कैली (कोलंबिया). एक दर्दनाक और लाइलाज बीमारी से जूझ रहे विक्टर एस्कोबार को शुक्रवार को उसकी ख्वाहिश के मुताबिक हमेशा-हमेशा के लिए चैन की नींद सुला दिया गया. इस तरह विक्टर एस्कोबार कोलंबिया के पहले नागरिक बन गए, जिसे मौत के करीब न होने के बावजूद भी इच्छामृत्यु दे दी गई. उनके वकील लुइस गिराल्डो ने मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि डॉक्टरों की निगरानी में मौत की प्रक्रिया पूरी हो गई है.
मौत से पहले एस्कोबार ने इस हफ्ते कहा था कि मैं बहुत शांति महसूस करता हूं. मेरे साथ जो होने वाला है, मुझे उससे डर नहीं लगता है. डॉक्टरों ने मुझे बताया था कि पहले मुझे धीरे-धीरे बेहोश किया जाएगा यानी मेरे पास अलविदा कहने का वक्त है. उसके बाद मौत का इंजेक्शन दिया जाएगा जो दर्दरहित होगा. वह एक बहुत शांतिपूर्ण मौत होगी. मुझे भगवान पर भरोसा है कि सब कुछ ऐसा ही होगा. उनके वकील लुइस गिराल्डो ने शुक्रवार शाम को बताया कि एस्कोबार की मौत हो चुकी है.
कोलंबिया की एक अदालत ने जुलाई में फैसला देते हुए इच्छामृत्यु के नियमों में बदलाव किया था. अदालत ने उन लोगों के लिए भी इच्छामृत्यु के दरवाजे खोल दिए थे, जो एक गंभीर और लाइलाज बीमारी के कारण गहन शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेल रहे हैं. हालांकि, कैथोलिक चर्च ने कोर्ट के इस फैसले के विरोध किया था. हालांकि विक्टर एस्कोबार ने कोर्ट के फैसले का समर्थन किया था. उसने कहा था कि कानून में मेरे जैसे मरीजों के लिए गरिमापूर्ण मौत का एक दरवाजा खुल गया है. बता दें कि लाइलाज बीमारी से जूझ रहे विक्टर एस्कोबार का दर्द मॉर्फिन जैसी दवा भी कम नहीं कर पा रही थी. इसके अलावा अन्य दवाएं भी उनके शरीर पर असर नहीं कर पा रही थीं.
विक्टर एस्कोबार 2008 से बीमार थे. दो बार स्ट्रोक आने से उनके आधे शरीर को लकवा मार गया था. बाद में इलाज के बाद कुछ अंगों ने काम करना शुरू कर दिया लेकिन उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी. उन्हें फेफड़ों की बीमारी, हाइपरटेंशन, मधुमेह, गंभीर गठिया जैसे रोगों ने जकड़ लिया. इस बीच एक दुर्लभ बीमारी भी हो गई, जिसमें पसलियां सीने की ऊपरी हड्डी से जुड़ जाती हैं, जिससे दर्दनाक सूजन होती है. अब विक्टर एस्कोबार दुनिया में नहीं हैं.
पढ़ें : साउथ कोरिया के राष्ट्रपति चुनाव में गंजेपन का इलाज बन गया चुनावी मुद्दा