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शासकों को प्रतिदिन आत्मावलोकन करने की जरूरत : प्रधान न्यायाधीश

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमणा ने सोमवार को कहा कि शासकों को प्रतिदिन इस बारे में आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या उनके द्वारा लिए गए निर्णय अच्छे हैं और साथ में यह भी परखना चाहिए कि क्या उनमें कोई बुराई है.

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Published : Nov 22, 2021, 10:57 PM IST

पुट्टपर्थी, (आंध्र प्रदेश) : अनंतपुरमू जिले के पुट्टपर्थी नगर में श्री सत्य साई उच्च शिक्षा संस्थान के 40वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति रमणा ने महाभारत और रामायण का हवाला देते हुए कहा कि शासकों के 14 बुरे गुण हैं जिनसे उन्हें बचना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'लोकतांत्रिक व्यवस्था के सभी शासकों को अपना नियमित कार्य शुरू करने से पहले आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या उनमें कोई बुराई है. न्यायसंगत प्रशासन देने की आवश्यकता है और यह लोगों की आवश्यकताओं के अनुसार होना चाहिए. यहां कई विद्वान हैं और आप दुनियाभर में तथा देशभर में हो रहे घटनाक्रम को देख रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है और सरकार द्वारा जो भी फैसला लिया जाए, उसका फायदा जनता को मिलना चाहिए.

न्यायमूर्ति रमणा ने कहा कि यह उनकी इच्छा है कि देश की सभी व्यवस्थाएं स्वतंत्र और ईमानदार हों, जिनका लक्ष्य लोगों की सेवा करना हो तथा सत्य साई बाबा भी यही बात कहते थे.

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से, आधुनिक शिक्षा प्रणाली केवल उपयोगितावादी कार्य पर ध्यान केंद्रित करती है और ऐसी प्रणाली शिक्षा के उस नैतिक या आध्यात्मिक पहलू के लिहाज से सज्जित नहीं है जो छात्रों का चरित्र का निर्माण करे और उनमें सामाजिक चेतना तथा जिम्मेदारी की भावना विकसित करे

सत्य साई बाबा के बारे में न्यायमूर्ति रमणा ने कहा, 'मुझे बाबा के दर्शन करने का सौभाग्य मिला था. मैंने हमेशा उनके ज्ञान के शब्दों को अपने साथ रखा है.'

पढ़ें : कानूनी पेशा मुनाफे में बढ़ोतरी का नहीं, बल्कि समाज की सेवा के लिए है : सीजेआई

पुट्टपर्थी, (आंध्र प्रदेश) : अनंतपुरमू जिले के पुट्टपर्थी नगर में श्री सत्य साई उच्च शिक्षा संस्थान के 40वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति रमणा ने महाभारत और रामायण का हवाला देते हुए कहा कि शासकों के 14 बुरे गुण हैं जिनसे उन्हें बचना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'लोकतांत्रिक व्यवस्था के सभी शासकों को अपना नियमित कार्य शुरू करने से पहले आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या उनमें कोई बुराई है. न्यायसंगत प्रशासन देने की आवश्यकता है और यह लोगों की आवश्यकताओं के अनुसार होना चाहिए. यहां कई विद्वान हैं और आप दुनियाभर में तथा देशभर में हो रहे घटनाक्रम को देख रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है और सरकार द्वारा जो भी फैसला लिया जाए, उसका फायदा जनता को मिलना चाहिए.

न्यायमूर्ति रमणा ने कहा कि यह उनकी इच्छा है कि देश की सभी व्यवस्थाएं स्वतंत्र और ईमानदार हों, जिनका लक्ष्य लोगों की सेवा करना हो तथा सत्य साई बाबा भी यही बात कहते थे.

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से, आधुनिक शिक्षा प्रणाली केवल उपयोगितावादी कार्य पर ध्यान केंद्रित करती है और ऐसी प्रणाली शिक्षा के उस नैतिक या आध्यात्मिक पहलू के लिहाज से सज्जित नहीं है जो छात्रों का चरित्र का निर्माण करे और उनमें सामाजिक चेतना तथा जिम्मेदारी की भावना विकसित करे

सत्य साई बाबा के बारे में न्यायमूर्ति रमणा ने कहा, 'मुझे बाबा के दर्शन करने का सौभाग्य मिला था. मैंने हमेशा उनके ज्ञान के शब्दों को अपने साथ रखा है.'

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