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73,000 अमेरिकी सिग सॉयर असॉल्ट राइफल खरीदने का ऑर्डर अंतिम दौर में - US Sig Sauer rifles

भारत जल्द ही यूएस-निर्मित 73,000 सिग सॉयर असॉल्ट राइफल्स के एक और बैच को खरीदने के लिए तैयार है. इसको लेकर अब सिर्फ केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलनी बाकी है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

American Sig Sauer Assault Rifle
अमेरिकी सिग सॉयर असॉल्ट राइफल
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Published : May 19, 2022, 6:43 PM IST

नई दिल्ली : भारत को जल्द ही 73,000 अमेरिकी सिग सॉयर असॉल्ट राइफलें (Sig Sauer-716 Rifles) जल्द मिल सकेंगी. क्योंकि इन राइफलों को मंगाने का ऑर्डर अंतिम दौर में है. इस बारे में रक्षा मंत्रालय की मंजूरी, मूल्य वार्ता सहित अन्य बिंदुओं को लेकर सब पर सहमति हो चुकी है. अब बस इस बारे में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलनी बाकी है. इस बारे में नाम न छापने की शर्त पर भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ सूत्र ने हाल की रिपोर्टों को नकारते हुए कहा कि सिग सॉयर असॉल्ट राइफलों के दोबारा आदेश नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि सौदा नहीं होने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता है, यह बिल्कुल अंतिम चरण में है.

उन्होंने बताया कि इन असॉल्ट राइफलों की कुल 72,400 राइफलों की पहली खेप पिछले साल से आनी शुरू हो गई थी और इसे सबसे पहले चीन के साथ पूर्वी लद्दाख सीमा पर तैनात सैनिकों और कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए तैनात सैनिकों को दिया गया था. इन 72,400 राइफलों में से सेना को 66,400, भारतीय वायुसेना को 4,000 और 2,000 को नौसेना के लिए मिलना था. इन राइफलों को इंसास राइफलों को बदलने के लिए लाया जा रहा है. इंसास को लेकर कई विवादास्पद पहलू जुड़े रहे हैं.

तीनों सशस्त्र बलों को एक साथ लगभग 7,40,000 असॉल्ट राइफलों, 3,50,000 क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन, 41,000 लाइट मशीन गन्स (LMGs) और 5,700 से अधिक उच्च-सटीक स्नाइपर राइफल्स की कुल छोटे हथियारों की कमी का सामना करना पड़ता है. इनमें विदेशों से खरीद के बाद इनके भारत में उत्पादन को लेकर भी रुपरेखा बनाई जानी थी.

बता दें कि जुलाई 2021 में भारत और रूस ने संयुक्त रूप से AK 203 असॉल्ट राइफलों का उत्पादन करने के लिए एक समझौता किया था. इसमें लगभग 1 लाख AK 203 असॉल्ट राइफले सीधे रूस खरीदी जाएंगी. वहीं उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोरवा की फैक्ट्री से हर साल लगभग 75,000 राइफल की दर से उत्पादन होना था. इन राइफलों का उत्पादन राज्य द्वारा संचालित आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के द्वारा भारत-रूस प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के अंर्तगत किया जाना था. इसमें कलाश्निकोव कंसर्न और रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ 42 प्रतिशत और 7.5 के योगदान के साथ 50.5 प्रतिशत का निवेश करेगा.

ये भी पढ़ें - पाक-चीन से रक्षा के लिए भारत अगले महीने तक तैनात कर सकता है एस-400 मिसाइल सिस्टम : पेंटागन

बताया जा रहा है कि AK 203 परियोजना अभी भी उत्पादन के पूर्व के परीक्षण चरण में है और रूस के साथ यूक्रेन संघर्ष की वजह से इसे गति नहीं दी जा सकी है. इसी बीच अगस्त 2021 में भारत ने रूस के साथ 70 हजार AK 103 राइफल खरीदने का समझौता किया. जबकि डीआरडीओ द्वारा निर्मित इंसास कारगिल युद्ध में सफल साबित नहीं हुआ था, इस वजह से सितंबर 2015 में सेना कमांडरों के सम्मेलन ने मूल मुख्य हथियार को 5.56 मिमी से 7.62 मिमी करने के लिए तत्काल परिवर्तन का सुझाव दिया गया था. सिग सॉयर एसआईजी 716 7.62x51 मिमी असॉल्ट राइफलें भारतीय निर्मित 5.56x45 मिमी इंसास राइफलों की जगह लेंगी.

नई दिल्ली : भारत को जल्द ही 73,000 अमेरिकी सिग सॉयर असॉल्ट राइफलें (Sig Sauer-716 Rifles) जल्द मिल सकेंगी. क्योंकि इन राइफलों को मंगाने का ऑर्डर अंतिम दौर में है. इस बारे में रक्षा मंत्रालय की मंजूरी, मूल्य वार्ता सहित अन्य बिंदुओं को लेकर सब पर सहमति हो चुकी है. अब बस इस बारे में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलनी बाकी है. इस बारे में नाम न छापने की शर्त पर भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ सूत्र ने हाल की रिपोर्टों को नकारते हुए कहा कि सिग सॉयर असॉल्ट राइफलों के दोबारा आदेश नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि सौदा नहीं होने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता है, यह बिल्कुल अंतिम चरण में है.

उन्होंने बताया कि इन असॉल्ट राइफलों की कुल 72,400 राइफलों की पहली खेप पिछले साल से आनी शुरू हो गई थी और इसे सबसे पहले चीन के साथ पूर्वी लद्दाख सीमा पर तैनात सैनिकों और कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों के लिए तैनात सैनिकों को दिया गया था. इन 72,400 राइफलों में से सेना को 66,400, भारतीय वायुसेना को 4,000 और 2,000 को नौसेना के लिए मिलना था. इन राइफलों को इंसास राइफलों को बदलने के लिए लाया जा रहा है. इंसास को लेकर कई विवादास्पद पहलू जुड़े रहे हैं.

तीनों सशस्त्र बलों को एक साथ लगभग 7,40,000 असॉल्ट राइफलों, 3,50,000 क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन, 41,000 लाइट मशीन गन्स (LMGs) और 5,700 से अधिक उच्च-सटीक स्नाइपर राइफल्स की कुल छोटे हथियारों की कमी का सामना करना पड़ता है. इनमें विदेशों से खरीद के बाद इनके भारत में उत्पादन को लेकर भी रुपरेखा बनाई जानी थी.

बता दें कि जुलाई 2021 में भारत और रूस ने संयुक्त रूप से AK 203 असॉल्ट राइफलों का उत्पादन करने के लिए एक समझौता किया था. इसमें लगभग 1 लाख AK 203 असॉल्ट राइफले सीधे रूस खरीदी जाएंगी. वहीं उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोरवा की फैक्ट्री से हर साल लगभग 75,000 राइफल की दर से उत्पादन होना था. इन राइफलों का उत्पादन राज्य द्वारा संचालित आयुध निर्माणी बोर्ड (OFB) के द्वारा भारत-रूस प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के अंर्तगत किया जाना था. इसमें कलाश्निकोव कंसर्न और रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ 42 प्रतिशत और 7.5 के योगदान के साथ 50.5 प्रतिशत का निवेश करेगा.

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बताया जा रहा है कि AK 203 परियोजना अभी भी उत्पादन के पूर्व के परीक्षण चरण में है और रूस के साथ यूक्रेन संघर्ष की वजह से इसे गति नहीं दी जा सकी है. इसी बीच अगस्त 2021 में भारत ने रूस के साथ 70 हजार AK 103 राइफल खरीदने का समझौता किया. जबकि डीआरडीओ द्वारा निर्मित इंसास कारगिल युद्ध में सफल साबित नहीं हुआ था, इस वजह से सितंबर 2015 में सेना कमांडरों के सम्मेलन ने मूल मुख्य हथियार को 5.56 मिमी से 7.62 मिमी करने के लिए तत्काल परिवर्तन का सुझाव दिया गया था. सिग सॉयर एसआईजी 716 7.62x51 मिमी असॉल्ट राइफलें भारतीय निर्मित 5.56x45 मिमी इंसास राइफलों की जगह लेंगी.

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