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बीरभूम में बसों से की जा रही कोयले की तस्करी

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के दुबराजपुर, इलमबाजार, खोरासोल और अन्य स्थानों से बोलपुर शहर में कोयला तस्करी का काम खूब फल फूल रहा है. परिवहन के पारंपरिक साधनों के कोयला माफिया अब बसों की मदद से तस्करी कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर शिकायत के बावजूद प्रशासन आंख मूंदे हुए है.

कोयला तस्करी
कोयला तस्करी
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Published : Dec 1, 2020, 10:41 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के दुबराजपुर, इलमबाजार, खोरासोल और अन्य स्थानों से बोलपुर शहर में कोयले की तस्करी कर फिर अन्य स्थानों पर इसे वितरित किया जा रहा है. आरोप है कि प्रशासन इस पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा है.

इलमबाजार, दुबराजपुर, खोयरासोल और आसपास के इलाकों में कोयला माफिया सक्रिया हैं. यहां पर रात के समय इस क्षेत्र में छोटे ट्रकों, मोटरसाइकिलों, साइकिल वैन और बैलगाड़ियों से अवैध कोयले का तस्करी की जाती थी, लेकिन अब परिवहन के पारंपरिक साधनों के स्थान पर कोयला माफिया बसों के जरिए इसकी ढुलाई करते हैं. इसकी शिकायत भी करवाई गई है, लेकिन कार्रवाई का अब तक इंतजार है.

कोयला मुख्य रूप से इलमबाजार से बसों पर लादा जाता है और मजदूरों के एक वर्ग द्वारा बोलपुर के बाहरी इलाके में शिब्ताला क्रॉसिंग के पास उतार दिया जाता है. सुबह पांच बजे से सात बजे के बीच बातचीत की जाती है.

इस संबंध में जब बस वालों से बात करने की कोशिश की गई, उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

बसों के माध्यम से हो रही कोयला तस्करी

पढ़ें - उत्तराखंड : गंगोत्री नेशनल पार्क के गेट बंद, पर्वतारोहण के लिए है प्रसिद्ध

वे बस इतना ही कहते हैं कि उन्हें फोन पर कोयले को लोड और अनलोड करने के निर्देश दिए जाते हैं. इस पर वो जितना कम बोले उतना बहतर है.

हैरान करने वाली बात यह है कि प्रशासन और पुलिस इस अवैध कोयला तस्करों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के दुबराजपुर, इलमबाजार, खोरासोल और अन्य स्थानों से बोलपुर शहर में कोयले की तस्करी कर फिर अन्य स्थानों पर इसे वितरित किया जा रहा है. आरोप है कि प्रशासन इस पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहा है.

इलमबाजार, दुबराजपुर, खोयरासोल और आसपास के इलाकों में कोयला माफिया सक्रिया हैं. यहां पर रात के समय इस क्षेत्र में छोटे ट्रकों, मोटरसाइकिलों, साइकिल वैन और बैलगाड़ियों से अवैध कोयले का तस्करी की जाती थी, लेकिन अब परिवहन के पारंपरिक साधनों के स्थान पर कोयला माफिया बसों के जरिए इसकी ढुलाई करते हैं. इसकी शिकायत भी करवाई गई है, लेकिन कार्रवाई का अब तक इंतजार है.

कोयला मुख्य रूप से इलमबाजार से बसों पर लादा जाता है और मजदूरों के एक वर्ग द्वारा बोलपुर के बाहरी इलाके में शिब्ताला क्रॉसिंग के पास उतार दिया जाता है. सुबह पांच बजे से सात बजे के बीच बातचीत की जाती है.

इस संबंध में जब बस वालों से बात करने की कोशिश की गई, उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

बसों के माध्यम से हो रही कोयला तस्करी

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वे बस इतना ही कहते हैं कि उन्हें फोन पर कोयले को लोड और अनलोड करने के निर्देश दिए जाते हैं. इस पर वो जितना कम बोले उतना बहतर है.

हैरान करने वाली बात यह है कि प्रशासन और पुलिस इस अवैध कोयला तस्करों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

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