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पूजा-पाठ नहीं करने देती है सास, बहुओं ने खटखटाया महिला आयोग का दरवाजा

मध्य प्रदेश की राजधानी में राज्य महिला आयोग के सामने एक बड़ा अजीबो-गरीब मामला आया है. दरअसल, अभी तक जितने भी मामले आते हैं, उनमें आधुनिक बहुएं अपनी सास की बात नहीं मानती हैं या उनको सास की टोकाटाकी पसंद नहीं होती है. लेकिन इस बार राज्य महिला आयोग में दो बहुओं ने अपनी सास के खिलाफ आवेदन दिया है. इसमें कहा गया है कि उनकी सास उन्हें घर मे पूजा-पाठ और धार्मिक आयोजनों के लिए मना करती हैं.

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Published : Apr 30, 2022, 8:58 PM IST

भोपाल: भोपाल के द्वारका नगर क्षेत्र की दो महिलाएं अपनी सास को समझाने की गुहार लेकर महिला आयोग पहुंचीं. दरअसल, ये दोनों महिलाएं रिश्ते में देवरानी-जेठानी हैं और इसके अलावा वे आपस में कजिन सिस्टर भी हैं. जब उन्होंने आयोग में आवेदन दिया तो वह चर्चा का विषय बन गया. दोनों ने अपने आवेदन में लिखा है कि उनकी सास को नास्तिक से आस्तिक बनाया जाए. हालांकि आयोग ने उन्हें समझाया कि यह हर व्यक्ति का निजी निर्णय है कि वह पूजा-पाठ करे या न करे. ईश्वर में विश्वास व्यक्ति का निजी मामला होता है. इसमें आयोग कुछ नहीं कर सकता.

पूजा करने से रोकती हैं: आयोग के कर्मचारियों ने पूछा कि क्या उनकी सास उन्हें किसी तरह से प्रताड़ित करती हैं तो उन्होंने बताया कि उनकी सास बहुत अच्छे स्वभाव की हैं. उनका ख्याल भी रखती हैं, वह बस धार्मिक और आस्तिक नहीं हैं. वो पूजा इत्यादि करने के लिए उन्हें रोकती-टोकती हैं. बड़ी बहू ने बताया कि वह मूलतः दतिया से शादी करके भोपाल आई है. वहीं उनके मामा की बेटी जो भोपाल की रहने वाली है, उसकी 4 साल पहले उन्हीं के देवर से शादी हुई है.

यह भी पढ़ें-'मातोश्री'-हनुमान चालीसा विवाद : राणा दंपति को नहीं मिली जमानत, 2 मई को आएगा फैसला

व्रत -त्यौहार नहीं मना पातीं : बहुओं ने बताया कि आज तक घर में ना तो सत्यनारायण भगवान की कथा हुई है और ना ही किसी तरह के व्रत त्यौहार मना पा रही हैं. दोनों बहुएं ही अपनी ओर से घर में रोज की पूजा कर लेती हैं. इसमें भी सास का कहना है कि पहले घर के सारे काम पूरा करो, उसके बाद ये चोंचलेबाजी करती रहना. दोनों ने कहा कि केवल इस बात को लेकर हमारी बहस होती है. बाकी परिवार में सब कुछ बहुत अच्छा है.

भोपाल: भोपाल के द्वारका नगर क्षेत्र की दो महिलाएं अपनी सास को समझाने की गुहार लेकर महिला आयोग पहुंचीं. दरअसल, ये दोनों महिलाएं रिश्ते में देवरानी-जेठानी हैं और इसके अलावा वे आपस में कजिन सिस्टर भी हैं. जब उन्होंने आयोग में आवेदन दिया तो वह चर्चा का विषय बन गया. दोनों ने अपने आवेदन में लिखा है कि उनकी सास को नास्तिक से आस्तिक बनाया जाए. हालांकि आयोग ने उन्हें समझाया कि यह हर व्यक्ति का निजी निर्णय है कि वह पूजा-पाठ करे या न करे. ईश्वर में विश्वास व्यक्ति का निजी मामला होता है. इसमें आयोग कुछ नहीं कर सकता.

पूजा करने से रोकती हैं: आयोग के कर्मचारियों ने पूछा कि क्या उनकी सास उन्हें किसी तरह से प्रताड़ित करती हैं तो उन्होंने बताया कि उनकी सास बहुत अच्छे स्वभाव की हैं. उनका ख्याल भी रखती हैं, वह बस धार्मिक और आस्तिक नहीं हैं. वो पूजा इत्यादि करने के लिए उन्हें रोकती-टोकती हैं. बड़ी बहू ने बताया कि वह मूलतः दतिया से शादी करके भोपाल आई है. वहीं उनके मामा की बेटी जो भोपाल की रहने वाली है, उसकी 4 साल पहले उन्हीं के देवर से शादी हुई है.

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व्रत -त्यौहार नहीं मना पातीं : बहुओं ने बताया कि आज तक घर में ना तो सत्यनारायण भगवान की कथा हुई है और ना ही किसी तरह के व्रत त्यौहार मना पा रही हैं. दोनों बहुएं ही अपनी ओर से घर में रोज की पूजा कर लेती हैं. इसमें भी सास का कहना है कि पहले घर के सारे काम पूरा करो, उसके बाद ये चोंचलेबाजी करती रहना. दोनों ने कहा कि केवल इस बात को लेकर हमारी बहस होती है. बाकी परिवार में सब कुछ बहुत अच्छा है.

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