नई दिल्ली : हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह का मार्केट वैल्यू लगातार गिर रहा है. एक महीने पहले कंपनी की जितनी वैल्यू थी, आज वह आधी से भी कम रह गई है. इसके बावजूद अडाणी ग्रुप ने अपना हौंसला नहीं खोया है. कंपनी ने निवेशकों के विश्वास की पुनर्बहाली के लिए कई कदम उठाए हैं. कंपनी का कहना है कि वह अपने कर्जों का जल्द से जल्द निपटारा कर रही है और उसके बाद वह फिर से अपने बिजनेस को पहले की भांति डायवर्सिफाइड करती रहेगी, यानी अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश जारी रहेगा. कंपनी ने इसके लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं, आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं.
बेस्ट लॉ फर्म से किया संपर्क - आपको बता दें कि अडाणी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को चुनौती देने के लिए अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित लॉ फर्म वाचटेल से संपर्क किया है. कंपनी इसके जरिए उनकी रिपोर्ट को कानूनी चुनौती दे सकती है, हालांकि, ऑन द रिकॉर्ड किसी ने भी ऐसा बयान नहीं दिया है.
नई खरीददारी बंद, कर्ज का भुगतान शुरू - अडाणी ने नई खरीददारी बंद कर दी है और जो भी देनदारियां हैं, उसे कम करने की लगातार कोशिश की जा रही है. इसी सिलसिले में अडाणी ग्रुप ने डीबी ग्रुप की 850 मिलियन डॉलर की कोल प्लांट खरीद रद्द कर दी. कंपनी ने अपने सभी पुराने कर्जों को खत्म करने की शुरुआत की है. कर्जदारों को भरोसा दिया है कि वह बाकी के पैसे भी जल्द चुकाएंगे.
विदेशी बॉंडहोल्डर्स के साथ बैठक - अडाणी ग्रुप ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए उन लोगों के साथ लगातार बैठकों की शुरुआत की है, जिन्होंने उनकी कंपनी में निवेश किया, खासकर विदेशी निवेशकों के साथ. विदेशी बॉंडहोल्डर्स की चिंताओं को शांत करने की लगातार कोशिश की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अडाणी ग्रुप ने ऐसे निवेशकों से हाल के वर्षों में आठ बिलियन डॉलर की फंडिंग प्राप्त की है.
बेस्ट ग्लोबल कम्युनिकेशंस एडवायजर को किया हायर - 11 फरवरी को ब्लूमबर्ग ने एक खबर प्रकाशित की थी. इसके अनुसार अडाणी ग्रुप ने Kekst CNC को अपना ग्लोबल कम्युनिकेशंस एडवायजर हायर किया है. यह एक पीआर फर्म है. इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क और म्यूनिख में है. इस फर्म ने 2019 में वीवर्क इंक वैल्यूशन को इसी तरह के मामले से उबरने में मदद की थी. इनका मुख्य मकसद निवेशकों के विश्वास की पुनर्बहाली है. उम्मीद की जा रही है कि वे अडाणी ग्रुप को न सिर्फ हिंडनबर्ग के चोटों से उबारेंगे, बल्कि कंपनी को नए कंटेक्स्ट में रखकर फिर से नई जान डालेंगे. बिजनेस के जो भी फंडामेंटल्स होते हैं, उन्हें वो बाजार के सामने मजबूती से सामने रखेंगे.
सिमुलेशन स्टडी - केकस्ट फर्म (Kekst CNC) अडानी की सी-सूट और कम्युनिकेशन टीम के साथ काम कर रहा है. सूत्रों की मानें तो केकस्ट फर्म एक 'सिचुएशन रूम' बनाता है. इसे आप 'सिमुलेशन' के टर्म से भी समझ सकते हैं. यानि वे एक ऐसा आभासी माहौल बनाते हैं, जहां पर सभी फैक्टर्स का अध्ययन किया जाता है, उसका क्या असर पड़ेगा, इसको नोट डाउन किया जाता है. ट्वीट्स और पत्रकारों के सवाल और निगेटिव फैक्टर्स की बमबार्डिंग की जाती है, ताकि उसके असर का पूरी तरह से अध्ययन किया जा सके.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में टफेट्स यूनिवर्सिटी के फ्लेचर स्कूल के डीन भास्कर चक्रवर्ती का एक बयान प्रकाशित किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि शेयर बाजार में लहूलुहान होने के बावजूद अडाणी ग्रुप अगर वाचटेल जैसे महंगे फर्म को हायर कर रहा है, तो यह बड़ी बात है, लेकिन एक निवेशक होने के नाते अभी भी मेरे मन में कई सवाल हैं.
महत्वपूर्ण बात ये है कि अडाणी प्रकरण ऐसे समय में आया है, जबकि भारत दुनिया के निवेशकों को यह संदेश दे रहा है कि वहां पर चीन से बेहतर माहौल है. पर अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस ने जो सवाल खड़े किए हैं, उसने पीएम मोदी और अडाणी के बीच संबंधों को कथित तौर पर उजागर किया है. पीएम ने इस मामले पर जवाब नहीं दिया है.
बिजनेस फंडामेटल को मजबूत करने पर जोर - अखबार लिखता है कि निवेशकों के सामने प्रमुख रूप से दो सवाल हैं. पहला सवाल है- ग्रुप के हाई लिवरेज रेशियो का और दूसरा सवाल है- कैश फ्लो जेनरेट करने की क्षमता का. ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ग्रुप ने शेयरों की बिक्री की वजह से 2.5 बिलियन डॉलर खो दिया है. लिवरेज रेशियो का मतलब होता है कंपनी के पास कितनी संपत्ति और नकदी है, और उसने इस आधार पर कितना ऋण लिया है. इन तीनों को मिलाकर ही कंपनी की वैल्यू तय की जाती है. संपत्ति और सेवा के बदले ज्यादा ऋण ले लिया जाता है, तो यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती है.
अभी भी अडाणी ग्रुप के पास काफी असेट्स हैं - ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि अडाणी ग्रुप ने बॉंडहोल्डर्स को कहा है कि कंपनी का लक्ष्य कर्ज को कम करना है. इसे तीन गुणे से कम करना है. अभी 3.2 गुणा कर्ज है. इसके मद्देनजर कंपनी ने डीबी पावर लि. की डील रद्द कर दी. इंडियान एक्सप्रेस ने हॉंगकॉंग में नेटिक्सिस एसए के सीनियर अर्थशास्त्री त्रिण न्ग्यूयेन का एक बयान प्रकाशित किया है. इसमें बताया गया है कि अडाणी ग्रुप के पास संपत्ति है, इसलिए वो चाहें तो पैसा जुटा सकते हैं.
कंपनी के पास पर्याप्त नकदी - अडाणी ग्रुप ने साफ किया है कि उसके सामने लिक्विडिटी (नकदी) की समस्या नहीं है. वह किसी भी सोलवेंसी (दिवालिया) का सामना नहीं कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार छह फरवरी को ही कंपनी ने 1.11 बिलियन डॉलर की उधारी को चुकता किया है. इसके जरिए कंपनी ने अपने ही समूह की तीन फर्मों में गिरवी रखे शेयरों को फिर से प्राप्त करने के लिए इसे चुकता किया था. इसी तरह से अडाणी पोर्ट यूनिट ने भी आठ फरवरी को यह घोषणा की है कि वह अप्रैल 2023 में 50 अरब का कर्ज चुकता करेगा. कंपनी ने कहा है कि वह 500 मिलियन डॉलर का पेमेंट अगले महीने करेगा.
इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच - अब सवाल यह है कि कंपनी किसी स्वतंत्र एजेंसी से पूरे ग्रुप की जांच कराने के लिए क्यों तैयार नहीं है. मीडिया रिपोर्ट के आधार पर कहा जा सकता है कि ग्रुप सिद्धान्ततः इसके लिए तैयार नहीं है. इसके बावजूद अंबुजा सीमेंट्स और अडाणी ग्रीन एनर्जी ने इंडिपेंडेंट फर्म से रेगुलेटरी कंप्लायंस को पूरा करने की बात कही है. पर किस फर्म से जांच करवाई जाएगी, उसकी नियुक्ति अभी तक नहीं की गई है. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी ग्रुप फाइनेंशियल कंट्रोलर की नियुक्ति करेगा. यह उनके ट्रस्ट की भी निगरानी करेगा.
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