कटक: भारत के मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने शनिवार को कानून स्नातकों से अपना समय और ऊर्जा कानूनी सहायता के काम में लगाने का आग्रह किया. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ओडिशा के नौवें दीक्षांत समारोह में बोलते हुए, सीजेआई ने स्नातकों से पेशे के प्रति पूर्ण जुनून रखने और देश के लोगों के लिए करुणा दिखाने का आह्वान किया.
सीजेआई ने कहा कि एक साल से अधिक समय तक राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के साथ अपने जुड़ाव के दौरान, उन्होंने देखा कि देश में कानूनी सहायता के काम को कई बार उपेक्षा का सामना करना पड़ा. सीजेआई ने आगे विस्तार से नहीं बताया, लेकिन युवा स्नातकों से कानूनी सहायता कार्य के लिए अपना समय और ऊर्जा समर्पित करने का आग्रह किया.
सीजेआई ने कानून के छात्रों से कहा, ' इसके बाद, समाज हर मोड़ पर आपके योगदान के लिए तत्पर रहेगा.' उन्होंने कहा कि जब नागरिक अधिकारों को अक्षुण्ण रखने की बात आती है तो कानून का पेशा सबसे आगे रहा है. सीजेआई ने कहा, 'हर समाज, हर देश का इतिहास बताता है कि किसी भी तरह के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के मामले में कानूनी रूप से प्रशिक्षित दिमाग प्रकाशस्तंभ, पथप्रदर्शक और आकर्षण का केंद्र रहा है.' उन्होंने कहा, 'यहां तक कि कई स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के संस्थापक भी आपके पेशे से थे.' वे ही थे जिन्होंने देश की नियति को आकार देने की कोशिश की. इस अवसर पर कुल 221 स्नातकों को डिग्री प्रदान की गई.