पटना : पश्चिम बंगाल में दो चरण के चुनाव होने के बाद राजनीतिक तपिश बिहार में भी महसूस की जा रही है. तेजस्वी यादव ने जहां पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को समर्थन दे रखा है. वहीं, बीजेपी की सहयोगी पार्टी जदयू अकेले चुनाव के मैदान में है. बिहार से बाहर चुनाव लड़कर जदयू राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करना चाहती है. पार्टी ने 60 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है, लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रत्याशियों के लिए वोट मांगने बंगाल नहीं जा रहे हैं.
बंगाल में चुनाव प्रचार से नीतीश ने बनाई दूरी
नीतीश कुमार की रणनीति ने बिहार के राजनीतिक दलों को उलझा दिया है और राजद ने सवाल खड़े किए हैं. राजद पार्टी की ओर से कहा गया है कि नीतीश कुमार ने भाजपा के समक्ष हथियार डाल दिए हैं.
राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा, नीतीश कुमार पश्चिम बंगाल में चुनाव तो लड़ रहे हैं, लेकिन ये जानकर हैरानी हो रही है कि वह अपने प्रत्याशियों के लिए प्रचार में नहीं जा रहे हैं. नीतीश कुमार ने बीजेपी के समक्ष हथियार डाल दिए हैं और बीजेपी की वजह से वह प्रचार करने से परहेज कर रहे हैं.
जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा, जदयू बिहार से बाहर चुनाव लड़ती आ रही है. कई बार गठबंधन में हम लड़े हैं तो कई बार अकेले पार्टी लड़ी है. हमारी पार्टी विचारधारा के आधार पर चुनाव लड़ती है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को ये बताना चाहिए कि जिस नेत्री ने बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को गुंडा कहा क्या उसके साथ हैं. क्या तेजस्वी यादव में भी ममता बनर्जी को गुंडा दिखाई देता है, ये राजद को स्पष्ट करना चाहिए.
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भाजपा नेता और विधान पार्षद देवेश सिंह ने कहा, बीजेपी और जदयू दोनों अलग-अलग पार्टी हैं और बिहार से बाहर हम अलग-अलग चुनाव भी लड़ते हैं. नीतीश कुमार की पार्टी भी वहां चुनाव लड़ रही है. इसमें भाजपा का कोई लेना देना नहीं है.
राजनीतिक विश्लेषक ललन सिंह ने कहा, नीतीश कुमार बिहार से बाहर चुनाव तो जरूर लड़ते हैं, लेकिन वह बीजेपी से दुश्मनी भी करना नहीं चाहते. भविष्य में केंद्रीय कैबिनेट का विस्तार भी होना है, ऐसे में जदयू बीजेपी को नुकसान पहुंचा कर दुश्मनी मोल लेना नहीं चाहेगी. साथ ही जदयू नेताओं को इस बात का भी डर होगा कि अगर वहां खाता नहीं खुल पाया, तो ऐसी स्थिति में सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर सवाल उठेंगे.