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यूपी में बंपर जीत पर PM मोदी को बधाई लेकिन योगी आदित्यनाथ से दूरी..आखिर नीतीश की क्या है मजबूरी?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) ने चार राज्यों के चुनाव परिणाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी है, लेकिन उत्तर प्रदेश में हुई बड़ी जीत को लेकर योगी आदित्यनाथ से दूरी बनाई. यहां तक कि नीतीश ने योगी आदित्यनाथ को बधाई देने से भी परहेज किया. यूपी की जीत के बाद अब बिहार में योगी मॉडल को लेकर सियासत शुरू हो गई है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

Bihar CM Nitish Kumar
आखिर नीतीश की क्या है मजबूरी
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Published : Mar 12, 2022, 10:36 PM IST

पटना : उत्तर प्रदेश समेत देश के 4 राज्यों में बीजेपी को विधानसभा चुनावों (Four states Election Results) में जीत मिली है. उत्तर प्रदेश की जीत बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है. योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने दूसरी बार लगातार जीत हासिल कर रिकॉर्ड बनाने का काम किया है. लेकिन, उत्तर प्रदेश में हुई बड़ी जीत को लेकर नीतीश कुमार ने योगी आदित्यनाथ से दूरी (CM Nitish maintained distance from Yogi Adityanath) बनाए रखी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पंजाब में जीत पर अरविंद केजरीवाल को तो बधाई दी, लेकिन उत्तर प्रदेश की जीत पर योगी आदित्यनाथ को बधाई देने से परहेज किया.

सीएम नीतीश ने ट्वीट (CM Nitish Tweet) कर कहा कि 'उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत पर बधाई एवं शुभकामनाएं. इन प्रदेशों की जनता ने प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी पर विश्वास प्रकट करते हुए भारतीय जनता पार्टी को पुनः मौका दिया है.'

  • उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत पर बधाई एवं शुभकामनाएं। इन प्रदेशों की जनता ने प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी पर विश्वास प्रकट करते हुए भारतीय जनता पार्टी को पुनः मौका दिया है।

    — Nitish Kumar (@NitishKumar) March 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

नीतीश कुमार का ट्वीट बताता है कि जीत का श्रेय मुख्यमंत्री सिर्फ नरेंद्र मोदी को देना चाहते हैं. अपने बधाई संदेश में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने योगी आदित्यनाथ का जिक्र भी नहीं किया. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सेकुलर छवि को लेकर चिंतित रहते हैं. योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर मुख्यमंत्री अपने सेक्युलर छवि को नुकसान करना नहीं चाहते हैं. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री को इस बात का काफी डर है कि बिहार में भी कहीं भगवा सियासत शुरू ना हो जाए.

नीतीश ने योगी से बनाई दूरी

'भगवा सियासत' से जेडीयू सशंकित: उत्तर प्रदेश की जीत के बाद बिहार में भी भगवा सियासत के रंग देखने को मिले हैं. बिहार विधानसभा में 'जय श्रीराम' और 'ओम नमः शिवाय' के जिस तरीके से नारे लगे उसे जदयू नेता सशंकित जरूर हो गए हैं. बीजेपी नेता बिहार में भी बुलडोजर मॉडल की वकालत कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश की जीत के बाद अब योगी मॉडल को बिहार में भी लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत पर बिहार बीजेपी के नेता उत्साहित हैं.

पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि 'उत्तर प्रदेश में जनता के विश्वास की जीत है. राशन, सुशासन और बुलडोजर की जीत है. जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ ने जनता के विश्वास को जीतने का काम किया है, पांच वर्षों तक जनता की सेवा की है, ये उसी का परिणाम है. बिहार में योगी मॉडल की आवश्यकता है. अगर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में योगी मॉडल सफल हुआ है, तो अन्य राज्यों में भी इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है. बिहार में भी हमारी सरकार चल रही है, बेहतर काम कर रही है. योगी मॉडल अगर यहां आ जाएगा तो और बेहतर तरीके से हम जनता का भरोसा जीतने में सफल रहेंगे. किसी एक व्यक्ति के बधाई देने या ना देने का कोई मतलब नहीं है. योगी आदित्यनाथ को पूरा देश बधाई दे रहा है.'

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद जदयू नेता और बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने कुछ ही शब्दों में बधाई संदेश दिया. ईटीवी भारत संवाददाता के सवाल पर श्रवण कुमार ने कहा कि 'जिन लोगों ने चुनाव में जीत हासिल की है, सबको बधाई.'

आरजेडी ने साधा निशाना
आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा 'नीतीश कुमार दोहरी राजनीति करते हैं. गुड़ खाएंगे गुलगुले से परहेज करते हैं. आरएसएस की विचारधारा पर चलेंगे, लेकिन आरएसएस के खिलाफ बोलेंगे. जहां नीतीश कुमार के सामने भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने जय श्रीराम का नारा लगाया, उसके बाद भी नीतीश कुमार विचलित नहीं हुए. नीतीश जी की सोच कहां चली गई. कल तक नीतीश जी कहते थे कि मेरे सामने कोई भी धार्मिक एजेंडा लागू नहीं हो सकता है. अब तो विधानसभा में उनके सामने धार्मिक नारे लग रहे हैं. धार्मिक आधार पर मुसलमानों को चैलेंज किया जा रहा है और नीतीश कुमार टुकुर-टुकुर देखने का काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ की तारीफ कर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहते हैं. नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक सत्ता को बचाने के लिए योगी को बधाई नहीं दी है.'

राजनीतिक विश्लेषक की नजर में क्या हैं मायने
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि 'नीतीश कुमार बड़े ही मंझे हुए राजनीतिज्ञ हैं और वह यह कतई नहीं चाहते कि आम लोगों में यह संदेश जाए कि योगी आदित्यनाथ की नीतियों की उन्होंने तारीफ की है. अगर वह ऐसा करेंगे तो उसका असर बिहार की सियासत पर भी पड़ सकता है और योगी आदित्यनाथ मॉडल की मांग और जोर पकड़ सकती है. जाहिर तौर पर नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी की तारीफ कर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं. नीतीश कुमार की नीति से स्पष्ट है कि वो फिलहाल योगी आदित्यनाथ से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं.'

कभी नरेंद्र मोदी का नाम भी नहीं लेते थे नीतीश: एक वक्त था जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी से परहेज करते थे. बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह भी नहीं चाहते थे कि नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार में हिस्सा लें और जदयू के नेता यह बयान देते थे कि बिहार में एक मोदी पहले से है उनका इशारा सुशील मोदी की ओर था. वैसे ही परिस्थितियां उत्पन्न होती दिख रही हैं जब नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ से उनके हिंदूवादी छवि के चलते दूरी बनाकर रखना चाहते हैं. नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच दोस्ती अच्छी है. नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर बीजेपी के बड़े नेताओं की नाराजगी का जोखिम भी नहीं उठाना चाहते हैं.

पढ़ें- कांग्रेस ने सीडब्ल्यूसी की होने वाली बैठक में सोनिया गांधी के इस्तीफे की अटकलों को खारिज किया

पढ़ें- योगी का दिल्ली दौरा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से करेंगे मुलाकात

पटना : उत्तर प्रदेश समेत देश के 4 राज्यों में बीजेपी को विधानसभा चुनावों (Four states Election Results) में जीत मिली है. उत्तर प्रदेश की जीत बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है. योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने दूसरी बार लगातार जीत हासिल कर रिकॉर्ड बनाने का काम किया है. लेकिन, उत्तर प्रदेश में हुई बड़ी जीत को लेकर नीतीश कुमार ने योगी आदित्यनाथ से दूरी (CM Nitish maintained distance from Yogi Adityanath) बनाए रखी. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पंजाब में जीत पर अरविंद केजरीवाल को तो बधाई दी, लेकिन उत्तर प्रदेश की जीत पर योगी आदित्यनाथ को बधाई देने से परहेज किया.

सीएम नीतीश ने ट्वीट (CM Nitish Tweet) कर कहा कि 'उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत पर बधाई एवं शुभकामनाएं. इन प्रदेशों की जनता ने प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी पर विश्वास प्रकट करते हुए भारतीय जनता पार्टी को पुनः मौका दिया है.'

  • उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत पर बधाई एवं शुभकामनाएं। इन प्रदेशों की जनता ने प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी पर विश्वास प्रकट करते हुए भारतीय जनता पार्टी को पुनः मौका दिया है।

    — Nitish Kumar (@NitishKumar) March 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

नीतीश कुमार का ट्वीट बताता है कि जीत का श्रेय मुख्यमंत्री सिर्फ नरेंद्र मोदी को देना चाहते हैं. अपने बधाई संदेश में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने योगी आदित्यनाथ का जिक्र भी नहीं किया. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी सेकुलर छवि को लेकर चिंतित रहते हैं. योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर मुख्यमंत्री अपने सेक्युलर छवि को नुकसान करना नहीं चाहते हैं. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री को इस बात का काफी डर है कि बिहार में भी कहीं भगवा सियासत शुरू ना हो जाए.

नीतीश ने योगी से बनाई दूरी

'भगवा सियासत' से जेडीयू सशंकित: उत्तर प्रदेश की जीत के बाद बिहार में भी भगवा सियासत के रंग देखने को मिले हैं. बिहार विधानसभा में 'जय श्रीराम' और 'ओम नमः शिवाय' के जिस तरीके से नारे लगे उसे जदयू नेता सशंकित जरूर हो गए हैं. बीजेपी नेता बिहार में भी बुलडोजर मॉडल की वकालत कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश की जीत के बाद अब योगी मॉडल को बिहार में भी लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत पर बिहार बीजेपी के नेता उत्साहित हैं.

पार्टी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि 'उत्तर प्रदेश में जनता के विश्वास की जीत है. राशन, सुशासन और बुलडोजर की जीत है. जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ ने जनता के विश्वास को जीतने का काम किया है, पांच वर्षों तक जनता की सेवा की है, ये उसी का परिणाम है. बिहार में योगी मॉडल की आवश्यकता है. अगर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में योगी मॉडल सफल हुआ है, तो अन्य राज्यों में भी इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है. बिहार में भी हमारी सरकार चल रही है, बेहतर काम कर रही है. योगी मॉडल अगर यहां आ जाएगा तो और बेहतर तरीके से हम जनता का भरोसा जीतने में सफल रहेंगे. किसी एक व्यक्ति के बधाई देने या ना देने का कोई मतलब नहीं है. योगी आदित्यनाथ को पूरा देश बधाई दे रहा है.'

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद जदयू नेता और बिहार सरकार के मंत्री श्रवण कुमार ने कुछ ही शब्दों में बधाई संदेश दिया. ईटीवी भारत संवाददाता के सवाल पर श्रवण कुमार ने कहा कि 'जिन लोगों ने चुनाव में जीत हासिल की है, सबको बधाई.'

आरजेडी ने साधा निशाना
आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा 'नीतीश कुमार दोहरी राजनीति करते हैं. गुड़ खाएंगे गुलगुले से परहेज करते हैं. आरएसएस की विचारधारा पर चलेंगे, लेकिन आरएसएस के खिलाफ बोलेंगे. जहां नीतीश कुमार के सामने भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने जय श्रीराम का नारा लगाया, उसके बाद भी नीतीश कुमार विचलित नहीं हुए. नीतीश जी की सोच कहां चली गई. कल तक नीतीश जी कहते थे कि मेरे सामने कोई भी धार्मिक एजेंडा लागू नहीं हो सकता है. अब तो विधानसभा में उनके सामने धार्मिक नारे लग रहे हैं. धार्मिक आधार पर मुसलमानों को चैलेंज किया जा रहा है और नीतीश कुमार टुकुर-टुकुर देखने का काम कर रहे हैं. नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ की तारीफ कर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहते हैं. नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक सत्ता को बचाने के लिए योगी को बधाई नहीं दी है.'

राजनीतिक विश्लेषक की नजर में क्या हैं मायने
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि 'नीतीश कुमार बड़े ही मंझे हुए राजनीतिज्ञ हैं और वह यह कतई नहीं चाहते कि आम लोगों में यह संदेश जाए कि योगी आदित्यनाथ की नीतियों की उन्होंने तारीफ की है. अगर वह ऐसा करेंगे तो उसका असर बिहार की सियासत पर भी पड़ सकता है और योगी आदित्यनाथ मॉडल की मांग और जोर पकड़ सकती है. जाहिर तौर पर नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी की तारीफ कर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं. नीतीश कुमार की नीति से स्पष्ट है कि वो फिलहाल योगी आदित्यनाथ से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं.'

कभी नरेंद्र मोदी का नाम भी नहीं लेते थे नीतीश: एक वक्त था जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी से परहेज करते थे. बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह भी नहीं चाहते थे कि नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार में हिस्सा लें और जदयू के नेता यह बयान देते थे कि बिहार में एक मोदी पहले से है उनका इशारा सुशील मोदी की ओर था. वैसे ही परिस्थितियां उत्पन्न होती दिख रही हैं जब नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ से उनके हिंदूवादी छवि के चलते दूरी बनाकर रखना चाहते हैं. नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के बीच दोस्ती अच्छी है. नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ का नाम लेकर बीजेपी के बड़े नेताओं की नाराजगी का जोखिम भी नहीं उठाना चाहते हैं.

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