ETV Bharat / bharat

कैप्टन बोले- फौजी था, राजनीति का ज्ञान सिद्धू परिवार से मिला

पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) में काफी समय से चले आ रहे मतभेद के उलट तस्वीर शुक्रवार को दिखाई दी. मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस प्रदेश प्रधान नवजोत सिंह ने एक-दूसरे की तारीफों के पुल बांध दिए. पुरानी बातें साझा कीं.

कैप्टन सिद्दधू
कैप्टन सिद्दधू
author img

By

Published : Jul 23, 2021, 7:39 PM IST

चंडीगढ़ : नवजोत सिद्धू (navjot sidhu) के ताजपोशी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, सिद्धू के साथ रिश्तों की याद दिलाना नहीं भूले. इस दौरान उन्होंने बताया कि नवजोत सिद्धू का जन्म 1963 में हुआ और मैं फ़ौज से कमीशन लेकर चीन के बार्डर पर पहुंचा.

इसके बाद इनके पिता और मेरी माता का साथ रहा. तब मेरी माताजी DCC (ज़िला कांग्रेस समिति) की प्रधान और इनके पिता इकलौते सचिव थे. उसके बाद 1967 को इंदिरा गांधी ने मेरी माताजी को लोकसभा के लिए चुना और इनके पिता पटियाला के प्रधान चुने गए.

कैप्टन ने माना कि सिद्धू परिवार से उनको राजनीति का ज्ञान मिला. उन्होंने कहा कि 1973 में फ़ौज छोड़ कर आया तो मेरी माताजी ने कहा कि राजनीति में अपनी किस्मत आज़मा. मैंने कहा कि मुझे राजनीति में कोई रुचि नहीं तो उन्होंने कहा कि जाओ भगवंत सिंह सिद्धू से मिलो. हम दोनों ने इकट्ठे बहुत मीटिंगें की. कभी इनके घर और कभी मेरे घर. तब तो नवजोत बहुत छोटे थे बड़ी मुश्किल से छह सात सालों के. चलो इनके परिवार से मुझे राजनीति का ज्ञान मिला यह है हमारा रिश्ता. अब हम दोनों मिलकर चलेंगे. हम पंजाब की बेहतरी के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि नवजोत अब हमें देश और कौम के लिए मिलकर काम करने की ज़रूरत है.

मेरा पिता ने रजवाड़ों का घर छोड़ा: सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि मेरे पिता को गोरों ने मौत की सजा सुनाई थी, क्योंकि वह लालकिले में अखबार बांटते थे. मेरे पिता ने रजवाड़ों का घर छोड़ा. उन्होंने खालसा कॉलेज में दो दो महीने साबुन नहीं देखा. उन्हें जब फांसी लगाना था तो उनको चार-चार दिन जूड़ा बांधकर खड़ा कर दिया जाता था. जब नींद आती तो बाल में दर्द होता था. आज मैं उनका दर्द महसूस करता हूं. जब फांसी देने को 4 दिन रह गए तब उन्हें मौत की सजा से बरी कर दिया गया. वह गुरचरन सिंह टौहड़ा को हरा भादसों से विधायक बने और कांग्रेस में शामिल हुए.

पढ़ें- सरहद पर फौज निभा रही ड्यूटी, हमें भी जिम्मेदारी समझने की जरूरत : अमरिंदर

पढ़ें- कांग्रेस अध्यक्ष बनते ही सिद्धू बोले- उनका मिशन पंजाब को जिताना

चंडीगढ़ : नवजोत सिद्धू (navjot sidhu) के ताजपोशी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, सिद्धू के साथ रिश्तों की याद दिलाना नहीं भूले. इस दौरान उन्होंने बताया कि नवजोत सिद्धू का जन्म 1963 में हुआ और मैं फ़ौज से कमीशन लेकर चीन के बार्डर पर पहुंचा.

इसके बाद इनके पिता और मेरी माता का साथ रहा. तब मेरी माताजी DCC (ज़िला कांग्रेस समिति) की प्रधान और इनके पिता इकलौते सचिव थे. उसके बाद 1967 को इंदिरा गांधी ने मेरी माताजी को लोकसभा के लिए चुना और इनके पिता पटियाला के प्रधान चुने गए.

कैप्टन ने माना कि सिद्धू परिवार से उनको राजनीति का ज्ञान मिला. उन्होंने कहा कि 1973 में फ़ौज छोड़ कर आया तो मेरी माताजी ने कहा कि राजनीति में अपनी किस्मत आज़मा. मैंने कहा कि मुझे राजनीति में कोई रुचि नहीं तो उन्होंने कहा कि जाओ भगवंत सिंह सिद्धू से मिलो. हम दोनों ने इकट्ठे बहुत मीटिंगें की. कभी इनके घर और कभी मेरे घर. तब तो नवजोत बहुत छोटे थे बड़ी मुश्किल से छह सात सालों के. चलो इनके परिवार से मुझे राजनीति का ज्ञान मिला यह है हमारा रिश्ता. अब हम दोनों मिलकर चलेंगे. हम पंजाब की बेहतरी के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि नवजोत अब हमें देश और कौम के लिए मिलकर काम करने की ज़रूरत है.

मेरा पिता ने रजवाड़ों का घर छोड़ा: सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि मेरे पिता को गोरों ने मौत की सजा सुनाई थी, क्योंकि वह लालकिले में अखबार बांटते थे. मेरे पिता ने रजवाड़ों का घर छोड़ा. उन्होंने खालसा कॉलेज में दो दो महीने साबुन नहीं देखा. उन्हें जब फांसी लगाना था तो उनको चार-चार दिन जूड़ा बांधकर खड़ा कर दिया जाता था. जब नींद आती तो बाल में दर्द होता था. आज मैं उनका दर्द महसूस करता हूं. जब फांसी देने को 4 दिन रह गए तब उन्हें मौत की सजा से बरी कर दिया गया. वह गुरचरन सिंह टौहड़ा को हरा भादसों से विधायक बने और कांग्रेस में शामिल हुए.

पढ़ें- सरहद पर फौज निभा रही ड्यूटी, हमें भी जिम्मेदारी समझने की जरूरत : अमरिंदर

पढ़ें- कांग्रेस अध्यक्ष बनते ही सिद्धू बोले- उनका मिशन पंजाब को जिताना

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.