भोपाल : मध्य प्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डीजीपी को निर्देश दिए कि मुख्य आरोपी सपन जैन को जल्द से जल्द गुजरात से उठाकर यहां लाएं, क्योंकि उसने मध्य प्रदेश में भी इंजेक्शन बेचे हैं, इसलिए प्रदेश में भी आरोपी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज होना चाहिए. बता दें कि, इस मामले में अन्य आरोपी सरबजीत सिंह मोखा और देवेश चौरसिया को मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हैं.
मंत्रालय में अधिकारियों के साथ बैठक में सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि मैं चाहता हूं कि ऐसे नर पिशाच किसी भी कीमत पर बच न पाएं, छूट न पाएं. इसके लिए विधि विशेषज्ञ से भी राय लें.
सही इंजेक्शन मिल जाता, तो बच जाती मरीज की जान
मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि मरीज को नकली इंजेक्शन दिया गया, तो असली तो बोलेगा नहीं कि यह नकली हैं, लेकिन मरीज और परिजन इस बात से संतुष्ट हैं कि इंजेक्शन लग चुका है. इसलिए जरूरी है कि इसका विधि पूर्वक परीक्षण हों. मैं केवल इतना चाहता हूं कि ऐसे नर पिशाच किसी भी कीमत पर बच न पाएं, छूट न पाएं. इसकी गहराई में जांच की जाए. ऐसे आरोपी किसी भी कीमत पर बचने नहीं चाहिए.
सिटी अस्पताल संचालक सहित तीन आरोपी गिरफ्तार
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन को गुजरात से लाकर मध्य प्रदेश में खपाने वाले सपन जैन को कुछ दिन पहले ही गुजरात पुलिस ने जबलपुर के आधारताल से गिरफ्तार किया था, जबकि मध्य प्रदेश पुलिस ने सरबजीत सिंह मोखा और देवेश चौरसिया को गिरफ्तार कर लिया हैं. इन पर कार्रवाई भी की जा रही हैं.
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सरबजीत सिंह मोखा और देवेश चौरसिया को जेल
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा और देवेश चौरसिया के खिलाफ रासुका की कार्रवाई करते हुए जेल भेजा गया. जबलपुर में पुलिस प्रशासन की इस कार्रवाई के बाद से हड़कंप मचा हुआ हैं.
दो कार्टून में जबलपुर आए थे इंजेक्शन
23 अप्रैल और 28 अप्रैल को बस के माध्यम से इंदौर से रेमडेसिविर इंजेक्शन के दो कार्टून जबलपुर लाने की बात सामने आई थी. सरबजीत सिंह मोखा के अनुसार देवेश चौरसिया उन्हें लेने के लिए गया था. कार्टून लेने के बाद देवेश चौरसिया ने सिटी अस्पताल लाकर सरबजीत सिंह मोखा के कक्ष में रख दिया था. दवाओं का भुगतान सपन जैन ने किया. इस सबंध में सिटी अस्पताल के पास कोई रिकॉर्ड नहीं था.