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जीएसटी मुनाफाखोरी से जुड़ी शिकायतें दिसंबर से प्रतिस्पर्द्धा आयोग देखेगाः अधिकारी

एनएए का गठन नवंबर 2017 में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून की धारा 171ए के तहत मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने के मकसद से किया गया था. प्राधिकरण को यह दायित्व दिया गया कि जीएसटी दरों में किसी भी कटौती और इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाए.

Competition Commission to look into GST profiteering complaints from December
जीएसटी मुनाफाखोरी से जुड़ी शिकायतें दिसंबर से प्रतिस्पर्द्धा आयोग देखेगाः
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Published : Nov 15, 2022, 1:15 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) का विस्तारित कार्यकाल इस महीने खत्म होने से जीएसटी से संबंधित सभी मुनाफाखोरी शिकायतों का निपटान एक दिसंबर से भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) ही करेगा. एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि अगले कुछ दिनों में इस संबंध में वित्त मंत्रालय की तरफ से एक अधिसूचना जारी किए जाने की उम्मीद है.

एनएए का गठन नवंबर 2017 में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून की धारा 171ए के तहत मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने के मकसद से किया गया था. प्राधिकरण को यह दायित्व दिया गया कि जीएसटी दरों में किसी भी कटौती और इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाए. शुरुआत में इस प्राधिकरण का गठन दो साल के लिए किया गया था लेकिन बाद में इसका कार्यकाल बढ़ाकर नवंबर 2021 कर दिया गया.

पढ़ें: श्रद्धा के दोस्त ने बताई दर्दनाक रिश्ते की कहानी, वह छोड़ना चाहती थी लेकिन...

जीएसटी से संबंधित मामलों की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था जीएसटी परिषद की गत वर्ष सितंबर में आयोजित 45वीं बैठक में एनएए के कार्यकाल को फिर से एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था. उस बैठक में यह फैसला भी हुआ था कि नवंबर 2022 के बाद मुनाफाखोरी से जुड़ी शिकायतों को सीसीआई ही देखेगा. जीएसटी परिषद के उस फैसले के हिसाब से एनएए का वजूद 30 नवंबर, 2022 के बाद खत्म हो जाएगा.

ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं की तरफ से माल एवं सेवा प्रदाताओं के खिलाफ दर्ज कराई गई मुनाफाखोरी संबंधी सभी शिकायतों की जांच मुनाफाखोरी-रोधी महानिदेशालय (डीजीएपी) करेगा और फिर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. अधिकारी ने कहा कि जीएसटी मुनाफाखोरी से जुड़े मामलों को देखने के लिए प्रतिस्पर्द्धा आयोग में एक अलग प्रकोष्ठ गठित किए जाने की संभावना है। प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत सीसीआई का गठन किया गया था.

पढ़ें: श्रद्धा मर्डर केस: पिता को 'लव जिहाद' का शक, आफताब के लिए मांगी मौत की सजा

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) का विस्तारित कार्यकाल इस महीने खत्म होने से जीएसटी से संबंधित सभी मुनाफाखोरी शिकायतों का निपटान एक दिसंबर से भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (सीसीआई) ही करेगा. एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि अगले कुछ दिनों में इस संबंध में वित्त मंत्रालय की तरफ से एक अधिसूचना जारी किए जाने की उम्मीद है.

एनएए का गठन नवंबर 2017 में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून की धारा 171ए के तहत मुनाफाखोरी पर लगाम लगाने के मकसद से किया गया था. प्राधिकरण को यह दायित्व दिया गया कि जीएसटी दरों में किसी भी कटौती और इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाए. शुरुआत में इस प्राधिकरण का गठन दो साल के लिए किया गया था लेकिन बाद में इसका कार्यकाल बढ़ाकर नवंबर 2021 कर दिया गया.

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जीएसटी से संबंधित मामलों की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था जीएसटी परिषद की गत वर्ष सितंबर में आयोजित 45वीं बैठक में एनएए के कार्यकाल को फिर से एक साल के लिए बढ़ा दिया गया था. उस बैठक में यह फैसला भी हुआ था कि नवंबर 2022 के बाद मुनाफाखोरी से जुड़ी शिकायतों को सीसीआई ही देखेगा. जीएसटी परिषद के उस फैसले के हिसाब से एनएए का वजूद 30 नवंबर, 2022 के बाद खत्म हो जाएगा.

ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं की तरफ से माल एवं सेवा प्रदाताओं के खिलाफ दर्ज कराई गई मुनाफाखोरी संबंधी सभी शिकायतों की जांच मुनाफाखोरी-रोधी महानिदेशालय (डीजीएपी) करेगा और फिर प्रतिस्पर्द्धा आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. अधिकारी ने कहा कि जीएसटी मुनाफाखोरी से जुड़े मामलों को देखने के लिए प्रतिस्पर्द्धा आयोग में एक अलग प्रकोष्ठ गठित किए जाने की संभावना है। प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत सीसीआई का गठन किया गया था.

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