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मजदूरों और उत्पादकों के काम करने के लिए सुरक्षित माहौल बेहद जरूरी - खनन उद्योग

वर्ल्ड बैंक एंड पैक्ट ने अपनी एक नई रिपोर्ट में बताया है कि काम करने की बेहतर स्थिति में ही उत्पादकता में अहम सुधार हो सकता है. साथ ही यह दुनियाभर के 80 देशों में खनन उद्योग में काम कर रहे 44 मिलियन से ज्यादा खनन मजदूरों के लिए सुरक्षित भी है.

वर्ल्ड बैंक एंड पैक्ट
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Published : May 6, 2021, 4:59 PM IST

हैदराबाद : वर्ल्ड बैंक एंड पैक्ट ने अपनी एक नई रिपोर्ट में बताया है कि काम करने की बेहतर स्थिति में ही उत्पादकता में अहम सुधार किया जा सकता है और साथ यह दुनिया भर के 80 देशों में खनन उद्योग में काम कर रहे 44 मिलियन से ज्यादा खनन मजदूरों के लिए सुरक्षित भी है.

रिपोर्ट खनन और सूक्ष्म उद्योग सेक्टर में व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और निष्पक्ष श्रम मानकों में सुधार के लिए समाधान की रूपरेखा तैयार करती है और इस उद्योग से जुड़े कम से कम 134 मिलियन लोगों की भी सेहत की बात करती है.

इसे भी पढ़ें: भारत में कोविड-19 की भयानक स्थिति, हम सभी के लिए चेतावनी की घंटी होनी चाहिए : यूनीसेफ

सामूहिक रूप से ASM सेक्टर दुनिया का सबसे बड़ा खनन कार्यक्षेत्र है, जहां विश्व स्तर पर अनुमानित 44.75 मिलियन लोग काम करते हैं. वहीं, 60 प्रतिशत ASM देशों के पास इस क्षेत्र में महिला भागीदारी पर कोई डेटा प्रकाशित नहीं है. बता दें, इससे पहले दुनिया का बड़े पैमाने पर खनन उद्योग, लघु खनन उद्योग की तरह असुरक्षित बताया गया था.

सुधारात्मक राष्ट्रीय आंकड़ों के माध्यम से ASM के आर्थिक योगदान के बेहतर डेटा पर इसके राष्ट्रीय और वैश्विक विकास के मूल्य को साबित किया जा सकता है. इस क्षेत्र की अनौपचारिकता, ऐसी निरंतर समस्या जो लगभग 90 प्रतिशत ASM गतिविधि को प्रभावित करती है, दुनिया भर में खनिकों को काम करने की खतरनाक स्थितियों से अवगत कराती है.

भूस्खलन से लेकर चट्टानें टूटने से निकलने वाले पारे के कारण खनन मजदूरों को कार्य स्थल पर अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जाता है. इस तरह की परेशानी कोविड-19 संकट के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों से बढ़ी है. अस्थायी रूप से खदान बंद होने के परिणामस्वरूप खनिकों की आय में कमी, खनिजों के दामों मे गिरावट और एएसएम पर निर्भर वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं के गंभीर अवरोधों के कारण काम में बाधा आई है.

इसे भी पढ़ें: स्पेन में सामने आए भारत में मिले कोरोना वायरस के नए वेरिएंट के 11 केस

अनौपचारिक रूप से संचालित ASM गतिविधि के 80-90 प्रतिशत कारीगर और छोटे स्तर पर काम करने वाले मजदूर 1.6 अरब अनौपचारिक श्रमिकों में शामिल हैं, जो अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (2020) के अनुमान से कोरोना महामारी के कारण अपनी नौकरी गवां सकते हैं.

एल्बर्ट टेन कैट, इरीन शिपर, विसेंट कीजब्रिंक और माइके रीमर्स जैसे कॉर्पोरेट रिसर्चर के अनुसार, भारत में खनिज माइका (अभ्रक) में 20 हजार बच्चे भी शामिल हैं. फैटालिटी के आंकड़ें बताते हैं कि साल 2019 में 20 देशों में 37 अलग-अलग घटनाओं में 592 वर्करों की मौत हुई.

इसमें सबसे घातक भूस्खलन और जमीन के गिरने से 73 फीसदी मजदूरों की मौत हुई और 52 फीसदी के लिए अन्य घटनाएं कारण बनीं. इसके बाद, गैस विस्फोट, सांस के जरिए गैस का शरीर में जाना और विस्फोट की नौ घटनाओं के परिणामस्वरूप 73 लोगों की मौत हुई.

हैदराबाद : वर्ल्ड बैंक एंड पैक्ट ने अपनी एक नई रिपोर्ट में बताया है कि काम करने की बेहतर स्थिति में ही उत्पादकता में अहम सुधार किया जा सकता है और साथ यह दुनिया भर के 80 देशों में खनन उद्योग में काम कर रहे 44 मिलियन से ज्यादा खनन मजदूरों के लिए सुरक्षित भी है.

रिपोर्ट खनन और सूक्ष्म उद्योग सेक्टर में व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और निष्पक्ष श्रम मानकों में सुधार के लिए समाधान की रूपरेखा तैयार करती है और इस उद्योग से जुड़े कम से कम 134 मिलियन लोगों की भी सेहत की बात करती है.

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सामूहिक रूप से ASM सेक्टर दुनिया का सबसे बड़ा खनन कार्यक्षेत्र है, जहां विश्व स्तर पर अनुमानित 44.75 मिलियन लोग काम करते हैं. वहीं, 60 प्रतिशत ASM देशों के पास इस क्षेत्र में महिला भागीदारी पर कोई डेटा प्रकाशित नहीं है. बता दें, इससे पहले दुनिया का बड़े पैमाने पर खनन उद्योग, लघु खनन उद्योग की तरह असुरक्षित बताया गया था.

सुधारात्मक राष्ट्रीय आंकड़ों के माध्यम से ASM के आर्थिक योगदान के बेहतर डेटा पर इसके राष्ट्रीय और वैश्विक विकास के मूल्य को साबित किया जा सकता है. इस क्षेत्र की अनौपचारिकता, ऐसी निरंतर समस्या जो लगभग 90 प्रतिशत ASM गतिविधि को प्रभावित करती है, दुनिया भर में खनिकों को काम करने की खतरनाक स्थितियों से अवगत कराती है.

भूस्खलन से लेकर चट्टानें टूटने से निकलने वाले पारे के कारण खनन मजदूरों को कार्य स्थल पर अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जाता है. इस तरह की परेशानी कोविड-19 संकट के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों से बढ़ी है. अस्थायी रूप से खदान बंद होने के परिणामस्वरूप खनिकों की आय में कमी, खनिजों के दामों मे गिरावट और एएसएम पर निर्भर वैश्विक खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं के गंभीर अवरोधों के कारण काम में बाधा आई है.

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अनौपचारिक रूप से संचालित ASM गतिविधि के 80-90 प्रतिशत कारीगर और छोटे स्तर पर काम करने वाले मजदूर 1.6 अरब अनौपचारिक श्रमिकों में शामिल हैं, जो अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (2020) के अनुमान से कोरोना महामारी के कारण अपनी नौकरी गवां सकते हैं.

एल्बर्ट टेन कैट, इरीन शिपर, विसेंट कीजब्रिंक और माइके रीमर्स जैसे कॉर्पोरेट रिसर्चर के अनुसार, भारत में खनिज माइका (अभ्रक) में 20 हजार बच्चे भी शामिल हैं. फैटालिटी के आंकड़ें बताते हैं कि साल 2019 में 20 देशों में 37 अलग-अलग घटनाओं में 592 वर्करों की मौत हुई.

इसमें सबसे घातक भूस्खलन और जमीन के गिरने से 73 फीसदी मजदूरों की मौत हुई और 52 फीसदी के लिए अन्य घटनाएं कारण बनीं. इसके बाद, गैस विस्फोट, सांस के जरिए गैस का शरीर में जाना और विस्फोट की नौ घटनाओं के परिणामस्वरूप 73 लोगों की मौत हुई.

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