रायपुर: कला और साहित्य की नगरी रायगढ़ के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया गया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को तीन दिवसीय राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का शुभारंभ किया. इस दौरान सीएम भूपेश ने लोगों को सम्बोधित किया.
"हमारी सुबह और शाम राम से होती है": इस अवसर पर उन्होंने कहा कि "हमारा छत्तीसगढ़ माता कौशल्या और शबरी माता का प्रदेश है. यह सदियों से निवास कर रहे आदिवासियों, वनवासियों का प्रदेश है. भगवान राम का राजतिलक होना था, लेकिन वे वनवास गए, निषादराज से मिले, शबरी माता से मिले, ऋषि मुनियों से मिले. हमारा रिश्ता वनवासी राम के साथ ही कौशल्या के राम से भी है. इसलिए वे हमारे भांजे हैं. हम छत्तीसगढ़वासी भांजे का पैर छूते हैं. राम हमारे दिल में बसे हैं. हमारी सुबह राम से होती है, शाम भी राम के नाम से हैं. हमारे राम कौशल्या के राम, वनवासियों के राम और हम सब के भांजे हैं."
"देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में शासकीय रूप से राष्ट्रीय स्तर पर रामायण महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. श्रीराम जी के आदर्श चरित्र के श्रवण के लिए यह सुंदर आयोजन किया जा रहा है. यद्यपि यह राष्ट्रीय आयोजन है, लेकिन इसमें कंबोडिया, इंडोनेशिया जैसे विदेशी दल भी हिस्सा ले रहे हैं. जिससे यह महोत्सव अंतर्राष्ट्रीय हो गया है." - भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
राम कथा हमारे दिलों में बसी हुई: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि "आज मैंने राष्ट्रीय रामायण उत्सव के दौरान सुंदर मार्च पास्ट भी देखा. इसमें रामनामी सम्प्रदाय का राम मार्चपास्ट भी देखा. इन्होंने पूरा जीवन श्रीराम को समर्पित कर दिया है. वे निराकार में विश्वास करते हैं. जिस तरह कबीर निराकार में विश्वास करते हैं. इस तरह सबके अपने-अपने राम हैं. राम कथा हमारे दिलों में बसी हुई है. हमारी सुबह राम से होती है और शाम भी राम से होती है. हमारे हर गांव में रामलीला की सुंदर मंडलियां बनी हुई है. आमजन श्रीराम से गहरी आत्मीयता इसलिए महसूस करते हैं, क्योंकि श्रीराम सबके हैं, वे निषादराज के हैं, शबरी के हैं. सबसे अनुराग रखते हैं."
"आदिवासी संस्कृति के संवर्धन के लिए हम तीन वर्षों से राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं. आदिवासियों के देवगुड़ी का संरक्षण कर रहे हैं. उनके घोटुल का संरक्षण कर रहे हैं." - भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़
सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखा पत्र: मुख्यमंत्री ने कहा कि "सांस्कृतिक आदान प्रदान के लिए उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है. जहां तीर्थ स्थल हैं और इनमें 2 एकड़ जमीन चाही है. ताकि हम अपने यात्रियों के लिए यहां रहने की अच्छी व्यवस्था बना सकें. साथ ही हम अपने तीर्थ स्थलों को भी विकसित कर रहे हैं. ताकि हमारे यहां जो तीर्थयात्री आएं. उन्हें भी अच्छी सुविधा मिल पाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का अधिकांश समय वनवासियों के साथ बिताया. उनके साथ गहरी आत्मीयता का वृतांत हमें रामायण में मिलता है.
रायगढ़ के निवासियों को किया संबोधित: मुख्यमंत्री ने रायगढ़ के निवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि "रायगढ़ मानव संस्कृति के सबसे आरंभिक गवाहों में से रहा है, यहां के शैल चित्र बताते हैं कि मानव जाति के सबसे आरंभिक सांस्कृतिक विकास के उदाहरण यहां भी मिलते हैं. इस संस्कारधानी नगरी ने कला के क्षेत्र में लोगों को संस्कारित करने के लिए बड़ा कार्य किया है. केलो के संरक्षण के लिए हम काम कर रहे हैं."
मुख्यमंत्री की पहल पर हो रहा अनुपम आयोजन: स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा कि "मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर यह अनुपम आयोजन हो रहा है. राम कथा के श्रवण से हम सब श्रीराम के आदर्शों पर आगे बढ़ने की प्रेरणा ग्रहण करेंगे. उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि राम वन गमन पथ के माध्यम से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भगवान श्रीराम से जुड़े स्थलों को विकसित करने का बड़ा काम किया है.
"भवभूति ने भगवान श्रीराम का जो चरित्र कहा है, उसी चरित्र के मुताबिक गरीबों की सेवा का कार्य छत्तीसगढ़ में हो रहा है." - नंद कुमार साय, पूर्व सांसद
छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास ने कहा कि "छत्तीसगढ़ में श्रीराम से जुड़े स्थलों को बढ़ाने के लिए एवं गौठान में गौ सेवा के लिए बहुत अच्छा कार्य हो रहा है." इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, विधायक प्रकाश नायक, रामकुमार यादव, रायगढ़ नगर निगम की महापौर जानकी काटजू, कलेक्टर रायगढ़ तारण प्रकाश सिन्हा, संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य सहित अनेक जनप्रतिनिधि, अधिकारी और श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.
सामूहिक हनुमान चालीसा का हुआ आयोजन: इस मौके पर सामूहिक हनुमान चालीसा का आयोजन हुआ.भक्ति गीतों के गायक दिलीप षडंगी ने यह प्रस्तुति दी. उनके साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और हजारों दर्शक हनुमान जी की आराधना में लीन रहे. कार्यक्रम की शुरुआत विभिन्न राज्यों से और देशों से आए हुए दलों ने मार्च पास्ट किया. इंडोनेशिया और कंबोडिया से आए दलों ने अपने पारंपरिक परिधानों में लोगों का मन मोह लिया. रामनामी संप्रदाय के सदस्यों ने भी मार्च पास्ट किया. उत्तराखंड के दल की विशेषता यह रही कि इसमें अगुवाई रावण ने की. गोवा, कर्नाटक, उड़ीसा, मध्य प्रदेश आदि राज्यों ने भी अपनी प्रस्तुति दी. इस आयोजन में 12 राज्यों के 270 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं. इसमें छत्तीसगढ़ से 70 कलाकार और विदेशों से 27 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं.