पटना: राजधानी पटना में जातीय सर्वे पर सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जाति आधारित गणना कराने को लेकर किए गए प्रयास के बारे में जानकारी दी और आगे क्या कुछ करने वाले हैं, उसके बारे में भी बताया. सीएम ने कहा कि वर्ष 2019 से हम जाति आधारित गणना कराने के लिये प्रयासरत थे. हम चाहते थे कि 2021 की जनगणना जो हर दस वर्ष में होती है, उसमें जातीय आधार पर जनगणना हो. 18 फरवरी 2019 को बिहार विधानसभा और बिहार विधान परिषद् द्वारा जनगणना जातीय आधार पर कराने के लिए केन्द्र से सिफारिश करने की संकल्प को सर्वसम्मति से पारित किया गया.
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बिहार में जातीय सर्वे की रिपोर्ट पर सर्वदलीय बैठक: सीएम ने कहा कि 27 फरवरी 2020 को बिहार विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से केन्द्र सरकार से जनगणना 2021 जातीय आधार पर कराने के अनुरोध का प्रस्ताव पारित किया गया. 23 अगस्त 2021 को सभी दलों के प्रतिनिधियों के साथ हमने प्रधानमंत्री से मिलकर जाति आधारित गणना कराने का अनुरोध किया था. केन्द्र सरकार द्वारा इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गयी. उसके बाद हमने निर्णय लिया कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी. 1 जून 2022 को विधानमंडल के सभी 9 दलों की बैठक बुलायी गई, जिसमें सभी दलों के नेताओं ने जाति आधारित गणना पर अपनी सहमति दी. 2 जून 2021 को मंत्रिपरिषद द्वारा इसे पारित किया गया.
जातीय गणना कार्य में कई बाधा: नीतीश कुमार ने बताया कि जाति आधारित गणना दो चरणों में कराया गया. प्रथम चरण 7 जनवरी से 21 जनवरी 2023 के दौरान सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया गया. इसके पश्चात् द्वितीय चरण का पूरा सर्वे 15 अप्रैल 2023 से 15 मई 2023 तक पूर्ण करना था लेकिन कई प्रकार की समस्याएं आईं. आखिरकार सर्वेक्षण का काम 5 अगस्त 2023 को पूर्ण कर लिया गया. उसके बाद संपूर्ण आंकड़े संग्रहित किए गए. जाति आधारित गणना का काम पूर्ण होने के बाद बापू के जन्मदिन के शुभ अवसर 2 अक्टूबर को आंकड़ों को जारी किया गया.
"जाति आधारित गणना के पीछे मेरी धारणा बहुत पहले से रही है. वर्ष 1990 में पूर्व राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानी जैल सिंह जी ने मुझे जातीय आधारित जनगणना की आवश्यकता को समझाया था. मैं श्रद्धेय मधुलिमये जी और तत्कालीन वित मंत्री मधु दंडवते जी से मिला था. उसके उपरांत मैं तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जी से मिला था. इस पर चर्चा की थी लेकिन उस समय जनगणना पहले ही शुरू हो चुकी थी. इस कारण उसमें कोई बदलाव नहीं हो सका"- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
सीएम ने समझाया सर्वे का मकसद: इस दौरान सीएम ने कहा कि जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में सभी वर्गों की डिटेल जानकारी दी गयी है. पूरे तौर पर ठीक ढंग से सर्वे किया गया है. हर जाति की जानकारी दी गई. हर परिवार की आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति की जानकारी ली गई. अब जाति आधारित गणना की रिपोर्ट आने के बाद सभी दलों की राय से हमलोग राज्य के हित में इस पर काम करेंगे. राज्य के सभी लोगों के उत्थान के लिए इस पर आगे विचार विमर्श कार्य किया जाएगा. नीतीश ने कहा कि हमलोगों का मकसद लोगों को आगे बढ़ाने का है. जो पीछे हैं, उपेक्षित हैं, उसकी उपेक्षा न हो. सब आगे बढ़ें.
तेजस्वी ने क्या कहा?: वहीं, बैठक के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट साझा कर कहा, 'जाति आधारित सर्वे को प्रकाशित करने के उपरांत आज मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में सभी दलों को विस्तृत चर्चा एवं प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जातीय सर्वे के आंकड़े, सर्वे की प्रक्रिया, तौर-तरीके इत्यादि से अवगत कराया गया. हम हर वर्ग और जाति के उत्थान एवं विकास को लेकर प्रतिबद्ध हैं.
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जाति आधारित सर्वे को प्रकाशित करने के उपरांत आज मा० मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में सभी दलों को विस्तृत चर्चा एवं प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जातीय सर्वे के आँकड़े, सर्वे की प्रक्रिया, तौर-तरीके इत्यादि से अवगत कराया गया। हम हर वर्ग और जाति के उत्थान एवं विकास… pic.twitter.com/88HlAxVBsF
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 3, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 3, 2023
नेता प्रतिपक्ष ने आंकड़ों पर सवाल उठाए: इस दौरान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने त्रुटियों को लेकर सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा कि त्रुटि को कैसे दूर किया जाएगा, इसकी जानकारी चाहिए लेकिन अधिकारियों ने इस बारे में समाधान को लेकर कुछ भी नहीं बताया. वहीं, हम की ओर से पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने कहा कि मुसहर की आबादी रिपोर्ट में कम दिखाई गई है.
अन्य दलों के क्या कहा?: बैठक में कांग्रेस के विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा कि जातीय गणना की रिपोर्ट से आगे गरीब और पिछड़े तबकों के लिए योजना बनाने में मदद मिलेगी, इस पर अभी बहुत काम होना है. वहीं, माले की और से महबूब आलम ने कहा कि पिछड़ों और अति पिछड़ों की हिस्सेदारी बढ़नी चाहिए, जबकि सीपीआई(एम) के अजय कुमार ने कहा आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक रिपोर्ट आने के बाद हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग भी होगी. उधर, एआइएमआइएम के अख्तरुल इमान ने कहा कि आरक्षण में आरक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. अभी मुस्लिम के कुछ ही जाति लाभ उठा रहे हैं. अधिकांश मुस्लिम की जातियां जो पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग से हैं, वह लाभ लेने से वंचित हैं.