नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका के खिलाफ कथित निंदनीय ट्वीट को लेकर हास्य कलाकार कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग वाली याचिकाओं की सुनवाई से बृहस्पतिवार को खुद को अलग कर लिया. प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाओं पर विचार किया और कहा, 'हम इस मामले को एक पीठ के समक्ष रखेंगे, जिसका मैं (सीजेआई) हिस्सा नहीं रहूंगा, क्योंकि टिप्पणी (ट्वीट) उस आदेश पर की गई थी, जिसे मैंने पारित किया है.' पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा भी शामिल थे.
पीठ ने मामले को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और सीजेआई अपनी प्रशासनिक क्षमता में अब इस मामले को किसी अन्य पीठ को सौंपेंगे. कामरा ने 11 नवंबर, 2020 को उस वक्त ट्वीट करना शुरू किया था जब शीर्ष अदालत 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में पत्रकार अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत याचिका खारिज करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी.
गोस्वामी को अंतरिम जमानत देने का आदेश न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पारित किया था. तत्कालीन अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कामरा के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति देते हुए कहा था कि कॉमेडियन के ट्वीट खराब प्रकृति के थे और समय आ गया है कि लोग समझें कि शीर्ष अदालत को निशाना बनाने की सजा मिलेगी.
ये भी पढ़ें - जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तराखंड धर्मांतरण कानून को SC में दी चुनौती, कही ये बात
(पीटीआई-भाषा)