो गई है!'
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भारत का कर्ज और GDP का अनुपात 84% से ज़्यादा है, जबकि दूसरे विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का यह अनुपात 64.5% है। हम हर साल अपने कर्ज के लिए 11 लाख करोड़ रुपए का तो ब्याज चुका रहे हैं।
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CAG की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में ही ऋण स्थिरता नकारात्मक हो गई थी, तब कर्ज और GDP का अनुपात… pic.twitter.com/T9j2XiLORC
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CAG की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में ही ऋण स्थिरता नकारात्मक हो गई थी, तब कर्ज और GDP का अनुपात… pic.twitter.com/T9j2XiLORCभारत का कर्ज और GDP का अनुपात 84% से ज़्यादा है, जबकि दूसरे विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का यह अनुपात 64.5% है। हम हर साल अपने कर्ज के लिए 11 लाख करोड़ रुपए का तो ब्याज चुका रहे हैं।
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CAG की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में ही ऋण स्थिरता नकारात्मक हो गई थी, तब कर्ज और GDP का अनुपात… pic.twitter.com/T9j2XiLORC
कांग्रेस नेता ने अपने आरोप के समर्थन में आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि कुल जीएसटी का 64 प्रतिशत हिस्सा गरीब लोग दे रहे हैं, जो देश की केवल तीन प्रतिशत संपत्ति को नियंत्रित करते हैं. इसके अलावा 10 प्रतिशत अमीर जिनका 80 प्रतिशत पर नियंत्रण है, सिर्फ 3 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं.
श्रीनेत ने कहा कि यह देश में बढ़ती आर्थिक विषमता का एक संकेतक है. मोदी सरकार ने सभी लोगों के लिए 'अच्छे दिन' का वादा किया था. लेकिन असल में किसके 'अच्छे दिन' आए हैं. गरीब और मध्यम वर्ग उच्च करों, उच्च ईंधन की कीमतों और वस्तुओं की उच्च कीमतों के बोझ से दबे हुए हैं, लेकिन अमीर खुद का आनंद ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत आज एलपीजी की उच्चतम कीमतों और पेट्रोल की तीसरी सबसे अधिक कीमतों वाला देश है. जब तुलना की जाती है, तो अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर केवल 64 प्रतिशत का ऋण बोझ होता है.
कांग्रेस नेता के अनुसार, उच्च ऋण बोझ का मतलब था कि सरकार को प्रति वर्ष 11 लाख करोड़ रुपये का ब्याज चुकाना था, जिसका उपयोग लोगों को कई तरह से राहत देने के लिए किया जा सकता था. उन्होंने कहा कि आज 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और 83 प्रतिशत लोगों की आय कम हो गई है. वहीं लगभग 11,000 छोटे और मध्यम उद्यम बंद हो गए हैं, लेकिन करोड़पतियों की संख्या जो 2020 में 102 थी, 2022 में बढ़कर 166 हो गई.
वहीं सरकार ने गेहूं का आटा, दही, दवाइयां, शिक्षा जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों पर जीएसटी लगा दिया है. नतीजतन, पिछले एक साल में अर्थव्यवस्था में खपत जीडीपी के 61 फीसदी से गिरकर 60 फीसदी पर आ गई. उन्होंने कहा कि जब पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो वह अर्थव्यवस्था को लेकर तत्कालीन केंद्र सरकार को निशाना बनाते थे. उन्होंने कहा, 'हम मांग करते हैं कि सरकार बिना विलंब के हिंदुस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था पर एक श्वेतपत्र जारी करे.'
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