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CWG 2022: पहलवान दादा से प्रेरित होकर 12 साल की उम्र में साक्षी ने शुरू की रेसलिंग, अब गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG 2022) में हरियाणा की छोरी साक्षी मलिक (Sakshi Malik) ने गोल्ड मेडल जीता है. 62 किलोग्राम भार वर्ग में साक्षी ने कनाडा की पहलवान एना पाउला को हराया. ये साक्षी का कॉमनवेल्थ गेम्स में तीसरा मेडल है. हरियाणा के रोहतक जिले में जन्मी साक्षी की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है.

wrestler sakshi malik
साक्षी मलिक.
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Published : Aug 6, 2022, 7:11 AM IST

चंडीगढ़: साक्षी मलिक ने राष्ट्रमंडल खेलों में इतिहास रच दिया. उन्होंने पहली बार स्वर्ण पदक (sakshi malik won gold medal) अपने नाम किया है. साक्षी ने फ्री स्टाइल 62 किग्रा वर्ग में कनाडा की एन्ना गोडिनेज गोंजालेज को हराया. साक्षी ने पहले विपक्षी खिलाड़ी को चित्त कर चार अंक हासिल किए. उसके बाद पिनबॉल से जीत हासिल की. साक्षी इससे पहले राष्ट्रमंडल खेलों में रजत (2014) और कांस्य पदक (2018) जीत चुकी थीं.

साक्षी मलिक का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव में हुआ. साक्षी के दादा सुबीर मलिक भी पहलवान थे, उन्हें देखने के बाद और उनसे प्रेरित होकर साक्षी मलिक ने रेसलिंग में आने का मन बनाया. केवल 12 साल की उम्र में ही साक्षी ने कोच ईश्वर दहिया के नेतृत्व में प्रशिक्षण शुरू किया. पांच साल बाद, उन्होंने 2009 के एशियाई जूनियर विश्व चैंपियनशिप के फ्रीस्टाइल 59 किग्रा भारवर्ग में रजत पदक जीतकर सफलता का पहला स्वाद चखा.

wrestler sakshi malik
साक्षी मलिक.

ये भी पढ़ें- CWG 2022: साक्षी ने रचा इतिहास, जीता स्वर्ण पदक

इसके बाद साक्षी ने साल 2010 विश्व जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर खुद की पहचान बनाई. 2013 के कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में कांस्य जीतने के बाद, साक्षी मलिक ने ग्लासगो में अपना पहला कॉमनवेल्थ गेम्स खेला. 58 किलोग्राम के फाइनल में साक्षी नाइजीरिया की अमीनत अदेनियी से हार गई. जिसके बाद उन्होंने रजत पदक से संतोष करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने 2018 में 62 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक के साथ अपना दूसरा राष्ट्रमंडल खेल पदक जीता. अब साक्षी मलिक ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है.

चंडीगढ़: साक्षी मलिक ने राष्ट्रमंडल खेलों में इतिहास रच दिया. उन्होंने पहली बार स्वर्ण पदक (sakshi malik won gold medal) अपने नाम किया है. साक्षी ने फ्री स्टाइल 62 किग्रा वर्ग में कनाडा की एन्ना गोडिनेज गोंजालेज को हराया. साक्षी ने पहले विपक्षी खिलाड़ी को चित्त कर चार अंक हासिल किए. उसके बाद पिनबॉल से जीत हासिल की. साक्षी इससे पहले राष्ट्रमंडल खेलों में रजत (2014) और कांस्य पदक (2018) जीत चुकी थीं.

साक्षी मलिक का जन्म 3 सितंबर 1992 को हरियाणा के रोहतक जिले के मोखरा गांव में हुआ. साक्षी के दादा सुबीर मलिक भी पहलवान थे, उन्हें देखने के बाद और उनसे प्रेरित होकर साक्षी मलिक ने रेसलिंग में आने का मन बनाया. केवल 12 साल की उम्र में ही साक्षी ने कोच ईश्वर दहिया के नेतृत्व में प्रशिक्षण शुरू किया. पांच साल बाद, उन्होंने 2009 के एशियाई जूनियर विश्व चैंपियनशिप के फ्रीस्टाइल 59 किग्रा भारवर्ग में रजत पदक जीतकर सफलता का पहला स्वाद चखा.

wrestler sakshi malik
साक्षी मलिक.

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इसके बाद साक्षी ने साल 2010 विश्व जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर खुद की पहचान बनाई. 2013 के कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में कांस्य जीतने के बाद, साक्षी मलिक ने ग्लासगो में अपना पहला कॉमनवेल्थ गेम्स खेला. 58 किलोग्राम के फाइनल में साक्षी नाइजीरिया की अमीनत अदेनियी से हार गई. जिसके बाद उन्होंने रजत पदक से संतोष करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने 2018 में 62 किलोग्राम वर्ग में कांस्य पदक के साथ अपना दूसरा राष्ट्रमंडल खेल पदक जीता. अब साक्षी मलिक ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है.

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