नई दिल्ली : नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड टीके के लिए अनिवार्य लाइसेंस कोई आकर्षक विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि क्योंकि यह एक ऐसा 'फॉर्मूला' नहीं है जो अधिक मायने रखता हो, बल्कि कच्चे माल को प्राप्त करना और मानव संसाधन प्रशिक्षण पर भी विचार करने की जरूरत है.
कोविड-19 के लिए टीका प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) के अध्यक्ष पॉल ने कहा कि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण महत्वपूर्ण है और यह उस कंपनी के नियंत्रण में होता है जिसने अनुसंधान और विकास किया है.
उल्लेखनीय है कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच टीके की कमी को लेकर सरकार को विभिन्न तबकों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
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उन्होंने कहा, 'अनिवार्य लाइसेंसिंग एक बहुत आकर्षक विकल्प नहीं है क्योंकि यह एक ऐसा 'फॉर्मूला' नहीं है जो मायने रखता हो. बल्कि सक्रिय भागीदारी, मानव संसाधनों का प्रशिक्षण, कच्चे माल की सोर्सिंग और उच्च स्तर की जैव-सुरक्षा प्रयोगशालाओं की आवश्यकता है.'
पॉल ने कहा, 'वास्तव में, हम अनिवार्य लाइसेंसिंग से एक कदम आगे बढ़ चुके हैं और कोवैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भारत बॉयोटेक और 3 अन्य संस्थाओं के बीच सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं. स्पूतनिक के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था की जा रही है.'
बच्चों के टीकाकरण के सवाल पर उन्होंने कहा, 'अभी तक दुनिया का कोई भी देश बच्चों को टीका नहीं दे रहा है. साथ ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बच्चों का टीकाकरण करने की कोई सिफारिश नहीं की है.'
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पॉल ने कहा, 'बच्चों में टीका सुरक्षा को लेकर अध्ययन किए गए हैं, और यह उत्साहजनक रहे हैं. भारत में भी जल्द ही बच्चों पर परीक्षण शुरू होने जा रहा है.' हालांकि, उन्होंने कहा कि बच्चों का टीकाकरण व्हाट्सएप ग्रुपों में फैलाई जा रही 'घबराहट' और क्योंकि कुछ राजनेता इस पर राजनीति करना चाहते हैं, उसके आधार पर तय नहीं किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'परीक्षणों के आधार पर पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध होने के बाद ही हमारे वैज्ञानिकों द्वारा यह निर्णय किया जाना है.'