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कृषि कानून पर गतिरोध जारी, सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगी फैसला - केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सरकार की ओर से अदालत में कहा गया है कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि वार्ता जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अब तक समाधान नहीं निकलने पर चिंता जताई और केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत कृषि कानूनों की संवैधानिकता पर कल मंगलवार को फैसला सुनाएगी. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर....

कृषि कानून
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Published : Jan 11, 2021, 12:41 PM IST

Updated : Jan 11, 2021, 8:23 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. सुप्रीम के मुख्य न्यायाधीश ने अब तक समाधान न निकलने पर चिंता जताई है और केंद्र सरकार को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो दो भागों में आदेश जारी किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने कहा है कि कृषि कानूनों की संवैधानिकता पर अदालत की तीन सदस्यीय पीठ मंगलवार को फैसला सुनाएगी.

गतिरोध सुलझने का भरोसा

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि कानूनों का मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष है और वे इस पर टिप्पणी करना आवश्यक नहीं समझते. गतिरोध सुलझने को लेकर तोमर ने भरोसा जताया और कहा, 'उम्मीद है किसानों के साथ 15 जनवरी को होने वाली अगले दौर की वार्ता में हम इसका हल निकाल लेंगे.'

कौन लेगा जिम्मेदारी?
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम कुछ नहीं कहना चाहते हैं, प्रदर्शन चल सकता है, लेकिन इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

  • सुप्रीम कोर्ट में सरकार की अपील- कमेटी के सामने आने का भरोसा दें किसान.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार ने मामला सही से नहीं संभाला, हमें फैसला करना होगा.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम किसी को आंदोलन करने से मना नहीं कर सकते.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कानून पर अभी रोक लगाए सरकार, वरना हम एक्शन लेंगे.
  • किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी.

किसानों के मुद्दे को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व में बनाई जाएगी. इस पर सभी पक्षकारों से नाम सुझाने को कहा गया है. एसजी ने कहा कि हम कल नाम अदालत को सौंपेंगे. अटॉर्नी जनरल ने फिर कहा कि तीनों कानूनों पर रोक लगाना उचित नहीं होगा. सीजेआई ने कहा कि हम कानून खत्म नहीं कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, किसान यूनियनों ने पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोधा का नाम कमिटी के प्रमुख के रूप में सुझाया है.

किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने रखी बात
सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि अदालत सरकार के हाथ बांध रही है, हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत करने आएंगे. किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं, ऐसे में कमेटी के सामने जाना है या नहीं हमें ये फैसला करना होगा. इस पर अदालत ने कहा कि ऐसा माहौल न बनाएं कि आप सरकार के पास जाएंगे और कमेटी के पास नहीं. सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों को कमेटी में आने का भरोसा देना चाहिए.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि किसी को भी आंदोलन करने से नहीं रोका जा सकता. भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या अभी के लिए कृषि कानूनों को लागू करने को होल्ड पर रखा जा सकता है. भारत के मुख्य ​न्यायाधीश ने केंद्र सरकार से कहा कि आपने इसे ठीक से नहीं संभाला है. हमें आज कोई कदम उठाना होगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या अभी के लिए कृषि कानूनों को लागू करने को होल्ड पर रखा जा सकता है.

'रोक लगेगी तो समझौते में आसानी होगी'
चीफ जस्टिस ने कहा कि वह किसानों को आंदोलन से नहीं रोकेंगे और कानून को लागू करने पर रोक लगेगी तो समझौते में आसानी होगी. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ यह कह देने से कि ज्यादातर लोग ये सोचते हैं कि कृषि कानूनों से कोई नुकसान नहीं होगा. ऐसा कहने भर से आंदोलन का मुद्दा नहीं सुलझ जाएगा. कोर्ट ने कहा कि अगर कुछ गलत हुआ, तो हममें से हर एक जिम्मेदार होगा. सीजेआई ने कहा कि अगर केंद्र कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को रोकना नहीं चाहता है, तो हम इस पर रोक लगाएंगे. कोर्ट ने आंदोलनकारियों के वकील से पूछा कि आप आंदोलन को खत्म नहीं करना चाह रहे हैं, आप इसे जारी रख सकते हैं. इस स्थिति में हम ये जानना चाहते हैं कि अगर कानून रुक जाता है, तो क्या आप आंदोलन की जगह बदलेंगे जब तक रिपोर्ट न आए या फिर जहां हैं, वहीं पर प्रदर्शन करते रहेंगे?

'सरकार कुछ नहीं करेगी तो कानूनों पर रोक लगा देंगे'
चीफ जस्टिस ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि सरकार कुछ नहीं करेगी तो कानूनों पर रोक लगा देंगे. कहा कि जरूरत पड़ी तो कोर्ट खुद इन कानूनों पर रोक लगा देगी. यह भी कहा गया है कि अगर किसान आंदोलन जारी रखना चाहते हैं तो शांतिपूर्ण तरीके से जारी रख सकते हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम संवैधानिक कोर्ट हैं और ये हमारा कर्तव्य है, खून-खराबा वाले परिस्थिति रोका जाए. अगर सरकार गंभीर है तो दोनों सदनों का संयुक्त सदन बुलाएं. भारत के मुख्य ​न्यायाधीश ने केंद्र सरकार से कहा कि आपने इसे ठीक से नहीं संभाला है हमें आज कोई कदम उठाना होगा. अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के ऐसे फैसले हैं, जो कहते हैं कि कोर्ट कानून पर रोक नहीं लगा सकती हैं.

कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती
कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक नहीं लगाना चाहती तो हम इन पर रोक लगाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान एक कमेटी गठित करने का सुझाव भी दिया.

सरकार को लगी फटकार
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार की ये दलील नहीं चलेगी कि इसे किसी और सरकार ने शुरू किया था. आप किस तरह हल निकाल रहे हैं? सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि 41 किसान संगठन कानून वापसी की मांग कर रहे हैं, वरना आंदोलन जारी करने को कह रहे हैं.

पढ़ें : किसान विरोध का 47वां दिन, करनाल के बवाल पर 71 लोगों पर FIR दर्ज

दिन प्रतिदिल हालात हद से बदतर हो रहे हैं
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार की ये दलील नहीं चलेगी कि इसे किसी और सरकार ने शुरू किया था. आप किस तरह हल निकाल रहे हैं? सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि 41 किसान संगठन कानून वापसी की मांग कर रहे हैं, वरना आंदोलन जारी करने को कह रहे हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास ऐसी एक भी दलील नहीं आई, जिसमें इस कानून की तारीफ हुई हो. अदालत ने कहा कि हम किसान मामले के एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन क्या आप इन कानूनों को रोकेंगे या हम कदम उठाएं. हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और ठंड में बैठे हैं. वहां खाने, पानी का कौन ख्याल रख रहा है?

आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान?
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून वापसी की बात नहीं कर रहे हैं, हम ये पूछ रहे हैं कि आप इसे कैसे संभाल रहे हैं. हम ये नहीं सुनना चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में ही हल हो या नहीं हो. हम बस यही चाहते हैं कि क्या आप इस मामले को बातचीत से सुलझा सकते हैं. अगर आप चाहते तो कह सकते थे कि मुद्दा सुलझने तक इस कानून को लागू नहीं करेंगे. अदालत ने कहा कि हमें पता नहीं कि आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का हिस्सा हैं.

समिति के गठन की सिफारिश
सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि चर्चा चलती रहेगी. हालांकि, चीफ जस्टिस ने इस पर नाराजगी व्यक्त की. चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं. हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया. पिछली सुनवाई में भी बातचीत के बारे में कहा गया, क्या हो रहा है? सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कृषि कानूनों की शिकायतों पर गौर करने के लिए समिति के गठन की सिफारिश भी की.

किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. अटॉर्नी जनरल ने बताया कि कानून को लागू करने पर रोक लगाना, कानून पर रोक लगाना ही है. फिर किसानों के वकील ने कहा कि कानून को जिस तरह से पास किया गया वह संदेह पैदा करने वाला है‌. फिर सीजेआई ने अटॉर्नी की तरफ ‌से 15 जनवरी कि बैठक का हवाला देने पर कहा कि आप समस्या को निपटा नहीं सके इसलिए हम आज आदेश जारी करेंगे‌. सीजेआई ने कहा कि हम इस माहौल को ठीक करके हल चाहते हैं. उसी पर हम आदेश करेंगे, क्योंकि अगर कोई हिंसा या उपद्रव होता है तो कौन जिम्मेदार होगा. लोगों कि सुरक्षा और संरक्षण हमारी भी जिम्मेदारी है.

नई दिल्ली : दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. सुप्रीम के मुख्य न्यायाधीश ने अब तक समाधान न निकलने पर चिंता जताई है और केंद्र सरकार को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो दो भागों में आदेश जारी किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने कहा है कि कृषि कानूनों की संवैधानिकता पर अदालत की तीन सदस्यीय पीठ मंगलवार को फैसला सुनाएगी.

गतिरोध सुलझने का भरोसा

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि कानूनों का मामला सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष है और वे इस पर टिप्पणी करना आवश्यक नहीं समझते. गतिरोध सुलझने को लेकर तोमर ने भरोसा जताया और कहा, 'उम्मीद है किसानों के साथ 15 जनवरी को होने वाली अगले दौर की वार्ता में हम इसका हल निकाल लेंगे.'

कौन लेगा जिम्मेदारी?
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम कुछ नहीं कहना चाहते हैं, प्रदर्शन चल सकता है, लेकिन इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?

  • सुप्रीम कोर्ट में सरकार की अपील- कमेटी के सामने आने का भरोसा दें किसान.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार ने मामला सही से नहीं संभाला, हमें फैसला करना होगा.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम किसी को आंदोलन करने से मना नहीं कर सकते.
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कानून पर अभी रोक लगाए सरकार, वरना हम एक्शन लेंगे.
  • किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी.

किसानों के मुद्दे को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व में बनाई जाएगी. इस पर सभी पक्षकारों से नाम सुझाने को कहा गया है. एसजी ने कहा कि हम कल नाम अदालत को सौंपेंगे. अटॉर्नी जनरल ने फिर कहा कि तीनों कानूनों पर रोक लगाना उचित नहीं होगा. सीजेआई ने कहा कि हम कानून खत्म नहीं कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, किसान यूनियनों ने पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोधा का नाम कमिटी के प्रमुख के रूप में सुझाया है.

किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने रखी बात
सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि अदालत सरकार के हाथ बांध रही है, हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत करने आएंगे. किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं, ऐसे में कमेटी के सामने जाना है या नहीं हमें ये फैसला करना होगा. इस पर अदालत ने कहा कि ऐसा माहौल न बनाएं कि आप सरकार के पास जाएंगे और कमेटी के पास नहीं. सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों को कमेटी में आने का भरोसा देना चाहिए.

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि किसी को भी आंदोलन करने से नहीं रोका जा सकता. भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या अभी के लिए कृषि कानूनों को लागू करने को होल्ड पर रखा जा सकता है. भारत के मुख्य ​न्यायाधीश ने केंद्र सरकार से कहा कि आपने इसे ठीक से नहीं संभाला है. हमें आज कोई कदम उठाना होगा. भारत के मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या अभी के लिए कृषि कानूनों को लागू करने को होल्ड पर रखा जा सकता है.

'रोक लगेगी तो समझौते में आसानी होगी'
चीफ जस्टिस ने कहा कि वह किसानों को आंदोलन से नहीं रोकेंगे और कानून को लागू करने पर रोक लगेगी तो समझौते में आसानी होगी. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ यह कह देने से कि ज्यादातर लोग ये सोचते हैं कि कृषि कानूनों से कोई नुकसान नहीं होगा. ऐसा कहने भर से आंदोलन का मुद्दा नहीं सुलझ जाएगा. कोर्ट ने कहा कि अगर कुछ गलत हुआ, तो हममें से हर एक जिम्मेदार होगा. सीजेआई ने कहा कि अगर केंद्र कृषि कानूनों के क्रियान्वयन को रोकना नहीं चाहता है, तो हम इस पर रोक लगाएंगे. कोर्ट ने आंदोलनकारियों के वकील से पूछा कि आप आंदोलन को खत्म नहीं करना चाह रहे हैं, आप इसे जारी रख सकते हैं. इस स्थिति में हम ये जानना चाहते हैं कि अगर कानून रुक जाता है, तो क्या आप आंदोलन की जगह बदलेंगे जब तक रिपोर्ट न आए या फिर जहां हैं, वहीं पर प्रदर्शन करते रहेंगे?

'सरकार कुछ नहीं करेगी तो कानूनों पर रोक लगा देंगे'
चीफ जस्टिस ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि सरकार कुछ नहीं करेगी तो कानूनों पर रोक लगा देंगे. कहा कि जरूरत पड़ी तो कोर्ट खुद इन कानूनों पर रोक लगा देगी. यह भी कहा गया है कि अगर किसान आंदोलन जारी रखना चाहते हैं तो शांतिपूर्ण तरीके से जारी रख सकते हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम संवैधानिक कोर्ट हैं और ये हमारा कर्तव्य है, खून-खराबा वाले परिस्थिति रोका जाए. अगर सरकार गंभीर है तो दोनों सदनों का संयुक्त सदन बुलाएं. भारत के मुख्य ​न्यायाधीश ने केंद्र सरकार से कहा कि आपने इसे ठीक से नहीं संभाला है हमें आज कोई कदम उठाना होगा. अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पहले के ऐसे फैसले हैं, जो कहते हैं कि कोर्ट कानून पर रोक नहीं लगा सकती हैं.

कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती
कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक नहीं लगाना चाहती तो हम इन पर रोक लगाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान एक कमेटी गठित करने का सुझाव भी दिया.

सरकार को लगी फटकार
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार की ये दलील नहीं चलेगी कि इसे किसी और सरकार ने शुरू किया था. आप किस तरह हल निकाल रहे हैं? सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि 41 किसान संगठन कानून वापसी की मांग कर रहे हैं, वरना आंदोलन जारी करने को कह रहे हैं.

पढ़ें : किसान विरोध का 47वां दिन, करनाल के बवाल पर 71 लोगों पर FIR दर्ज

दिन प्रतिदिल हालात हद से बदतर हो रहे हैं
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार की ये दलील नहीं चलेगी कि इसे किसी और सरकार ने शुरू किया था. आप किस तरह हल निकाल रहे हैं? सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि 41 किसान संगठन कानून वापसी की मांग कर रहे हैं, वरना आंदोलन जारी करने को कह रहे हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास ऐसी एक भी दलील नहीं आई, जिसमें इस कानून की तारीफ हुई हो. अदालत ने कहा कि हम किसान मामले के एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन क्या आप इन कानूनों को रोकेंगे या हम कदम उठाएं. हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और ठंड में बैठे हैं. वहां खाने, पानी का कौन ख्याल रख रहा है?

आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान?
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून वापसी की बात नहीं कर रहे हैं, हम ये पूछ रहे हैं कि आप इसे कैसे संभाल रहे हैं. हम ये नहीं सुनना चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में ही हल हो या नहीं हो. हम बस यही चाहते हैं कि क्या आप इस मामले को बातचीत से सुलझा सकते हैं. अगर आप चाहते तो कह सकते थे कि मुद्दा सुलझने तक इस कानून को लागू नहीं करेंगे. अदालत ने कहा कि हमें पता नहीं कि आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का हिस्सा हैं.

समिति के गठन की सिफारिश
सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि चर्चा चलती रहेगी. हालांकि, चीफ जस्टिस ने इस पर नाराजगी व्यक्त की. चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं. हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया. पिछली सुनवाई में भी बातचीत के बारे में कहा गया, क्या हो रहा है? सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कृषि कानूनों की शिकायतों पर गौर करने के लिए समिति के गठन की सिफारिश भी की.

किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. अटॉर्नी जनरल ने बताया कि कानून को लागू करने पर रोक लगाना, कानून पर रोक लगाना ही है. फिर किसानों के वकील ने कहा कि कानून को जिस तरह से पास किया गया वह संदेह पैदा करने वाला है‌. फिर सीजेआई ने अटॉर्नी की तरफ ‌से 15 जनवरी कि बैठक का हवाला देने पर कहा कि आप समस्या को निपटा नहीं सके इसलिए हम आज आदेश जारी करेंगे‌. सीजेआई ने कहा कि हम इस माहौल को ठीक करके हल चाहते हैं. उसी पर हम आदेश करेंगे, क्योंकि अगर कोई हिंसा या उपद्रव होता है तो कौन जिम्मेदार होगा. लोगों कि सुरक्षा और संरक्षण हमारी भी जिम्मेदारी है.

Last Updated : Jan 11, 2021, 8:23 PM IST
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