नई दिल्ली : उच्चतम न्यायलय ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का उपयोग कर आभासी सुनवाई जारी रखने के लिए देशभर के सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल और कुछ अन्य न्यायाधिकरणों से जवाब मांगा है. भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़, जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने एक जनहित याचिका के बाद नोटिस जारी किया, इसमें दावा किया गया था कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के बाद हाइब्रिड सुनवाई को पूरी तरह से छोड़ दिया है. पीठ ने आदेश दिया, "याचिकाकर्ता को शिकायत है कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा स्थापित की गई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का उपयोग नहीं किया जा रहा है. उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी करें."
शीर्ष अदालत ने देशभर के अन्य सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल और एनसीएलएटी, डीआरटी व एनजीटी के रजिस्ट्रार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित करने के लिए नोटिस जारी किया कि क्या वादियों और अधिवक्ताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाइब्रिड मोड के लिए कार्यवाही की अनुमति है. सीजेआई ने कहा, "इसे हमारे संज्ञान में लाने के लिए धन्यवाद. हम सभी उच्च न्यायालयों को नोटिस जारी कर रहे हैं." सीजेआई ने टिप्पणी की और याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से आश्वासन दिया कि शीर्ष अदालत बाद के चरण में न्यायिक संस्थानों में ई-फिलिंग के मुद्दे से निपटेगी.
याचिकाकर्ता-व्यक्ति ने शीर्ष अदालत को अवगत कराया कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के बावजूद महामारी के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वादियों और अधिवक्ताओं की उपस्थिति की अनुमति नहीं दे रहा है. पिछले महीने अनुच्छेद 370 पर संविधान पीठ की सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने बार को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट देश भर की सभी निचली अदालतों में वर्चुअल सुनवाई को सक्षम करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए अपना क्लाउड सॉफ्टवेयर स्थापित कर रहा है. उन्होंने कहा था, "ईकोर्ट्स (प्रोजेक्ट) के तीसरे चरण में, हमारे पास एक बड़ा बजट है, इसलिए हम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए अपना खुद का क्लाउड सॉफ्टवेयर स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं."
(अतिरिक्त इनपुट-एजेंसी)