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Womens Reservation Bill : विपक्ष ने समय को लेकर सवाल उठाया, 'चुनावी' जुमला बताया - Congress general secretary Jairam Ramesh

केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को कांग्रेस समेत विपक्ष की कई पार्टियों ने चुनावी जुमला बताया है. इसको लेकर कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियों के नेताओं ने एक्स पर पोस्ट किया है. पढ़िए पूरी खबर...

Congress general secretary Jairam Ramesh
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश
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By PTI

Published : Sep 19, 2023, 8:10 PM IST

नई दिल्ली : विपक्ष की कई पार्टियों ने मंगलवार को महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को 'चुनावी जुमला' करार दिया और इसके समय को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि महिलाओं के साथ धोखा हुआ है, क्योंकि इसे 2029 से पहले लागू नहीं किया जा सकेगा. केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक 'नारीशक्ति वंदन विधेयक' को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ( Congress general secretary Jairam Ramesh) ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देने की कोई वास्तविक मंशा होती, तो महिला आरक्षण विधेयक बिना किसी किंतु-परंतु के तुरंत लागू कर दिया गया होता.

  • चुनावी जुमलों के इस मौसम में, यह सबसे बड़ा जुमला है! यह देश की करोड़ों महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है।

    हमने पहले भी बताया है कि मोदी सरकार ने अभी तक 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना नहीं की है। भारत G20 का एकमात्र देश है जो जनगणना कराने में विफल… https://t.co/8iuBVXM49S

    — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, 'चुनावी जुमलों के इस मौसम में यह सभी जुमलों में सबसे बड़ा है! करोड़ों भारतीय महिलाओं और युवतियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है. जैसा कि हमने पहले बताया था, मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं कराई है, जिससे भारत जी20 में एकमात्र देश बन गया है जो जनगणना कराने में विफल रहा है.' उन्होंने कहा, 'अब इसमें कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद पहली दशकीय जनगणना के पश्चात ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा.'

उनके मुताबिक, 'विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके पश्चात परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा. क्या 2024 चुनाव से पहले होगी जनगणना और परिसीमन?'

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, 'मूल रूप से यह विधेयक अपने कार्यान्वयन की तारीख के बहुत अस्पष्ट वादे के साथ आज सुर्खियों में है. यह कुछ और नहीं, बल्कि ईवीएम-इवेंट मैनेजमेंट है.' आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता आतिशी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि महिला आरक्षण विधेयक साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक है. आतिशी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को महिलाओं की भलाई और कल्याण में कोई दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने कहा, 'हम मांग करते हैं कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को हटाया जाए तथा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महिला आरक्षण लागू किया जाए.'

  • महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए।
    इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए।

    — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किये जाने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. सपा प्रमुख यादव ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, 'महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (पीडीए) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए.'

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सरकार को आबादी को ध्‍यान में रखकर महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने पर विचार करना चाहिए. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैंने अपनी पार्टी की ओर से एक बार नहीं, बल्कि कई बार संसद में कहा कि लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को उनकी आबादी को ध्यान में रखते हुए 33 प्रतिशत की जगह 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए. सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए.' जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने मंगलवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाया गया महिला आरक्षण विधेयक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत सरकार द्वारा बहुत पहले महिलाओं को दिए गए आरक्षण से प्रेरित है.

रंजन ने एक बयान में कहा कि महिला आरक्षण विधेयक लाकर केंद्र सरकार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बिहार आज जो करता है, कल पूरा देश उसे अपनाता है.तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान परिषद सदस्य के कविता ने महिला आरक्षण विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी संबंधी खबरों का स्वागत किया, लेकिन विधेयक की विषय वस्तु को लेकर आशंका जताई.

कविता ने कहा कि इस बारे में केंद्र सरकार की ओर से कोई आधिकारिक संचार नहीं किया गया है और 'हर किसी को मीडिया के माध्यम से पता चला है.' कविता ने कुछ महीने पहले महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन किया था. 'पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी' (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने विधेयक का स्वागत किया और इस फैसले को एक बड़ा कदम करार दिया.

मुफ्ती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि पुरुषों के वर्चस्व वाले कठिन राजनीतिक क्षेत्र में अपनी जगह बनाने के बाद मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आखिरकार महिला आरक्षण विधेयक एक वास्तविकता बन जाएगा. आधी आबादी होने के बावजूद हमारा प्रतिनिधित्व बेहद कम है. यह एक बड़ा कदम है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ नहीं है और अगर इसे लागू किया जाता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है.

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नई दिल्ली : विपक्ष की कई पार्टियों ने मंगलवार को महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक को 'चुनावी जुमला' करार दिया और इसके समय को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि महिलाओं के साथ धोखा हुआ है, क्योंकि इसे 2029 से पहले लागू नहीं किया जा सकेगा. केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक 'नारीशक्ति वंदन विधेयक' को मंगलवार को लोकसभा में पेश किया.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ( Congress general secretary Jairam Ramesh) ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देने की कोई वास्तविक मंशा होती, तो महिला आरक्षण विधेयक बिना किसी किंतु-परंतु के तुरंत लागू कर दिया गया होता.

  • चुनावी जुमलों के इस मौसम में, यह सबसे बड़ा जुमला है! यह देश की करोड़ों महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है।

    हमने पहले भी बताया है कि मोदी सरकार ने अभी तक 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना नहीं की है। भारत G20 का एकमात्र देश है जो जनगणना कराने में विफल… https://t.co/8iuBVXM49S

    — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, 'चुनावी जुमलों के इस मौसम में यह सभी जुमलों में सबसे बड़ा है! करोड़ों भारतीय महिलाओं और युवतियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है. जैसा कि हमने पहले बताया था, मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं कराई है, जिससे भारत जी20 में एकमात्र देश बन गया है जो जनगणना कराने में विफल रहा है.' उन्होंने कहा, 'अब इसमें कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद पहली दशकीय जनगणना के पश्चात ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा.'

उनके मुताबिक, 'विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके पश्चात परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा. क्या 2024 चुनाव से पहले होगी जनगणना और परिसीमन?'

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, 'मूल रूप से यह विधेयक अपने कार्यान्वयन की तारीख के बहुत अस्पष्ट वादे के साथ आज सुर्खियों में है. यह कुछ और नहीं, बल्कि ईवीएम-इवेंट मैनेजमेंट है.' आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता आतिशी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि महिला आरक्षण विधेयक साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक है. आतिशी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को महिलाओं की भलाई और कल्याण में कोई दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने कहा, 'हम मांग करते हैं कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को हटाया जाए तथा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महिला आरक्षण लागू किया जाए.'

  • महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए।
    इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए।

    — Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 19, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

महिला आरक्षण विधेयक संसद में पेश किये जाने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. सपा प्रमुख यादव ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, 'महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (पीडीए) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए.'

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सरकार को आबादी को ध्‍यान में रखकर महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने पर विचार करना चाहिए. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैंने अपनी पार्टी की ओर से एक बार नहीं, बल्कि कई बार संसद में कहा कि लोकसभा व राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को उनकी आबादी को ध्यान में रखते हुए 33 प्रतिशत की जगह 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए. सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए.' जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने मंगलवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाया गया महिला आरक्षण विधेयक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत सरकार द्वारा बहुत पहले महिलाओं को दिए गए आरक्षण से प्रेरित है.

रंजन ने एक बयान में कहा कि महिला आरक्षण विधेयक लाकर केंद्र सरकार ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि बिहार आज जो करता है, कल पूरा देश उसे अपनाता है.तेलंगाना की सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान परिषद सदस्य के कविता ने महिला आरक्षण विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी संबंधी खबरों का स्वागत किया, लेकिन विधेयक की विषय वस्तु को लेकर आशंका जताई.

कविता ने कहा कि इस बारे में केंद्र सरकार की ओर से कोई आधिकारिक संचार नहीं किया गया है और 'हर किसी को मीडिया के माध्यम से पता चला है.' कविता ने कुछ महीने पहले महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने की मांग को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन किया था. 'पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी' (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने विधेयक का स्वागत किया और इस फैसले को एक बड़ा कदम करार दिया.

मुफ्ती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि पुरुषों के वर्चस्व वाले कठिन राजनीतिक क्षेत्र में अपनी जगह बनाने के बाद मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आखिरकार महिला आरक्षण विधेयक एक वास्तविकता बन जाएगा. आधी आबादी होने के बावजूद हमारा प्रतिनिधित्व बेहद कम है. यह एक बड़ा कदम है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी महिला आरक्षण विधेयक के खिलाफ नहीं है और अगर इसे लागू किया जाता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है.

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