नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने एक अधिवक्ता के लिपिक के रूप में काम कर रहे व्यक्ति को शीर्ष अदालत में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. वह व्यक्ति यौन उत्पीड़न का दोषी पाया गया है. उसपर अदालत ने तीन महीने तक शीर्ष अदालत परिसर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया है.
उच्चतम न्यायालय की लिंग संवेदीकरण एवं आंतरिक शिकायत समिति (Gender Sensitization and Internal Complaints Committee- GSICC) द्वारा अशोक सैनी को दोषी पाए जाने के बाद उसपर पाबंदी लगाई गई है.
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समिति ने एक बयान जारी कर कहा कि संबंधित व्यक्ति पर यह प्रतिबंध एक जुलाई से 30 सितंबर तक लागू रहेगा.
(पीटीआई-भाषा)