कोच्चि : लक्षद्वीप के प्रशासक द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को जनविरोधी करार देते हुए केंद्रशासित प्रदेश और केरल की विपक्षी पार्टियों ने उन्हें वापस बुलाए जाने की मांग की है. लक्षद्वीप के राकांपा(राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के सांसद मोहम्मद फैजल और पड़ोसी राज्य केरल के उनके सहकर्मी-टी एन प्रतापन (कांग्रेस), एलामारन करीम (माकपा) और ईटी मोहम्मद बशीर (मुस्लिम लीग) ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह भारत के सबसे छोटे केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल्ल खोडा पटेल को वापस बुलाएं.
उन्होंने पटेल पर मुस्लिम बहुल द्वीपों से शराब के सेवन से रोक हटाने, पशु संरक्षण का हवाला देते हुए बीफ (गोवंश) उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तट रक्षक अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़ों को तोड़ने का आरोप लगाया है.
पटेल का बचाव करते हुए भाजपा ने दावा किया कि यह विरोध भ्रष्ट चलन को खत्म करने के प्रशासक के प्रयासों का परिणाम है. दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के प्रशासक पटेल को पिछले साल दिसंबर में दिनेश्वर शर्मा के निधन के बाद यह पदभार सौंपा गया था.
उनके कार्यालय से जब संपर्क किया गया तो बताया गया कि पटेल के खिलाफ इस तरह के विरोध की जानकारी नहीं है.
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ए पी अब्दुल्लाकुट्टी ने आरोप लगाया कि विपक्षी सांसद पटेल के खिलाफ इसलिए प्रदर्शन कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने द्वीपसमूह में नेताओं के भ्रष्ट चलन को ख़त्म करने के लिए कुछ खास कदम उठाए हैं. अब्दुल्लाकुट्टी लक्षद्वीप में पार्टी के प्रभारी हैं.
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लक्षद्वीप के सांसद फैजल ने आरोप लगाया कि प्रशासक जनविरोधी मसौदा अधिसूचना को ऐसे समय पर लेकर आ रहे हैं. जब लोग कोविड-19 महामारी की मौजूदा स्थिति की वजह से इस पर प्रतिक्रिया देने की स्थिति में भी नहीं हैं.
उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह से यहां स्थायी प्रशासक नियुक्त करने की अपील की.
( इनपुट-भाषा)